रुक्मणि चौरसिया
लोकल न्यूज़ ऑफ़ इंडिया
राजस्थान में जन अनुशासन पखवाड़ा लागू हो गई है. लॉकडाउन और वीकेंड कर्फ्यू को मिलाकर की गई सख्ती को प्रदेश सरकार (Rajasthan Government) ने जन अनुशासन पखवाड़ा नाम दिया है, मकसद है कोरोना संक्रमण की चेन ब्रेक हो. 3 मई तक बाजार, मनोरंजन के स्थान, कार्यालयों और आमजन पर कई पाबंदिया लागू की है. रोजगार और जरुरी उत्पादों की आपूर्ति से जुड़ी कुछ रियायतें इस दौरान दी गई. कारोबारी संगठनों को हालिया सख्ती पसंद नहीं आई है और फोर्टी, एराटिया, जयपुर व्यापार संघ सहित अन्य व्यापार मंडल दूकानों को सख्त कोरोना गाइडलाइन के साथ खोलने के पक्ष में है.
जयपुर सहित प्रदेशभर में जन अनुशासन पखवाड़े के पहले दिन पुलिस नरम दिखाई दी. इसके चलते सड़कों पर दिनभर आवाजाही देखने को मिली. गाइडलाइन (Rajasthan Corona Guideline) जारी होने पर प्रमुख बाजारों में दूकानें नहीं खुली, लेकिन व्यापार मंडल पदाधिकारियों पर दूकानदार वैवाहिक सीजन में दूकानें खोलने का दबाव बनाते दिखे.
कारोबारी संगठन फोर्टी अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल का कहना है कि कोविड के बढ़ते केसों को देखते हुये सरकार ने सख्ती दिखाते हुए आगामी 3 मई तक लॉकडाउन (Lockdown) की घोषणा की है, इस पर राजस्थान के व्यापारी सहमत व एकजुट नही है. कर्फ्यू कोरोना (Corona Curfew) का समाधान नही है, इससे
बेरोजगारी और मारामारी बढ़ेगी, देश के हालात बेकाबू हो जाएंगे, मझले और मध्यम व्यापारी तो सड़क पर आ जाएंगे.
एराटिया के अध्यक्ष बनेचंद जैन का कहना है कि दूकानदारों को समय मिलना चाहिए था. वैवाहिक सीजन होने से ज्वैलरी, गारमेंट और इलैक्ट्रोनिक्स उत्पादों के ऑर्डर मिले हुए है. इनकी सप्लाई पर संकट पड़ेगा, वहीं करोड़ों रुपए का माल गोदामों में सीजन को देखते हुए मंगवाया गया है, इससे नुकसान कारोबारियों को होगा.
राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ ने जन अनुशासन पखवाड़े का समर्थन करते हुए कहा कि ऐसेी सख्ती जरुरी थी. इस दौरान किराना और मंडियां खुली रहेंगी. प्रदेश में किराना और खाद्य उत्पाद सप्लाई पर कोई असर नहीं आने दिया जाएगा. फोर्टी यूथ विंग अध्यक्ष धीरेंद्र राघव का कहना है कि सभी दूकानदार सख्त नियम कायदों की पालना करने को तैयार है, लेकिन वर्तमान वैवाहिक सीजन को देखते हुए बाजारा पूर्ण बंद करना फिलहाल सही नहीं है.
कारोबारी संगठनों का अनुमान है की एक दिन के बाजार बंद से जयपुर में 100 करोड़ और पूरे प्रदेश में 1250 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान खुदरा और थोक विक्रेताओं का होगा. वहीं, सबसे अधिक परेशानी वैवाहिक सीजन के लिए एडवांस ले चुके व्यापारियों को उत्पाद डिलीवरी की होगी. कारोबारी संगठन अब मुख्यमंत्री से गुहार लगाने की तैयारी में है.
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