अंजलि यादव,
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया,
नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में आज दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार ने प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए किए जा रहे उपायों पर अपनी बातें रखीं. दिल्ली सरकार ने जहां अपनी तरफ से किए जा रहे उपायों के बारे में बताया और पराली का मुद्दा उठाया तो वहीं केंद्र सरकार ने वर्क फ्राम होम की सुविधा देने से इनकार कर दिया. केंद्र की तरफ से कहा गया है कि वो प्रदूषण को कम करने के लिए कार पूलिंंग के पक्ष में है. आज हुई सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है और कहा है कि इस मामले में ब्यूरोक्रेट्स कुछ नहीं करना चाहते हैं.
प्रदूषण को लेकर कोर्ट में हुई सुनवाई के बाद हरियाणा सरकार ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का जो आदेश होगा हम उसका पालन करेंगे. दिल्ली की तरफ से भी यही बात कही गई है. तो वहीं पंजाब सरकार ने कहा कि वो दिल्ली-एनसीआर में नहीं आता है, इसके बावजूद वो इसके लिए जारी किए गए दिशा-निर्देशों का पालन करेगा. कोर्ट में अब इस मामले की सुनवाई 24 नवंबर को होगी.
केंद्र सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कार पुलिंग के जरिए सड़कों पर वाहनों को कम करने में मदद मिल सकती है और इसका सीधा असर प्रदूषण को घटाने पर भी पड़ेगा. उन्होंने कहा कि मीडिया में गलत बयानबाजी की जा रही है कि वो पराली जलाने के मामले में कोर्ट को गुमराह कर रहे हैं. इस पर कोर्ट ने कहा कि
वो इस तरह की बयानबाजी से गुमराह नहीं होने वाला है. कोर्ट ने साफ कहा कि हमारी सोच पूरी तरह से साफ है, लिहाजा इस तरह की बातों पर ध्यान न दिया जाए.
दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि प्रदूषण का कारण पराली जलाना भी है और अगर इसकी दर 3-4% है, हम कहना चाहते हैं कि यह भी एक कारण है. सुनवाई के दौरान दिल्ली की तरफ से कहा गया कि उन्होंने केंद्र के बताए 90 फीसद सुझावों पर अमल किया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हर जगह टीवी पर प्रदूषण को लेकर डिबेट हो रही है और इसके बावजूद वो चीजों को समझ नहीं पा रहे हैं और उनका अपना ही मुद्दा या एजेंडा है.
सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि दिल्ली-एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की बैठक हुई थी और एनसीआर राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों के सभी मुख्य सचिवों के वरिष्ठ अधिकारियों और राज्यों को कुछ अनिवार्य निर्देश जारी किए गए थे. आयोग ने सभी एनसीआर राज्यों को सभी स्कूलों, कॉलेजों और शैक्षणिक संस्थानों को बंद करने और अगले आदेश तक ऑनलाइन मोड के माध्यम से कक्षाएं आयोजित करने का निर्देश दिया.
चार छूट वाली श्रेणियों को छोड़कर सभी निर्माण गतिविधियों को 21 नवंबर तक रोकना होगा.आयोग ने कमजोर हॉटस्पॉट्स में दिन में कम से कम तीन बार स्मॉग टॉवर, स्प्रिंकलर और डस्ट सप्रेसेंट के उपयोग का भी निर्देश दिया. आयोग ने एनसीआर राज्यों को आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर डीजल जेनरेटर सेट के उपयोग पर सख्ती से प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया, एसजी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया.
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