अंजलि यादव,
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया,
नई दिल्ली: तमिलनाडु के कुन्नूर में हुआ हेलिकाप्टर हादसा न सिर्फ स्तब्धकारी, बल्कि गंभीर चिंता का विषय है। उस हेलिकाप्टर में प्रमुख रक्षा अध्यक्ष यानी सीडीएस जनरल विपिन रावत, उनकी पत्नी और उनकी सुरक्षा में तैनात लोग सफर कर रहे थे। चालक दल समेत कुल चौदह लोग उसमें सवार थे। चूंकि सैन्य तंत्र को एक बड़ी क्षति का सामना करना पड़ा है, इसलिए वह देश के जनमानस को विचलित करने वाली है। राष्ट्रीय शोक की इस घड़ी में देश को अपनी संवेदनाओं को प्रकट करने के साथ यह भी संदेश देना होगा कि वह इस आघात से उबरेगा और कहीं अधिक दृढ़ता के साथ अपनी एकजुटता का भी प्रदर्शन करेगा। यह घटना इसलिए और अधिक अकल्पनीय एवं आघातकारी है, क्योंकि जनरल रावत और उनके सहयोगी वायु सेना के सबसे सुरक्षित माने जाने वाले हेलीकाप्टर में सवार थे।
बता दे कि जनरल रावत वेलिंगटन की रक्षा अकादमी में भाषण देने गए थे। दिल्ली से सुलूर तक वायुसेना के विमान से गए और वहां से हेलिकाप्टर में वेलिंगटन के लिए उड़ान भरी थी। बीच रास्ते में हेलिकाप्टर रहस्यमय ढंग से ध्वस्त हो गया। खराब मौसम इसकी वजह बताई जा रही है। पर इसके असल कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है। स्वाभाविक ही सवाल उठ रहे हैं कि एमआइ शृंखला का यह हेलिकाप्टर आखिर दुर्घटनाग्रस्त कैसे हो गया।
वहीं सेना इस हेलिकाप्टर को बहुत भरोसेमंद मानती है। इसमें दो इंजन लगे होते हैं। किन्हीं स्थितियों में एक इंजन में खराबी आने के बाद दूसरा इंजन स्वत: काम करना शुरू कर देता है। इस तरह इसके दुर्घटनाग्रस्त होने की संभावना न्यून रहती है। इसके अलावा इसमें अत्याधुनिक उपकरण लगे हैं, जिनके जरिए बहुत सारी सूचनाएं एकत्र की जा सकती हैं। खराब मौसम, बर्फबारी आदि में भी यह हेलिकाप्टर सक्षमता से उड़ान भर और उतर सकता है। बताते हैं कि पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक में भी सेना ने इसी शृंखला के हेलिकाप्टरों का उपयोग किया था, जिनके जरिए पाकिस्तानी सरहद में साठ सैनिकों को
उतारा गया था। यह ऊंचाई वाले स्थानों पर भी कुशलता से उड़ान भर सकता है।
हालांकि यह कोई पहला विमान हादसा नहीं है, पहले भी कई नामचीन लोग ऐसे हादसों का शिकार हुए हैं, पर पिछले करीब तीस सालों में सेना के किसी बड़े अधिकारी का विमान इस तरह दुर्घटनाग्रस्त नहीं हुआ है। इसलिए भी इस हादसे को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। जनरल रावत चूंकि भारतीय सेना की तमाम रणनीतिक योजनाएं देख रहे थे, पड़ोसी देशों के साथ सीमा विवादों सहित रक्षा परियोजनाओं की रूपरेखा पर उनकी नजर रहती थी, इसलिए उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ऐसे विमान की तैनाती नहीं की जा सकती थी, जिसे लेकर किसी भी प्रकार की आशंका हो। सेना का सर्वश्रेष्ठ हेलिकाप्टर उनकी सेवा में तैनात था। फिर चूक कहां हुई कि ऐसा हादसा हो गया! इससे सेना की तैयारियों पर भी सवाल उठते हैं। हालांकि इस घटना की गहन जांच के आदेश दे दिए गए हैं। इस पर रक्षामंत्री सदन को अवगत कराएंगे। मगर फिलहाल यह सवाल अनुत्तरित है कि एक इतने महत्त्वपूर्ण पद का निर्वाह कर रहे व्यक्ति का विमान इतना असुरक्षित कैसे साबित हुआ।
सरकार के जिम्मेदार पदों का निर्वाह कर रहे अति विशिष्ट लोगों की यात्रा आदि के लिए जिन वाहनों और विमानों का इस्तेमाल किया जाता है, उन्हें तकनीकी और सुरक्षा मानकों पर पूरी सावधानी के साथ जांचा-परखा जाता है। उनके चालक दल में भी सर्वश्रेष्ठ लोग होते हैं। निजी और किराए पर लिए गए विमानों के मामले में तो फिर भी लापरवाही की आशंका हो सकती है, पर सीडीएस जैसे अति विशिष्ट व्यक्ति के विमान को लेकर किसी भी प्रकार की असावधानी अक्षम्य होती है। अगर इसके पीछे किसी प्रकार की साजिश थी, जैसा कि कई लोग कयास लगा रहे हैं, तो फिर यह ज्यादा चिंता का विषय है। इस लिहाज से दूसरे महत्त्वपूर्ण व्यक्ति भी सुरक्षित नहीं माने जा सकते। इस हादसे से सबक लेते हुए विशिष्ट लोगों के सुरक्षा कवच को और मजबूत बनाने की जरूरत है।
Copyright @ 2019 All Right Reserved | Powred by eMag Technologies Pvt. Ltd.
Comments