हिंदी जगत का जाने माने उपन्यासकार के सम्मान में रखा साहित्य अकादमी सामारोह

चित्रकूट में मतदान की तैयारियों को लेकर हुई बैठक इटावा सफ़ारी पार्क में 4 नवजात शावकों की मौत पीलीभीत से तीर्थ यात्रियों का जत्था रवाना पंजीयन विभाग ने संपत्ति की रजिस्ट्री सरकारी गाइडलाइन दर से कम रेट में करने पर लगाई रोक कन्नौज न्यायालय में कल लगेगा नि:शुल्क मेडिकल कैंप सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के तहत राजनांदगांव में लोग घरों में लगा सकेंगे सोलर पैनल फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी महेंद्र प्रताप ने पलवल जिले के गांव फुलवाड़ी में जनसभा को संबोधित किया। पीलीभीत में दुष्कर्म के आरोपी को फास्ट्रैक कोर्ट द्वारा सुनाई गई 10 साल सश्रम कारावास की सजा राजनाथ सिंह-ओपी श्रीवास्तव के समर्थन में सीएम योगी ने की जनसभा टोंक : महिला थाने का एएसआई 15 हजार की रिश्वत लेते गिरिफ्तार आज का राशिफल कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इंडी गठबंधन के कुरुक्षेत्र लोकसभा से प्रत्याशी डॉ. सुशील गुप्ता के लिए वोट मांगे । पलवल के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने लू से बचाव के लिए एडवाइजरी जारी की। स्वाति मालीवाल मारपीट मामले पर केजरीवाल पर बरसीं निर्मला सीतारमण लोकसभा चुनाव के सातवें और अंतिम चरण के नाम वापस लेने का आज अंतिम दिन आज विश्‍व दूरसंचार एवं सूचना सोसायटी दिवस है एम्स के चिकित्सक और पूर्व सैनिक मिलकर सामाजिक जागरूकता के लिए पहल करेंगे ग्राम स्वराज किसान मोर्चा ने भिवानी के गांवों में चलाया मतदाता जागरूकता अभियान, युवाओं को दिलाई शपथ बी जे पी उम्मीदवार चौधरी कृष्णपाल गुर्जर और कांग्रेस प्रत्याशी महेंद्र प्रताप ने विभिन्न जन सभाओं को संबोधित किया । वाराणसी में दिव्यांग मतदाता जागरूकता रैली

हिंदी जगत का जाने माने उपन्यासकार के सम्मान में रखा साहित्य अकादमी सामारोह

Anjali 21-07-2022 17:56:36

अंजलि  
लोकल न्यूज़ ऑफ़ इंडिया  
नई दिल्ली - 
साहित्य अकादमी  सामारोह   
 
साहित्य समाज का दर्पण होता है साहित्य समाज के घटित घटनाओ के बदलावों के मूल्ये  का प्रतिबिम्ब परिवेश बन कर समाज के साहित्य में झलकता है साहित्य समाज सुधारक व समाज में परिवर्तन लाने की नए  दिशा को दिखता है वही आज भी कुछ ऐसे  साहित्यकार  है जो समाज की कुरीतिओ में बदलाव लाते  है वही समाज सुधारक एक उपन्यासकार है जिनको कभी यह खबर न थी की  कब, कहाँ और कितना जिया जाए ,इसका हिसाब-किताब  उन्होंने कभी नहीं रखा  और तो और  हमें समाज के कुरियो को दर्शाते भी  नजर आये प्रदीप सौरभ जी यह वो साहित्यकार है जिनको कभी किसी बात की कोई परवाह  नहीं थी प्रदीप सौरभ जी की लिखी एक उपन्यासकार जो  2009 में लिखी गई मुन्नी मोबाइल जो काफी प्रचलित हुई  मुन्नी मोबाइल यह उपन्यास जिसमे आनंद भारती  इस उपन्यास की मुख्य  पात्र के रूप में  है तथा इसमें उन्होंने अपराध जगत के बारे भी काफी चर्चा से विश्लेषण किया है मुन्नी मोबाइल में  प्रदीप सौरभ जी ने  पीछले तीन दशकों के भारत का आईना के रूप में  प्रदर्शित किया है  मुन्नी मोबाइल एक उपन्यास के रूप में भारतीय समाज का आइना बन बैठी है समाज में हो रहे अपराधों का विश्लेषण कर बैठी है  मुन्नी मोबाइल उपन्यास धर्म, राजनीती, बाजार और मीडिया आदि के द्वारा सामाजिक विकास की प्रक्रिया किस तरह प्रेरित व प्रभावित हो रही है, इसका चित्रण प्रदीप सौरभ ने अपनी मुहावरेदार अंदाज में अपने उपन्यास में  दर्शाया है मुन्नी मोबाइल  के माध्यम से समाज की कुरितियो को लोगो तक पहुंचने की चेष्टा की है 

प्रदीप सौरभ  के सम्मान में  यह आयोजना साहित्य अकादमी कथांसाधि  के भवन में आयोजित किया गया था इस समारोह में उनके पहली उपन्यास मुन्नी मोबाइल काफ़ी  चर्चा का विषय बनी है पर इस बात को जानने से पहले उनके बारे
में थोड़ी चर्चा हो जाये प्रदीप सौरभ जी का जन्म 5  सितम्बर 1959 में कानपूर , उत्तर प्रदेश में हुआ और इनका ज़्यादातर समय इलाहबाद में ज्यादा उनका समय बीता तथा वही से इन्होने इलहाबाद विश्वविधालय से अपना एम. ए की डग्री प्राप्त की उसके बाद प्रदीप सौरभ जी ने काफी जन आंदोलन में वह भाग लिया प्रदीप सौरभ जी कहानीकार है इनकी कहानी संग्रह पापा मान जाये प्लीज़ ,कविता का संग्रह दरख्त का दर्द , और उनके उपन्यास जो काफी चर्चा का विषय बन गई है उनके उपन्यास ,मुन्नी मोबाइल ( 2009) , तीसरी ताली ( 2011 ), और सिर्फ तितली (2015 ),में और ब्रह्मपुत्र  के तट पर (2015), जैसे उपन्यास के साहित्यकार प्रदीप सौरभ जी के सम्मान में यह आयोजना की गई थी  प्रदीप सौरभ जी की उपन्यास मुन्नी मोबाइल की खूब तारीफ की गई उनके इस उपन्यास ने उस समारोह में मुन्नी मोबाइल चर्चा का विषय बन कर उभरी  

प्रदीप सौरभ जी जो आज के दौर के जाने माने साहित्यकार ,कहानीकार ,उपन्यासकार है प्रदीप सौरभ जी जो एक समय में  साप्ताहिक हिंदुस्तान के सम्पादकीय विभाग से जुड़े थे  वही आज वो इस मुकाम पर है जहा उनके  सम्मान में साहित्य अकादमी कथांसाधि में उनके सम्मान का  आयोजन किया गया वह उन्होंने अपनी उपन्यास के चंद  बोल बोले जिसे सुन कर वह बैठे सभी लोंगे के मन में समाज में हो रहे अपराधों का प्रकाशन हुआ लोगो के मन में रूचि भी बढ़ी  वह कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्होने उनकी सबसे जयादा प्रचलित  होने उपन्यास को अब तक नहीं पढ़ा था वही उनकी बातो को सुन कर उन सबको यह आभाष हुआ की मुन्नी मोबाइल आखिर इतनी प्रचलित हुई क्यों उन सब के मन में भी यह इच्छा जगी की अब वो भी मुन्नी मोबाइल के उपन्यास को पढ़ेंगे कुछ इस कदर उनके उपन्यास का जादू लोंगो तक पंहुचा  

 

  • |

Comments

Subscribe

Receive updates and latest news direct from our team. Simply enter your email below :