अंजलि लोकल न्यूज़ ऑफ़ इंडिया नई दिल्ली - साहित्य अकादमी सामारोह
साहित्य समाज का दर्पण होता है साहित्य समाज के घटित घटनाओ के बदलावों के मूल्ये का प्रतिबिम्ब परिवेश बन कर समाज के साहित्य में झलकता है साहित्य समाज सुधारक व समाज में परिवर्तन लाने की नए दिशा को दिखता है वही आज भी कुछ ऐसे साहित्यकार है जो समाज की कुरीतिओ में बदलाव लाते है वही समाज सुधारक एक उपन्यासकार है जिनको कभी यह खबर न थी की कब, कहाँ और कितना जिया जाए ,इसका हिसाब-किताब उन्होंने कभी नहीं रखा और तो और हमें समाज के कुरियो को दर्शाते भी नजर आये प्रदीप सौरभ जी यह वो साहित्यकार है जिनको कभी किसी बात की कोई परवाह नहीं थी प्रदीप सौरभ जी की लिखी एक उपन्यासकार जो 2009 में लिखी गई मुन्नी मोबाइल जो काफी प्रचलित हुई मुन्नी मोबाइल यह उपन्यास जिसमे आनंद भारती इस उपन्यास की मुख्य पात्र के रूप में है तथा इसमें उन्होंने अपराध जगत के बारे भी काफी चर्चा से विश्लेषण किया है मुन्नी मोबाइल में प्रदीप सौरभ जी ने पीछले तीन दशकों के भारत का आईना के रूप में प्रदर्शित किया है मुन्नी मोबाइल एक उपन्यास के रूप में भारतीय समाज का आइना बन बैठी है समाज में हो रहे अपराधों का विश्लेषण कर बैठी है मुन्नी मोबाइल उपन्यास धर्म, राजनीती, बाजार और मीडिया आदि के द्वारा सामाजिक विकास की प्रक्रिया किस तरह प्रेरित व प्रभावित हो रही है, इसका चित्रण प्रदीप सौरभ ने अपनी मुहावरेदार अंदाज में अपने उपन्यास में दर्शाया है मुन्नी मोबाइल के माध्यम से समाज की कुरितियो को लोगो तक पहुंचने की चेष्टा की है
प्रदीप सौरभ के सम्मान में यह आयोजना साहित्य अकादमी कथांसाधि के भवन में आयोजित किया गया था इस समारोह में उनके पहली उपन्यास मुन्नी मोबाइल काफ़ी चर्चा का विषय बनी है पर इस बात को जानने से पहले उनके बारे
में थोड़ी चर्चा हो जाये प्रदीप सौरभ जी का जन्म 5 सितम्बर 1959 में कानपूर , उत्तर प्रदेश में हुआ और इनका ज़्यादातर समय इलाहबाद में ज्यादा उनका समय बीता तथा वही से इन्होने इलहाबाद विश्वविधालय से अपना एम. ए की डग्री प्राप्त की उसके बाद प्रदीप सौरभ जी ने काफी जन आंदोलन में वह भाग लिया प्रदीप सौरभ जी कहानीकार है इनकी कहानी संग्रह पापा मान जाये प्लीज़ ,कविता का संग्रह दरख्त का दर्द , और उनके उपन्यास जो काफी चर्चा का विषय बन गई है उनके उपन्यास ,मुन्नी मोबाइल ( 2009) , तीसरी ताली ( 2011 ), और सिर्फ तितली (2015 ),में और ब्रह्मपुत्र के तट पर (2015), जैसे उपन्यास के साहित्यकार प्रदीप सौरभ जी के सम्मान में यह आयोजना की गई थी प्रदीप सौरभ जी की उपन्यास मुन्नी मोबाइल की खूब तारीफ की गई उनके इस उपन्यास ने उस समारोह में मुन्नी मोबाइल चर्चा का विषय बन कर उभरी
प्रदीप सौरभ जी जो आज के दौर के जाने माने साहित्यकार ,कहानीकार ,उपन्यासकार है प्रदीप सौरभ जी जो एक समय में साप्ताहिक हिंदुस्तान के सम्पादकीय विभाग से जुड़े थे वही आज वो इस मुकाम पर है जहा उनके सम्मान में साहित्य अकादमी कथांसाधि में उनके सम्मान का आयोजन किया गया वह उन्होंने अपनी उपन्यास के चंद बोल बोले जिसे सुन कर वह बैठे सभी लोंगे के मन में समाज में हो रहे अपराधों का प्रकाशन हुआ लोगो के मन में रूचि भी बढ़ी वह कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्होने उनकी सबसे जयादा प्रचलित होने उपन्यास को अब तक नहीं पढ़ा था वही उनकी बातो को सुन कर उन सबको यह आभाष हुआ की मुन्नी मोबाइल आखिर इतनी प्रचलित हुई क्यों उन सब के मन में भी यह इच्छा जगी की अब वो भी मुन्नी मोबाइल के उपन्यास को पढ़ेंगे कुछ इस कदर उनके उपन्यास का जादू लोंगो तक पंहुचा
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