उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में लखनऊ एसटीएफ ने फर्जी तरीके से शिक्षक की नौकरी दिलाने वाली गैंग का पर्दाफाश किया है। पकड़े गए आरोपी पिता-पुत्र हैं, जो फर्जी दस्तावेज से हैदरगढ़ ब्लॉक में कई सालों से बतौर शिक्षक नौकरी कर रहे थे। इन्होंने भर्ती प्रक्रिया में फर्जी डिग्री व नाम के आधार पर नौकरी हासिल की थी। वहीं, ये लोग फर्जी तरीके से नौकरी दिलाने का रैकेट भी चलाते हैं।
बाराबंकी में फर्जी डिग्री से शिक्षक बने पिता-पुत्र गोरखपुर के रहने वाले हैं, जिन्हें देर रात एसटीएफ ने गिरफ्तार कर लिया। वहीं, एक महिला सहित दो अन्य शिक्षक फरार हैं, जिनकी तलाश की जा रही है। हालांकि, एसटीएफ की ओर से अभी पूरे प्रकरण का खुलासा नहीं किया गया है।
गिरफ्तार किए गए पिता-पुत्र गोरखपुर स्थित नगर कोतवाली क्षेत्र के ग्राम गोपालापुर के मूल निवासी हैं। पिता बृजेश कुमार ने साल 1997 में बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापक के पद पर बलरामपुर जिले से जयकरन दुबे नाम के दस्तावेजों
से नौकरी शुरू की। वर्ष 2016 में महराजगंज जिले से स्थानांतरित होकर बाराबंकी आया। मौजूदा समय हैदरगढ़ ब्लॉक के पूर्व माध्यमिक विद्यालय गेरावां में सहायक अध्यापक पद पर तैनाती है। उसने अपने पुत्र आदित्य त्रिपाठी को साल 2009 में रविशंकर त्रिपाठी के नाम से फर्जी डिग्रियों के सहारे सहायक अध्यापक पद पर प्राथमिक स्कूल हैदरगढ़ में नौकरी दिलाई। ये दोनों फिलहाल बाराबंकी में एक किराए के मकान में रहते हैं और फर्जी तरीके से नौकरी दिलाने का रैकेट चलाते हैं।
करीब दो दर्जन लोगों से नौकरी के नाम पर रुपये वसूलने को लेकर की गई शिकायत पर एसटीएफ जांच कर रही थी। जांच में पाया गया कि बृजेश ने अपने पुत्र के अलावा सुरेंद्र नाथ, सहायक अध्यापक गुलामाबाद व नवनीता यादव, सहायक अध्यापक मसौली को भी फर्जी तरीके से नौकरी दिलवाई थी। सुरेंद्र नाथ व नवनीता की तलाश में एसटीएफ ने उनके घरों पर छापा मारा लेकिन वह नहीं मिले। वहीं, पिता-पुत्र को गिरफ्तार कर पूछताछ की जा रही है।
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