हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान को नैवेद्य के रुप में मीठा भोग लगाया जाता है। इसके बाद भोजन की शुरुआत भगवान का प्रसाद लेकर ही करनी चाहिए। भोजन में परोसी गई मीठी वस्तु से खाने की शुरुआत करना शुभ माना जाता है। इस परंपरा के पीछे वैज्ञानिक कारण भी छुपा हुआ है। आयुर्वेद ग्रंथों में बताया गया है कि मीठे से भोजन की शुरुआत करनी चाहिए, वहीं विज्ञान का भी मानना है कि एक स्वस्थ इंसान को मीठा खाकर ही भोजन की शुरुआत करनी चाहिए।
इस परंपरा के बारे में क्या कहता है विज्ञान
मीठे से भोजन की शुरुआत करना सेहत के लिए अच्छा रहता है। ये सेहत का ध्यान रखने वाली अच्छी आदतों में से एक हैं। डाइटिशियन डॉ प्रीति शुक्ला के अनुसार एक स्वथ्य व्यक्ति को भोजन की शुरुआत मीठे से करनी चाहिए। ऐसा
करने से इंसुलिन सिक्रेशन होता है। जिससे भूख खुलती है या कह सकते हैं कि खाने में रुचि जाग जाती है। जिससे भाेजन जल्दी पचता है और उससे ऊर्जा भी मिलती है।
आयुर्वेद के अनुसार
रिटायर्ड आयुर्वेद जिला चिकित्सा अधिकारी रोशन लाल मोड़ ने बताया चरक संहिता के अनुसार आयुर्वेद में 6 तरह के रस बताए गए हैं। जिनको ध्यान में रखते हुए भोजन की शुरुआत मीठे से करनी चाहिए। इसके बाद खट्टा, चटपटा, कड़वा और फिर कसैला भोजन किया जाता है। इससे पाचन क्रिया व्यवस्थित होती है। मीठे से की गई भोजन की शुरुआत पाचन क्रिया के लिए अच्छी मानी गई है। इससे शरीर में अन्य प्रकार के रसों का भी संतुलन बना रहता है।
आयुर्वेद में बताए गए 6 रस
मधुर ( मीठा), अम्ल ( खट्टा), लवण (नमकीन), कटु (चरपरा), तिक्त (कड़वा, नीम जैसा) और कषाय (कसैला)
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