नई दिल्ली - कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बालासाहेब थोरात (Balasaheb Thorat) ने विधानसभा के CLP पद से इस्तीफा दे दिया है. नासिक विधान परिषद चुनाव के बाद बालासाहेब थोरात और प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले (Nana Patole) के बीच अनबन देखने को मिली थी. सोमवार (6 फरवरी) को बालासाहेब थोरात ने नाना पटोले को लेकर कांग्रेस हाईकमान को पत्र लिखकर नाराजगी भी व्यक्त की थी.
बालासाहेब थोरात ने पत्र में मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) से कहा कि वह नाना पटोले के साथ काम नहीं कर सकते. उन्होंने कहा कि वह हाल ही में हुए नासिक विधान परिषद के चुनाव के सिलसिले में पार्टी के भीतर हुई राजनीति से परेशान थे. बता दें कि नासिक विधान परिषद के चुनाव में सत्यजीत ताम्बे निर्दलीय लड़े थे और चुनाव जीत गए थे. उन्होंने तब कांग्रेस पर उनके परिवार और थोरात को बदनाम करने की साजिश का आरोप लगाया था.
'गलतफहमी के लिए पटोले जिम्मेदार हैं'
कड़े शब्दों में लिखे गए पत्र में थोराट ने कहा, "नाना पटोले में मेरे से गुस्सा हैं, ऐसी परिस्थितियों में उनके साथ काम करना संभव नहीं है. नासिक
में महत्वपूर्ण चुनावों के दौरान भ्रम और गलतफहमी के लिए अकेले पटोले जिम्मेदार हैं." यहां हैरानी की बात है कि नाना पटोले ने थोरात के पत्र पर जवाब देने से ही इनकार कर दिया है.
'मुझे पत्र की जानकारी नहीं है'
थोरात के इस्तीफे पर प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले की भी प्रतिक्रिया सामने आई है. उन्होंने कहा है कि उन्हें इस्तीफे की कोई जानकारी नहीं है और अभी तक उनके पास कोई पत्र नहीं पहुंचा है.
नाना पटोले ने कहा, "मुझे पत्र की जानकारी नहीं है... मुझे नहीं लगता कि थोरात पार्टी नेतृत्व को ऐसा कोई पत्र लिखेंगे. वह हमारे नेता हैं, वह कांग्रेस विधायक दल के नेता हैं." वहीं पत्र में थोरात ने जो कुछ लिखा है उससे कांग्रेस की मुश्किलें जरूर बढ़ने वाली हैं. नासिक विधान परिषद चुनाव में पूरे समय राजनीति हुई.
बालासाहेब थोरात ने लिखा, "मैं इससे दुखी और परेशान हूं... मेरे परिवार के सदस्यों की कड़ी आलोचना हुई, जिसकी कभी उम्मीद नहीं थी. पूरी चुनावी प्रक्रिया के दौरान, मेरे बारे में भ्रम और गलतफहमी पैदा करने का प्रयास किया गया. मैं पैदायशी कांग्रेसी हूं और जीवन भर कांग्रेसी रहूंगा."
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