AC से सजाई दीवारें फिर ग्लोबल वार्मिंग का दोष प्रकृति को

सक्ती जिले में कृषक संगोष्ठी सम्मेलन का आयोजन कर लोगों को मतदान के लिए प्रेरित किया गया जिलाधिकारी हरदोई ने किया फैसिलिटेशन सेंटर का निरीक्षण मौसम-राजस्थान मजदूर दिवस पीलीभीत मे उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल द्वारा ट्रेन संचालन हेतु सौंपा ज्ञापन व्यापार मंडल ने पीलीभीत की पहली महिला आईएएस अधिकारी को किया सम्मानित Satish Mishraन महिलाओं की हुई मृत्यु, 7 घायल पीलीभीत में कार पलटने से तीन महिलाओं की हुई मृत्यु, 7 घायल दिल्‍ली स्‍कूल बम धमकी कामर्शियल एलपीजी गैस सिलेंडरों की कीमतों में 19 रुपये प्रति यूनिट की कटौती आज का राशिफल गोवा में बीजेपी और कांग्रेस के बाद तीसरे पायदान पर रिवोल्यूशनरी गोअन पार्टी उदयपुर : ऋषभदेव थाना क्षेत्र के पटिया गांव से एक अज्ञात शव बरामद उत्तराखंड में चारधाम यात्रा के लिए 17 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने हेली सेवा के लिए पंजीकरण करवाया टीयूईसीओ और हरिद्वार नगर निगम के बीच समझौता ज्ञापन पर हुए हस्ताक्षर केदारनाथ धाम के लिए हेली सेवा बुकिंग की आधिकारिक वेबसाइट heliyatra.irctc.co.in ‘’चलें बूथ की ओर’’ अभियान अंतर्गत बैठक- गुना जिले में होम वोटिंग वरिष्ठ 85 से अधिक एवं दिव्यां4गजनों द्वारा मतदान- गुना जिंदगी का शतक लगाने वाले बुजुर्ग पुरुष और महिला मतदाताओं द्वारा की गई मतदान की अपील नशीले पदार्थों के खिलाफ भारतीय तट रक्षक का बड़ा ऑपरेशन मोदी सरकार में जनता का पैसा जनता के पास जा रहा है - दुष्यंत

AC से सजाई दीवारें फिर ग्लोबल वार्मिंग का दोष प्रकृति को

Deepak Chauhan 06-06-2019 15:25:27

बीते दस दिनों से अधिकतम तापमान करीब 45 डिग्री से उपर बना हुआ है। धूप ऐसी की त्‍वचा जला दे। रात को भी चैन नहीं। मगर सवाल ये है कि आखिर इतनी गर्मी क्‍या स्‍वभाविक तौर पर बढ़ रही हैं या इसका कोई विशेष कारण है। मौसम विशेषज्ञ इतनी गर्मी बढ़ने का एक कारण एसी और गाड़ी में प्रयोग होने वाली एसी को मान रहे हैं।

इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रही एक फोटो में जिस तरह से दीवार पर एसी (एयर कंडीशनर) लगी हुई हैं, उसे देख मौसम विशेषज्ञों की बात का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। वहीं जहां पर पेड़ ज्‍यादा होते हैं वहां का अधिकतम तापमान भी खुली जगह से करीब पांच से छह डिग्री कम होता है।

सोशल मीडिया पर वायरल फोटो में यूजर्स ने भविष्‍य में पर्यावरण को लेकर बनने वाले हालात पर चिंता जाहिर भी की है। अलग-अलग तरह की टिप्‍पणियों में यूजर्स ने मानव जाति को चेताया है कि अब भी नहीं संभले तो भविष्‍य में सांस लेना भी दूभर हो जाएगा। फोटो कहां की यह पता नहीं लग पाया है मगर फोटो को देखकर वर्तमान में बने हालातों को सहज ही समझा जा सकता है।


एसी बढ़ाते हैं तापमान, क्लोरोफ्लोरो कार्बन गैस ग्लोबल वार्मिंग में सहायक

बढ़ते तापमान से शहरी क्षेत्र ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं, क्योंकि यहां बनी कंक्रीट की सड़कें और पक्के मकान दिन के समय सूर्य के प्रकाश की गर्मी को सोखते हैं और फिर ताप को छोडऩे लगते हैं, जिससे तापमान बढऩे लगता है। इस क्रिया से शहरों के तापमान में औसतन दो से चार डिग्री सेल्सियस वृद्धि की गणना विभिन्न शोधों में आंकी गई है। शहरों में अंधाधुंध एसी का प्रयोग मकानों को ठंडा तो करता है, लेकिन वह आसपास के तापमान में वृद्धि करने का काम भी करता है, क्योंकि इनमें प्रयोग होने वाली क्लोरोफ्लोरो कार्बन गैस ग्लोबल वार्मिंग में सहायक है। जहां दूर-दूर तक पेड़ नहीं हैं और बहुमंजिला इमारतें होने के
साथ साथ बड़ी संख्या में एसी और वाहन चल रहे हैं, वहां का तापमान बढऩा लाजिमी है।


पेड़ हों तो एसी की जरूरत को 40 फीसद कर सकते हैं कम 

एचएयू कृषि मौसम विज्ञान विभाग वैज्ञानिक डा. मदन खिचड़  ने कहा जिस क्षेत्र में वृक्षों की संख्या ज्यादा हो तो वहां एसी की आवश्यकता को 40 फीसद तक कम किया जा सकता है। पेड़ों की जड़ों में आद्र्रता भी अधिक रहती है, जिससे यहां तापमान कम रहता है। वृक्ष की पत्तियों से निकली जल वाष्प तापमान को कम कर देती है। पेड़ प्रदूषण कम करने के साथ-साथ तापमान को संतुलन करने में सहायक होते हैं।


यूजर्स बोले- अब नहीं संभले तो फिर संभलने का मौका न मिलेगा

यूजर राधी ने कहा पेड़ खत्‍म होते रहे और लोग इसी तरह ऐसी का प्रयोग करते रहे तो एक दिन दुनिया की सबसे बड़ी समस्‍या ऑक्‍सीजन होगी। अंजली यूजर ने लिखा घरों में साज सजावट के लिए बन रहे फर्नीचर को देख हम यह नहीं देखते कि इसके लिए कितने पेड़ कटे होंगे। यूजर अश्‍वनी ने लिखा एसी की ठंडी हवा खाते हैं कभी एसी के पीछे खड़े होकर देखो तक पता लगेगा कि हम क्‍या कर रहे हैं। यूजर आयुष्‍मान ने लिखा यह फोटो कहीं की भी हो, मगर एक बात साफ है, एसी लगाकर आग उगलती दीवारें हम बनाते हैं और दोषी कुदरत को मानते हैं।


चार आदमी जिंदा रह सकें इतनी ऑक्‍सीजन देता है एक पेड़

बता दें कि एक पेड़ कार्बन डॉइ ऑक्‍ससाइड सोखते हैं और ऑक्‍सीजन छोड़ते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार एक पेड़ साल भर में करीब 21.7 किलोग्राम कार्बन डाइऑक्‍साइड सोखता है और चार आदमियों को जरूरत होती है उतनी ऑक्‍सीजन छोड़ता है। ऐसे में पेड़ जीवनदाता हैं। वहीं एक अनुमान के अनुसार भारत देश में करीब 35 अरब पेड़ बचे हैं जो कि बाकि देशों की तुलना में कम हैं। पेड़ ऑ‍क्‍सीजन के अलावा कई तरह की जड़ी बूटियां बनाने और प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा करने में  भी सहायक है।

  • |

Comments

Subscribe

Receive updates and latest news direct from our team. Simply enter your email below :