गब्बर सिंह वैदिक,
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया,
सीटू से सबंधित मिड-डे मील वर्कर्ज यूनियन निरमण्ड ब्लॉक कमेटी की बैठक रविवार को निरमण्ड में आयोजित की गई। बैठक में सीटू नेता देवकी नंद, परस राम, यूनियन ब्लॉक इकाई के महासचिव सत्या देवी सहित कमेटी के सदस्यों ने भाग लिया।
बैठक में 22 सितंबर को विधानसभा के बाहर होने वाले प्रदर्शन को सफल बनाने की योजना बनाई गई। ब्लॉक महासचिव सत्या देवी ने कहा कि मिड-डे मील वर्कर्ज को मई से सितंबर माह तक का मासिक वेतन नहीं मिला है, ऐसे में इस महंगाई के दौर में परिवार का जीवन बसर करना मुश्किल हो गया है। हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा बजट में मिड डे मील वर्करों को 4000 रूपये मानदेय देने की अधिसूचना अभी तक जारी नहीं की गयी हालांकि मानदेय में मात्र 500 रुपये की बढ़ोतरी मिड डे मील वर्करों के साथ मज़ाक है। इस महँगाई के दौर में यह मानदेय बहुत कम है।
वर्तमान प्रदेश सरकार ने 285 स्कूल बंद कर दिए और सरकार की युक्तिकरण नीति से कम विद्यार्थियों वाले 1500 स्कूल बंद होने है। सरकार द्वारा मिड डे वर्कर्स का रोजगार छीना जा रहा है। हिमाचल हाई कोर्ट के 31अक्टूबर 2019 के निर्णय अनुसार मिड
डे मील वर्कर्स दस महीने के बजाए बारह महीने का वेतन नहीं दिया जा रहा है, जबकि पिछ्ली प्रदेश सरकार कोर्ट के इस फैसले को चुनौती देने का काम किया है।
यूनियन ने सरकार से मांग की है कि मिड डे मिल वर्कर का वेतन न्यूनतम वेतन के बराबर 11250 रुपये किया जाए, मिड डे मील वर्कर्स को मजदूर का दर्जा दो, मिड डे मील मजदूरों को हिमाचल हाई कोर्ट के 31 अक्टूबर 2019 के निर्णय अनुसार 10 महीने के बजाए 12 महीने का वेतन दिया जाए, 4 महीने का बकाया वेतन का तुरंत दिया जाए, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 रद्द करे, स्कूल मर्ज होने या बंद होने की स्थिति में मिड डे मील कुक को प्राथमिकता के आधार पर अन्य सरकारी स्कूलो में समायोजित किया जाए। मिड डे मील योजना का किसी भी रूप में नीजिकरण न हो। केन्द्रीय रसोईघरों व योजना को ठेके पर देने पर रोक लगे, डीबीटी के जरिए मिड डे मील योजना को खत्म करने की कोशिश बन्द हो,12वीें कक्षा तक के सभी बच्चों (प्रवासी मजदूरों के बच्चों को भी) को मिड डे मील योजना के दायरे में लाया जाए। इसके लिए अधिक पोषित सामग्री तैयार करके वितरित हो।
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