यूनेस्को आसान करेगा विश्व धरोहर कैलास मानसरोवर की राह

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यूनेस्को आसान करेगा विश्व धरोहर कैलास मानसरोवर की राह

Rukmani Chaurasia 22-04-2021 17:39:03

रुक्मणि चौरसिया  
लोकल न्यूज़ ऑफ़ इंडिया  

कैलास मानसरोवर जाने वाले रास्ते पर पवित्र पर्वतीय क्षेत्र के भारतीय इलाके को वल्र्ड हेरिटेज सूची में शामिल करने का एक प्रस्ताव यूनेस्को के पास भेजा गया था, जिसे अंतरिम सूची में शामिल कर लिया गया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने बताया कि यूनेस्को को 15 अप्रैल 2019 को यह प्रस्ताव सौंपा था। दो साल में इसमें कोई विशेष प्रगति नहीं हुई। कैलास भूक्षेत्र भारत, चीन एवं नेपाल की संयुक्त धरोहर है। इसे यूनेस्को संरक्षित विश्व धरोहर का दर्जा दिलाने के लिए चीन और नेपाल पहले ही अपने-अपने प्रस्ताव यूनेस्को को भेज चुके थे। भारत से प्रस्ताव भेजने में देरी हो रही है।  

कैलास मानसरोवर के लिए भारत में कुल यात्रा मार्ग 1,433 किलोमीटर का है। कैलास यात्रा के लिए भारत में परंपरागत मार्ग टनकपुर से शुरू होकर सेनापति, चंपावत, रामेश्वर, गंगोलीहाट और पिथौराघाट से लिपुलेख तक जाता है। प्रतिकूल मौसम में ऊबड़-खाबड़ रास्ते से होते हुए 19,500 फीट की चढ़ाई के दौरान श्रद्धालुओं का उत्साह इस यात्रा में देखते ही बनता है, जो बड़ी संख्या में कैलाश मानसरोवर की यात्र पर जाते हैं। अपने धार्मिक मूल्य और सांस्कृतिक महत्व के लिए जानी जाने वाली कैलाश
यात्रा का आयोजन विदेश मंत्रलय हर साल जून से सितंबर के दौरान दो अलग-अलग मार्गो - लिपुलेख दर्रा (उत्तराखंड) और नाथू ला दर्रा (सिक्किम) से करता है। 

-विज्ञानियों के अनुसार यह स्थान धरती का केंद्र है। धरती के एक ओर उत्तरी ध्रुव है, तो दूसरी ओर दक्षिणी ध्रुव। दोनों के बीचों-बीच स्थित है हिमालय। हिमालय  
का केंद्र है कैलास पर्वत और मानसरोवर।  

-यह एक ऐसा भी केंद्र है, जिसे एक्सिस मुंडी कहा जाता है। एक्सिस मुंडी अर्थात दुनिया की नाभि या आकाशीय ध्रुव और भौगोलिक ध्रुव का केंद्र। यह आकाश और पृथ्वी के बीच संबंध का एक बिंदु है, जहां दसों दिशाएं मिल जाती हैं। 

-यात्रा के दौरान 19,500 फीट की चढ़ाई करनी पड़ती है। 

-विज्ञानियों का मानना है कि भारतीय उपमहाद्वीप के चारों ओर पहले समुद्र होता था। इसके रशिया से टकराने से हिमालय का निर्माण हुआ। यह घटना  
अनुमानत: 10 करोड़ वर्ष पूर्व घटी थी। 

-इस इलाके में चार नदियां पानार सरयू, सरयू रामगंगा, गोरी काली और धौली काली आती हैं। इस क्षेत्र की मुख्य बोली कुमाउंनी, बेयांसे, भोंटिया, हुनिया, हिंदी और नेपाली हैं। 

-यात्रा के लिए आवेदक की आयु कम से कम 18 साल व एक जनवरी को 70 साल से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।

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