अंजलि यादव,
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया,
नई दिल्ली: देश में कोरोना की तीसरी लहर का वेग बढ़ता जा रहा है। सोमवार को पिछले 24 घंटे में सामने आए नए केसों की संख्या 1,79,723 दर्ज की गई। दैनिक स्तर पर पॉजिटिविटी रेट 13.29 फीसदी पाया गया, जो पिछले 235 दिनों में सबसे ज्यादा बताया जा रहा है। स्थिति कितनी तेजी से बिगड़ रही है, इसका कुछ अंदाजा साप्ताहिक आंकड़ों पर नजर डालने से मिलता है। पिछले सात दिनों में दर्ज हुए नए केसों को अगर उससे पहले के सात दिनों में दर्ज हुए नए केसों की संख्या से मिलाकर देखें तो 506 फीसदी का इजाफा है। ध्यान रहे इसका ग्लोबल ऐवरेज है 48 फीसदी। इसी आधार पर एक अंदाजा यह सामने आया है कि चूंकि नए केसों की संख्या में इतनी तेजी से बढ़ोतरी हो रही है, इसलिए इस तीसरी लहर का पीक पॉइंट जल्दी आएगा। इसके बाद इसमें तेजी से उतार आना शुरू हो जाएगा। कुछ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, पूरे देश के संदर्भ में देखा जाए तो फरवरी के मध्य में इसका पीक पॉइंट आने और मार्च के मध्य तक तीसरी लहर खत्म हो जाने की संभावना है।
अगर यह सच मान लिया जाए तब भी अहम सवाल यह है कि यह तीसरी लहर कितनी कम या ज्यादा खतरनाक होगी। अगले दो महीने में यह कैसा दृश्य दिखाएगी और जाते-जाते कितना नुकसान कर जाएगी। इसी बिंदु पर गौर करने
की एक बात यह है कि ऊंचे पदों पर बैठे कई लोग आज भी यह कहते पाए जा रहे हैं कि ओमिक्रॉन संक्रमण के मामलों में मौत और हॉस्पिटलाइजेशन का प्रतिशत कम है, इसलिए इसकी ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है। यह बात सही है कि दूसरी लहर के दौरान 20-23 फीसदी मामलों में हॉस्पिटल जाने की जरूरत पड़ रही थी तो इस बार 5-10 फीसदी मामलों में ही पड़ रही है। इसके बावजूद स्थिति बहुत गंभीर हो सकती है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने बिल्कुल ठीक कहा है कि हालात न केवल तेजी से बदल रहे हैं बल्कि कई ट्रेंड्स अभी उभर रहे हैं। ऐसे में संभव है कि हॉस्पिटलाइजेशन की जरूरत के संदर्भ में भी स्थितियां बदलें।
दूसरी बात यह कि तीसरी लहर के पीक के दौरान रोजाना 8 लाख तक नए केस आने की बात कही जा रही है, जो दूसरी लहर के मुकाबले करीब दोगुना है। सो, कम प्रतिशत के बावजूद हॉस्पिटल पहुंचने वाले लोगों की संख्या अच्छी खासी हो सकती है। ऐसे में करीब दो साल से असह्य वर्क लोड झेल रहा स्वास्थ्य तंत्र इस नए दबाव का सामना कैसे करेगा, इस पर अभी से विचार करने की जरूरत है। टीके लगाने और प्रिकॉशनरी डोज देने का काम यथासंभव तेजी से जारी जरूर रखा जाए, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण मोर्चा है समय रहते जरूरी प्रतिबंधों की घोषणा और आम नागरिकों की ओर से सावधानी।
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