तापी जन्मोत्सव पर 2000 भक्तों ने 108 मीटर चढ़ाई लंबी चुनरी

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तापी जन्मोत्सव पर 2000 भक्तों ने 108 मीटर चढ़ाई लंबी चुनरी

Khushboo Diwakar 09-07-2019 13:01:53

  • सोलह शृंगार कर 1601 फीट लंबी चुनरी अर्पित की
  • 351 लीटर दूध से अभिषेक

सूरत. तापी जन्मोत्सव पर सोमवार को नावड़ी ओवार पर श्री अखिल भारतीय जीण माता सेवा संघ की तरफ से 2000 भक्तों ने 108 मीटर लंबी चुनरी चढ़ाई और तापी शुद्धिकरण का संकल्प लिया। सवा लाख बाती जलाकर तापी माता की महाआरती की गई। 15 फीट ऊंची ध्वजा भी अर्पित की। भक्तों को तापी के 108 पौराणिक नामों, आरती सहित 78 राेचक तथ्यों की जानकारी दी गई। 


गुलाब देकर कहा- तापी की गंदगी दूर करो 
तापी जयंती के उपलक्ष्य में सोमवार को तापी शुद्धिकरण समिति की ओर से सामूहिक हवन हुआ। कार्यक्रम नानपुरा स्थित नावड़ी ओवारा पर हुआ। डिप्टी मेयर, मनपा कमिश्नर सहित अन्य पदाधिकारियों को गुलाब देकर, गांधीगीरी तरीके से तापी नदी की स्वच्छता के लिए आग्रह किया गया। 


अगर मुझे मां कहते हो तो बेटे का फर्ज निभाओ... 
आज मेरा जन्म दिन मनाने के लिए मेरे बेटों में अनोखा उत्साह था। मुझे मां कहते हो, परंतु मेरी देखभाल कितनी की यह अपने आप से पूछो। सुबह से ही मेरी गोंद में आकर कंकू, अबीर, गुलाल और फूल डालकर चले जाते हो। मुझमें आस्था रखकर आते हो या मां की आस्था की कसौटी तय करने। मेरी दशा देखकर भी तुम्हें नहीं लगता है कि मेरी देखभाल करनी चाहिए। मुझे क्या दु:ख है? यह जानो और उसे
दूर करने के लिए ठोस उपाय करो। अफसरों को तो शर्म आती नहीं है, लेकिन मेरे भक्तों को मेरी दशा देखकर शर्म आनी चाहिए। मेरे नावडी ओवारा, डक्का ओवारा या दूसरे अन्य किसी ओवारा पर जाओ तो मेरी तुमने क्या दशा की है यह आंखों से देख सकोगे। अरे, चैताली नाम की मेरी बेटी नावडी ओवारा पर आई, वहां मेरा स्वरूप देखकर उसने मुझे कंकू, अबीर, गुलाल और दूध मात्र प्रतीकात्मक चढ़ाया। उसके बाद बचा हुआ दूध उसने बच्चों को पिलाया। उसे तो इतना आघात लगा कि उसने मुझे कहा कि मां यदि मुझे जो सत्ता मिले तो यह सब बंद करा दूं। यहां जो आता है आस्था के नाम पर तुझ पर कचरा डाल जाता है। मुझे आप में श्रद्धा है, इसलिए अधिक दूध डालकर आपके आंचल को गंदा नहीं करना चाहती हूं। मां मुझे माफ करना। मेरी बेटी चैताली के ये शब्द मेरे दिल को छू गए। मैने विचार किया बेटी तेरी जैसी हरेक संतान हो तो मेरा आंचल कभी गंदा ही नहीं होता। बालकृष्ण का बेटा वैष्णव आचार्य एवं मेरी बहन यमुना के उपासक षष्ठ पीठाधीश वल्लभराय आए, वे मेरी बहन की पुत्र हैं। इस हर साल मौसी के पास माथा टेकने आते हैं। वे कहते हैं कि मौसी सब कुछ जानने के बावजूद तेरे आंचल में गंदगी करते हैं। आपकी पूजा करने के लिए कीचड़ में जाना पड़ता है। यह मेरे लिए शर्मनाक है।

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