भरतपुर हैडिंग --मौत से पहले ही कर गए देहदान,परिजनों ने आज मौत के बाद मेडिकल कॉलेज को किया देहदान 93 वर्षीय व्यक्ति का मेडिकल कॉलेज के लिए देहदान / वह चाहते थे शव मेडिकल की पढ़ाई करने वाले बच्चों के काम आए / कल शाम को हुआ था निधन बाइट - ओम प्रकाश आजाद एंकर - डीग जिले के कामां क़स्बा निवासी 93 वर्षीय मुरारी लाल सक्सेना ने मौत से पहले इच्छा जताई थी की मौत के बाद उनके देह को मेडिकल कॉलेज के लिए दान कर दिया जाए | आज मौत के बाद परिजनों ने उनकी देह मेडिकल कॉलेज के लिए दान कर दी । विगत शाम अचानक उनकी तबियत ख़राब हो गई जिससे उनकी मौत हो गई। 19 सितंबर 2022 को मुरारी लाल सक्सेना ने भरतपुर के जगन्नाथ पहाड़िया मेडिकल कॉलेज को अपना देह दान का फैसला किया था। मुरारी लाल सक्सेना चाहते थे कि, उनका शव मेडिकल कॉलेज के बच्चों के काम आये। मृतक के पुत्र विकास सक्सेना ने बताया कि उनके पिता की उम्र 93 वर्ष थी जिनको कोई बिमारी नहीं थी। शाम को अचानक उनकी तबियत ख़राब हो गई। उन्हें कामां के अस्पताल लेकर पहुंचे जहां चिकित्सकों ने कुछ टेस्ट किए और जयपुर रेफर कर दिया | जयपुर जाने के लिए परिजनों ने एम्बुलेंस बुलाई मगर उससे पहले उनका निधन हो गया। मुरारी लाल सक्सेना ने 15 साल
पहले जयपुर SMS हॉस्पिटल में अपना देह दान किया था। उस समय भरतपुर में मेडिकल कॉलेज नहीं था। जब भरतपुर में जगन्नाथ पहाड़िया मेडिकल खुला तो, उन्होंने 19 सितंबर 2022 को फैसला किया कि, वह अपना शव भरतपुर मेडिकल कॉलेज के लिए दान करेंगे। विकास सक्सेना ने बताया कि, उनके पिता के निधन के बाद उन्होंने भरतपुर मेडिकल कॉलेज के प्रशासन से संपर्क किया। जिस पर उनसे कहा गया कि, वह उनके शव को 6 घंटे के अंदर भरतपुर लेकर पहुंचे। मुरारी लाल सक्सेना का परिवार और उनके रिश्तेदार देर रात ही शव को लेकर आरबीएम अस्पताल पहुंचे। जहां उन्हें कोई नहीं मिला। जिसके बाद मुरारी लाल सक्सेना के शव को मोर्चरी में रखवा दिया गया। सुबह फिर से मेडिकल कॉलेज प्रशासन से संपर्क किया तो, उन्होंने शव को मेडिकल कॉलेज लाने को कहा। सुबह मुरारी लाल सक्सेना के परिजन खुले वाहन में शव को लेकर मेडिकल कॉलेज पहुंचे। वाहन को फूलों से सजाया गया। मुरारी लाल कॉमरेड पार्टी से जुड़े थे। इस दौरान कई कॉमरेड के नेता आरबीएम अस्पताल की मोर्चरी पर पहुंचे। जिसके बाद उनके शव को मेडिकल कॉलेज के सुपुर्द किया गया। मुरारी लाल सक्सेना के रिश्तेदारों ने बताया कि, वह ग्राम सचिव से रिटायर्ड होने के बाद वकालात करने लगे थे। उन्हें कोई बिमारी नहीं थी। उनकी उम्र 93 साल थी और जज्बा 20 साल के युवक की तरह था।
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