बढ़ता खतरा मतलब बूस्टर डोज

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बढ़ता खतरा मतलब बूस्टर डोज

Anjali Yadav 14-12-2021 17:35:34

अंजलि यादव,

लोकल न्यूज ऑफ इंडिया,

 

नई दिल्ली: कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन से संक्रमण के मामले देश में चिंताजनक ढंग से बढ़ रहे हैं। कुछ समय पहले जब दक्षिण अफ्रीका में कोरोना के नए बहुरूप ओमीक्रान का मामला सामने आया था, तभी कई विशेषज्ञों ने चेतावनी दे दी थी कि अगर समय रहते इससे निपटने के पर्याप्त इंतजाम नहीं किए गए तो यह खतरनाक रूप ले सकता है। वहीं महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, केरल और चंडीगढ़ में नए केस पाए जाने के बाद सोमवार को भारत में ऐसे मरीजों की संख्या 38 हो गई। कई अन्य देशों में भी इसका फैलाव उतनी ही तेजी से हो रहा है। अब तक 63 देशों में इसके पहुंचने की डब्ल्यूएचओ पुष्टि कर चुका है। दुनिया में फिलहाल कोरोना संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले डेल्टा वेरिएंट के माने जा रहे हैं, जो सबसे पहले भारत में पाया गया था। मगर नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के साथ खास बात यह है कि इसका तेज संक्रमण न केवल दक्षिण अफ्रीकी देशों में देखा गया जहां डेल्टा वेरिएंट प्रमुखता में नहीं है, बल्कि ब्रिटेन जैसे देशों में भी पाया गया, जहां डेल्टा ही प्रमुख वेरिएंट है।


एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ओमिक्रॉन के बारे में अभी जो एक बात यकीन के साथ कही जा सकती है, वह है तेजी से फैलने की इसकी क्षमता। यह वैक्सीन के सुरक्षा कवच को भी आसानी से भेदते हुए आगे बढ़ रहा है। इसके लक्षण अभी माइल्ड बताए जा रहे हैं, लेकिन विशेषज्ञ आगाह करते हैं कि आबादी का जो हिस्सा वैक्सीन के सुरक्षा दायरे से बाहर है, उसके संक्रमित होने पर लक्षण
पिछले संक्रमण जितने गंभीर भी हो सकते हैं। इस लिहाज से कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मिले सबक याद रखे जाने चाहिए। भारत में तो अब भी आबादी का एक बड़ा हिस्सा टीकाकरण के दायरे के बाहर है। दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि अपने देश में बच्चों को टीका लगाने का काम अभी शुरू भी नहीं हुआ है। ओमिक्रॉन के बच्चों में भी फैलने को लेकर जानकार खास तौर पर आगाह कर रहे हैं।

 

ऐसे में साफ है कि ओमिक्रॉन को लेकर जरा सी भी लापरवाही हमारे लिए बहुत बड़े संकट का कारण बन सकती है। वायरोलॉजी के एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इस नए वेरिएंट के खतरे को देखते हुए जहां बच्चों के लिए टीकाकरण अभियान शुरू करने की जरूरत है, वहीं बूस्टर डोज देने की भी व्यवस्था तत्काल की जानी चाहिए। बूस्टर डोज के बारे में यह कहा जा रहा है कि तीसरी डोज पहले की दोनों डोज से अलग होनी चाहिए। भारत में चूंकि ज्यादातर लोगों को दोनों डोज कोविशील्ड की लगी हैं, इसलिए तीसरी डोज कोवैक्सीन की हो सकती है। हालांकि सबसे अच्छा विकल्प एमआरएनए (मॉडर्ना और फाइजर द्वारा विकसित) वैक्सीन को माना जा रहा है।


जाहिर है, बूस्टर डोज के लिए कोवैक्सीन का उत्पादन तेजी से बढ़ाने या मॉडर्ना और फाइजर जैसी विदेशी कंपनियों के टीकों का बड़े पैमाने पर ऑर्डर बुक करने और उनकी सप्लाई सुनिश्चित करने की जरूरत होगी। बच्चों के टीकाकरण अभियान के लिए भी नीतिगत फैसले लेने होंगे। सरकार को इन सभी पहलुओं पर गौर करते हुए तेजी से आगे बढ़ना होगा ताकि हालात बेकाबू होने की नौबत न आए।

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