अंजलि यादव,
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया,
नई दिल्ली: महान वैज्ञानिक और पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित डॉक्टर विक्रम अंबालाल साराभाईकी आज 30 दिसंबर, 2021 को 50वीं पुण्यतिथि है. वो साराभाई ही हैं जिन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठनकी स्थापना की. उन्हें भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक भी कहा जाता है. बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि वो भारत में कुछ प्रमुख संस्थाओं के निर्माण प्रयासों में भी शामिल रहे. इनमें आईआईएम-अहमदाबादप्रमुख रूप से शामिल है.
ISRO की स्थापना में प्रमुख योगदान
भारत को अंतरिक्ष के क्षेत्र में नई बुलंदियों पर ले जाने के लिए साल 1962 इंडियन नेशनल कमेटी फॉर स्पेस रिसर्च की स्थापना की गई, जिसका नाम साराभाई के आग्रह के बाद बदलकर इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन कर दिया गया. उन्होंने दक्षिण भारत में थुम्बा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन भी स्थापित किया. साल 1966 में भौतिक विज्ञानी होमी भाभाके निधन के बाद साराभाई को परमाणु ऊर्जा आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया. जिसके बाद परमाणु अनुसंधान के क्षेत्रों में होमी भाभा के प्रयासों को उन्होंने खूब आगे बढ़ाया. वो साराभाई ही थे जिन्हें परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना और इसके विकास के लिए उन्हें काफी हद तक क्रेडिट दिया जाता है. उन्होंने रक्षा उद्देश्यों की पूर्ति के लिए परमाणु प्रौद्योगिकी के स्वदेशी विकास की नींव भी रखी.
विक्रम साराभाई विरासत
केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में स्थित ISRO के प्रमुख रिसर्च सेंटर का नाम विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के नाम पर रखा गया है, जो भारत के सैटेलाइट प्रोग्राम के लिए रॉकेट और अंतरिक्ष व्हीकल पर काम करता है. भारतीय डाक विभाग ने उनकी पहली पुण्यतिथि पर (30 दिसंबर, 1972) को एक स्मारक डाक डिकट जारी किया.साराभाई के निधन के दो साल बाद साल 1973 में इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन ने फैसला किया कि
सी ऑफ सेरेनिटी में एक चंद्र क्रेटर, बेसेल ए, को साराभाई क्रेटर नाम से जाना जाएगा.
भारत के मून मिशन चंद्रयान-2 का नाम साराभाई के नाम पर रखा गया ये चंद्रयान-2 बीस सितंबर, 2019 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरना था.इसी तरह 26 जुलाई, 2019 को हैदराबाद के बीएम बिड़ला साइंस सेंटर में उन्हें एक स्पेस म्यूजियम समर्पित किया गया, जिसे प्रवण शर्मा ने क्यूरेट किया था. 30 दिसंबर 2020 को ओसीके मीडिया ने इसरो के साथ विक्रम साराभाई: पायनियरिंग इंडियाज स्पेस प्रोग्रामनाम की पुस्तक का विमोचन किया.
मालूम हो कि वो डॉक्टर विक्रम साराभाई ही थे जिन्होंने एक ऐसा प्रोजेक्ट शुरू किया जो पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले भारत के पहले कृत्रिम उपग्रह के निर्माण की ओर ले जाएगी. इसे जुलाई, 1996 में लॉन्च किया गया.
विक्रम साराभाई पुरस्कार
साल 1966 में विक्रम साराभाई को भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण से सम्मानित किया गया.साल 1972 में मरणोपरांत भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया.
जीवन के बारे में
विक्रम साराभाई का पूरा नाम विक्रम अंबालाल साराभाई था, जिनका जन्म 12 अगस्त 1919 में गुजरात के अहमदाबाद में हुआ. उनका परिवार शिक्षा के प्रति बहुत जागरूक था. एक समृद्ध जैन परिवार में जन्में साराभाई के घर उस वक्त के विभिन्न क्षेत्रों के ख्याति प्राप्त लोग आया करते थे.
महान वैज्ञानिक साराभाई का निधन
विक्रम साराभाई को 30 दिसंबर, 1971 की रात मुंबई (बॉम्बे) प्रस्थान करने से पहले एमएलवी डिजाइन की समीक्षा करनी थी. तब उन्होंने भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति से फोन पर बात की थी मगर बाचतीच के बीच में दिल का दौड़ा पड़ने की वजह से महज 52 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था. अहमदाबाद में उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया गया.
Copyright @ 2019 All Right Reserved | Powred by eMag Technologies Pvt. Ltd.
Comments