हैरत होती है प्रकृति के बदलते तेवर देख कर. अभी डेढ़ महीने पहले जिन राज्यों में सूखा था अब वहीं पर बाढ़ आई हुई है. ड्रॉट अर्ली वॉर्निंग सिस्टम (DEWS) की मानें तो 14 जुलाई तक देश का 41.41 फीसदी हिस्सा सूखाग्रस्त है. जबकि, एक महीने पहले यानी 14 जून को देश का 45.11 प्रतिशत इलाका सूखे की चपेट में था. यह सब हुआ मॉनसून के देरी से आने की वजह से. भारतीय मौसम विभाग की मानें तो 65 सालों में दूसरी बार ऐसा हुआ है कि भारत में मॉनसून आने से पहले इतना भयावह सूखा पड़ा. मार्च से मई के बीच सिर्फ 99 मिमी बारिश हुई है. यानी सामान्य से 23 फीसदी कम बारिश.
ड़ेढ-दो महीने पहले बिहार, महाराष्ट्र, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, पुड्डूचेरी, गुजरात, कर्नाटक, तेलंगाना, झारखंड, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा सूखे और गर्मी से परेशान थे. यानी देश के 13 राज्यों की करीब 42 फीसदी आबादी इस प्राकृतिक आपदा से संघर्ष कर रही थी. लेकिन मौसम बदलने के साथ ही इनमें से कई राज्यों में नई मुसीबत आन पड़ी. इस मुसीबत का नाम है बाढ़.
बाढ़ से पानी-पानी हुए देश के कई राज्य
बिहार, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश में पहले सूखा पड़ा, अब बाढ़ के हालात हैं. वहीं, तमिलनाडु, पुड्डुचेरी में भारी बारिश हो रही है. बिहार-असम और पूर्वोत्तर के कई
राज्यों में बाढ़ से अब तक 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. करीब 70 लाख से ज्यादा लोग बाढ़ की वजह से प्रभावित हैं. उत्तर प्रदेश के कई जिलों में नदियों का जलस्तर खतरे के निशान के ऊपर पहुंच गया है. इसकी वजह से राज्य के कई इलाके बाढ़ की चपेट में आ गए हैं.
उत्तराखंड में भारी बारिश से कई जिलों में लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. राज्य में ऑरेंज अलर्ट जारी है. 15 जुलाई को भूस्खलन से गंगोत्री हाईवे बाधित रहा. चारधाम यात्रा रूट और इससे लगे इलाकों में बारिश विपदा बनकर टूट रही है. बारिश से सड़क बंद होने के साथ ही भूस्खलन, भू-धंसाव, कटाव, नदी के ऊफान जैसी घटनाएं बढ़ने लगी हैं.
सूखे का सबसे बड़ा उदाहरण बना चेन्नई, चेरापूंजी
2015 में चेन्नई में भयानक बाढ़ आई थी. लेकिन इस बार गर्मी में 1.10 करोड़ लोगों को पानी की किल्लत से जूझना पड़ा. चार में से तीन जलस्रोत सूख गए. लाखों लोगों की प्यास बुझाने के लिए पानी के टैंकर्स और ट्रेन का सहारा लेना पड़ा. दुनिया का सबसे ज्यादा गीला कहे जाना वाला इलाका चेरापूंजी में पिछले कुछ सालों से सर्दियों के मौसम में सूखा पड़ रहा है. दिल्ली और बेंगलुरु में तो अगले साल तक भूजल खत्म होने की चेतावनी दी गई है.
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