आज साल का पहला पूर्ण सूर्य ग्रहण

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आज साल का पहला पूर्ण सूर्य ग्रहण

Gauri Manjeet Singh 08-04-2024 11:36:10

नएवर्ष का पहला सूर्य ग्रहण आज यानी 8 अप्रैल दिन सोमवार को है और यह पूर्ण सूर्य ग्रहण होने वाला है। आज पूर्ण सूर्य ग्रहण का मोक्ष मीन राशि और रेवती नक्षत्र में लगने वाला है। वैज्ञानिकों के अनुसार, यह वर्ष 2010 के बाद लगने वाला सबसे लंबा सूर्य ग्रहण होगा। 21वीं सदी का इकलौता पूर्ण सूर्यग्रहण होगा, जो पूर्णता में तीन देशों में देखा जाएगा, मेक्सिको, अमेरिका और कनाडा। हालांकि यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए इस ग्रहण का भारत में सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। लेकिन इस खगोलीय घटना का आनंद NASA के YouTube चैनल के माध्यम से भारत वर्ष में रहने वाले व्यक्ति ले सकेंगे। इस ग्रहण के ठीक एक दिन पहले अर्थात 7 अप्रैल को चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक होगा। 

क्या है पूर्ण सूर्य ग्रहण 
सूर्य ग्रहण पूर्णतः एक खगोलीय घटना है, जो हर वर्ष घटित होता है। पृथ्वी और सूर्य के बीच जब चंद्रमा आ जाता है (तीनों एक सीध में आ जाते हैं) तब पृथ्वी के एक हिस्से पर चंद्रमा की छाया पड़ती है और पृथ्वी के उस भाग में अंधकार छा जाता है, तब उसे सूर्य ग्रहण कहा जाता है। पूर्ण सूर्यग्रहण में सूर्य, चंद्रमा के पीछे पूरी तरह से छुप जाता है। ऋग्वेद, रामचरितमानस, वाल्मीकि रामायण, भगवद्गीता, ज्योतिष शास्त्र, इन सभी ग्रंथों में सूर्य ग्रहण की चर्चा की गई है। 

गर्भवती महिलाओं के लिए सावधानियां 
गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान घर में ही रहे जाने की सलाह दी जाती है। धार्मिक मान्यता है कि अगर वे घर से बाहर निकलती हैं तो बच्चा खंड तालु अर्थात कटी हुई तालु लेकर पैदा हो सकता है। यह एक विचारणीय प्रश्न है कि सूर्य ग्रहण के दौरान जितने भी बच्चे होंगे क्या वे खंड तालु लेकर ही पैदा होंगे? इस कथन की सत्यता की जानकारी के लिए शोध किया जाना चाहिए। 
गर्भवती महिला के तीसरे महीने में पुंसवन संस्कार किया जाता है। गर्भस्थ शिशु के लिए यह माह बहुत संवेदनशील होता है। इस समय वैदिक मंत्रोच्चारके साथ साथ आहार परिवर्तन और औषधीय प्रयोग द्वारा गर्भस्थ शिशु का लिंग परवर्तित किया जा सकता है। विज्ञान भी इस बात को मानता है कि तीसरे महीने में गर्भस्थ शिशु का लिंग परिवर्तन किया जा सकता है। 
 
इसके साथ साथ सूर्य ग्रहण की कुछ अन्य बातों का भी ध्यान रखे 
1- किसी प्रकार की दुविधा में न रहकर आराम की स्थिति में रहें। अपने पसंद का रुचिकर भोजन करें, संगीत सुनें, पेंटिंग करें या फिर अच्छी पुस्तक का पठन करें। 
2 - मन को शांत रखें। प्रचलित मान्यताओं
के आधार पर कही गई बातों को सुनकर ना घबराएं। इन मान्यताओं का कोई वैज्ञानिक या ज्योतिषीय आधार नहीं है। इसलिए इन बातों पर ध्यान ना देते हुए आनंदित मन से इस खगोलीय घटना का लुत्फ उठाएं। 
3 - घर के भीतर रहें खासकर वैसी गर्भवती महिलाएं जिनका तीसरा माह चल रहा हो। हालांकि यह भी अभी प्रमाणित नहीं किया जा सका है लेकिन ज्योतिष और विज्ञान दोनों इसकी तरफ संकेत करते हैं। 
4 - धारदार या नुकीली चीजों का प्रयोग न करें। मान्यता है कि ग्रहण के दौरान धारदार या नुकीली चीजों के प्रयोग से गर्भस्थ शिशु में शारीरिक विकलांगता आती है। हालांकि इसका भी कोई शास्त्रीय या वैज्ञानिक आधार नहीं है लेकिन यदि आप मान्यताओं में अंध विश्वास रखते हैं तो सूर्य ग्रहण के दौरान इनके प्रयोग से बचें। 
5- सही तरह से पकाए हुए भोज्य पदार्थों पर पहले दूर्वा घास को रखें, फिर भोजन करें। मान्यता है कि दूर्वा घास में सूर्य की किरणों के रेडिएशन को समाप्त करने की क्षमता होती है। 
6 - सूर्य ग्रहण के बाद घर को शुद्ध करें और स्नान करें। 

सभी राशि के व्यक्तियों के द्वारा बरती जाने वाली सावधानियां- 
1 - सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य को सीधा देखने से बचना चाहिए, यह आपकी आंखों को नुकसान पहुंचा सकता है। 
2 - सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य की किरणों से त्वचा को कोई नुकसान ना पहुंचे इसके लिए ग्रहण के दौरान घर से बाहर निकलते समय शरीर को ढंक कर जाएं। 
3 - सूर्य ग्रहण के दौरान यदि घर के बाहर हैं तो थोड़े थोड़े समयांतराल पर पानी पीते रहें। 
4 - सूर्य ग्रहण के बाद स्नान करें। 

अंत में - 
सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है 
सूर्य ग्रहण हर वर्ष कम से कम चार बार और अधिक से अधिक सात बार घटती ही हैं। साल 2011 में भी छह ग्रहण लगे थे। 2013, 2018, 2019 में पांच ग्रहण लगा था। 1935 और 1982 में 7 ग्रहण लगे थे। हर ग्रहण अपने साथ पंद्रह दिन आगे-पीछे दूसरे ग्रहण को लेकर आता ही हैं। 
सूर्य ग्रहण की बात होते ही राहु केतु का स्मरण होने लगता है, और इन्हें सर्प सदृश मानकर अपने भीतर खतरे की घंटी बजती सुनाई देने लगती है। ग्रहण से नहीं बल्कि सांप सी विचारों की वजह से बीमार हो जाते हैं या मृत्युपाश में चले जाते हैं, इससे भयभीत मत होइए। यह एक खगोलीय घटना है, इसे संपूर्णता और समग्रता में समझने का स्वयं ही प्रयास कीजिए।  सूर्य ग्रहण के बाद दान करें और ग्रहण के समय सूर्य उपासना करें। आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ करें।

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