आज नवरात्रि के पांचवे दिन देवी स्कंदमाता की पूजा होगी। ये हिमायल की पुत्री पार्वती ही हैं। इन्हें गौरी भी कहा जाता है। भगवान कार्तिकेय का एक नाम स्कंद भी है। जो कि देव-असुर संग्राम में देवताओं के सेनापति थे। इनकी माता होने से इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है।
देवी के इस रूप की चार भुजाएं हैं। इन्होंने दाएं तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कंद यानी कार्तिकेय को पकड़ा हुआ है। निचली दाईं भुजा में कमल का फूल है। बायीं ओर का उपर वाला हाथ वर मुद्रा में है। नीचे वाले हाथ में सफेद कमल का फूल है।
सिंह इनका वाहन है। देवी पुराण के मुताबिक जिस पर स्कंदमाता की कृपा होती है उसके मन और मस्तिष्क में अपूर्व ज्ञान की उत्पत्ति होती है।
स्कंदमाता की पूजन विधि
1. कलश पर स्कंदमाता की मूर्ति या तस्वीर की स्थापना
करें
2. जल चढ़ाएं, फिर मौली, चंदन और अक्षत चढ़ाएं
3. कुमकुम, हल्दी, मेहंदी और लाल फूल चढ़ाएं
4. धूप-दीप जलाएं, मिठाई और फल चढ़ाएं
5. दक्षिणा चढ़ाएं और आरती करें
देवी स्कंदमाता के पूजन से बढ़ता है ज्ञान
मार्कंडेय पुराण के मुताबिक नवरात्रि की पंचमी तिथि को स्कंदमाता की पूजा विशेष फलदायी होती है। इस दिन साधक का मन विशुद्ध चक्र में अवस्थित होना चाहिए। जिससे ध्यान की शक्ति बढ़ती है। ये शक्ति परम शांति और सुख का अनुभव कराती है। इन देवी की कृपा से बुद्धि बढ़ती है। ज्ञान रूपी आशीर्वाद मिलता है। इनकी पूजा से हर तरह की परेशानियां खत्म हो जाती है।
देवी स्कंदमाता की पूजा करने से संतान सुख मिलता है। बुद्धि और चेतना बढ़ती है। कहा गया है कि देवी स्कंदमाता की कृपा से ही कालिदास द्वारा रचित रघुवंशम महाकाव्य और मेघदूत जैसी रचनाएं हुई हैं।
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