उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़के सांप्रदायिक दंगों में दिल्ली पुलिस के हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल की हत्या के मामले में दाखिल आरोपपत्र में समाजसेवी एवं स्वराज इंडिया प्रमुख योगेंद्र यादव का नाम अया है। हालांकि आरोपपत्र में उन्हें आरोपी नहीं बनाया गया है। आरोपपत्र में कहा गया है कि वह मौके पर भाषण दे रहे थे, तभी भीड़ ने पुलिस पर हमला बोल दिया। इनके अलावा आरोपपत्र में छात्र नेता कवलप्रीत कौर व अधिवक्ता डीएस बिन्द्रा का नाम भी है।
42 वर्षीय हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल की हत्या चांद बाग इलाके में गोली मारकर की गई थी। इससे पहले दो समुदाय विशेषों के बीच पत्थरबाजी हुई थी। इस मामले में दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने बीते आठ जून को कड़कड़डूमा स्थित मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट राकेश कुमार रामपुरिया की अदालत के समक्ष आरोपपत्र दाखिल किया था। पुलिस के मुताबिक यादव, कौर व बिंद्रा उन 17 आरोपियों की सूची में शामिल नहीं है, जिनके खिलाफ यह आरोपपत्र दाखिल किया गया। लेकिन आरोपपत्र में कहा गया है कि इनके तार चांद विरोध प्रदर्शन से जुड़े हुए थे। बिंद्रा जहां (एआईएमआईएम) कौर (एआईएसए), देवांगना कलीटा (पिजंडा तोड़), सफूरा जरगर व योगेंद्र यादव समेत सभी का दंगों के पीछे एक छिपा हुआ एजेंडा था।
वहीं, इस आरोपपत्र में आरोपी बनाए गए 17 आरोपी 18 से 50 वर्ष के बीच की उम्र के हैं। इनमें अधिकांश चांदबाग इलाके के रहने वाले हैं। कुछ नजदीक के इलाके प्रेम नगर, मुस्ताफाबाद आदि के हैं। आरोपपत्र में
कहा गया है कि घटना के समय हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल, गोकुलपुरी के एसीपी व शाहदरा के डीसीपी चांद बाग के पास चल रहे विरोध प्रदर्शन स्थल पर ही थे। तभी भीड़ ने हमला किया। रतन लाल को गोली लगी। वह वजीराबाद रोड पर गिर गए। इसके बाद भी दंगाइयों ने उन्हें लोहे के रॉड व डंडों से पीटा। उन्हें गुरुतेग बहादुर अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। पोस्टमॉर्टम से पता चला कि हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल के शरीर पर गोली के अलावा 21 गहरे जख्म पाए गए थे।
आरोपपत्र में कहा गया है कि योगेंद्र यादव का नाम चश्मदीद गवाहों के बयानों के आधार पर आरोपपत्र में शामिल किया गया है। पुलिस के मुताबिक चश्मदीद गवाहों का कहना है कि चांद बाग के विरोध प्रदर्शन स्थल पर अक्सर अधिवक्ता भानु प्रताप, बिंद्रा, यादव, जेएनयू के बहुत सारे छात्र, जामिया व दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र आया करते थे। ये सभी सरकार व नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ बोला करते थे। यह सिलसिला जनवरी से 24 फरवरी तक जारी रहा।
इस मामले पर योगेंद्र यादव ने कहा कि मैंने तो हर कदम पर हिंसा का विरोध किया है। यह तो पुलिस ही बता सकती है कि मेरा नाम चार्जशीट में क्यों लिया गया है। मैंने जो एक एक शब्द बोला है, उसका रिकॉर्ड है। वीडियो फुटेज है। ट्विटर और फेसबुक पर है। एक भी शब्द ऐसा नहीं है जो हिंसा का समर्थन करता है।
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