यूं तो चुनाव में जीत के बाद नेताओं का रुतबा और बढ़ता है, मगर उत्तर प्रदेश और बिहार के छह नेताओं के साथ उलटा हुआ है. देश की सबसे बड़ी पंचायत यानी संसद में जाने के बाद उनका रुतबा पहले से घट गया है. ये नेता राज्य सरकार में मंत्री थे. फिर भी उनकी पार्टियों ने अपनी खास रणनीति के तहत लोकसभा चुनाव के मैदान में उतारा था. शुरुआत में अटकलें थीं कि इन्हें राज्य से केंद्र में लाकर मंत्री बनाया जा सकता है. ऐसे में मंत्रियों ने भी जोशोखरोश से चुनाव लड़ा और जीत भी दर्ज की. मगर मोदी सरकार 2.0 की मंत्रिपरिषद में राज्य सरकारों के मंत्री रहते सांसद बने इन नेताओं को मौका नहीं मिला.
मंत्री पद से इस्तीफा देने पर अब ये सांसद ही रह गए हैं. इसी के साथ प्रोटोकॉल भी उनका कई सीढ़ी नीचे गिर गया है. कहा जा रहा है कि राज्यों में बड़े-बड़े बंगलों और कई स्टाफ की सुविधा वाले इन मंत्रियों को अब दिल्ली के लुटियन्स में छोटे फ्लैट में रहना होगा. वजह कि इनमें ज्यादातर पहली बार सांसद बने हैं. अब लंबा-चौड़ा स्टाफ भी साथ नहीं रहेगा.
मंत्री और सांसद का जानिए प्रोटोकॉल
राष्ट्रपति सचिवालय की ओर से 26 जुलाई, 1979 को जारी प्रोटोकॉल अधिसूचना में देश के राष्ट्रपति से लेकर अन्य जनप्रतिनिधियों और विभिन्न आयोगों के चेयरमैन के स्तर की जानकारी दी गई है. इसमें सभी पदों की रैकिंग निर्धारित है. इसमे सांसदों को 21 वें नंबर पर रखा गया है. जबकि राज्यों के कैबिनेट मिनिस्टर अगर अपने प्रदेश में हैं तो उनकी प्रोटोकॉल रैकिंग 14 होती है, वहीं अगर
राज्यों के कैबिनेट मंत्री सूबे से बाहर होते हैं तो उनकी रैकिंग 18 वें स्थान पर होती है. दरअसल राज्यों से जुडे़ पदों के मामले में कार्यक्षेत्र के अंदर और कार्यक्षेत्र के बाहर अलग-अलग प्रोटोकॉल का स्तर होता है.
राज्यों के राज्यपाल हों या फिर मुख्यमंत्री या मंत्री, उनका प्रोटोकॉल उनके राज्य में अधिक मजबूत होता है और बाहर थोड़ा कमजोर होता है. इस प्रकार देखें तो अभी तक उत्तर प्रदेश और बिहार में मंत्री रहते हुए जो नेता राज्य में 15 वें और राज्य से बाहर 18 वें नंबर का प्रोटोकॉल पाते थे, अब वह बतौर सांसद इससे काफी नीचे यानी 21 वें नंबर का प्रोटोकॉल पाएंगे. यहां तक कि कैबिनेट से छोटे स्तर के राज्यों के राज्य मंत्री का प्रोटोकॉल भी सांसद से अधिक मजबूत होता है. राज्य मंत्रियों का प्रोटोकॉल 20 नंबर पर है.
ये मंत्री बने हैं सांसद
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार में रीता बहुगुणा जोशी, सत्यदेव पचौरी, एसपी सिंह बघेल कैबिनेट मंत्री रहे. इस बार बीजपी ने तीनों नेताओं को लोकसभा का चुनाव लड़ाया था. तीनों नेता जीतने में सफल रहे. उत्तर प्रदेश में इस बार कुल 11 विधायक सांसद बने हैं. राज्य में गोविंदनगर, टुंडला, लखनऊ कैंट, गंगोह, बल्हा, मानिकपुर, इगलास, जैदपुर, प्रतापगढ़, जलालपुर और रामपुर विधानसभा की सीटें खाली हुई हैं.
बिहार में भी नीतीश सरकार के तीन मंत्री सांसद बने हैं. इनमें जदयू के राजीव रंजन सिंह और दिनेश चंद्र यादव तथा लोजपा के पशुपति कुमार पारस सांसद बने हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में यूपी, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश आदि राज्यों के कुल 44 विधायक इस बार सांसद बने हैं.
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