अंजलि यादव,
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया,
नई दिल्ली: कोरोना की चुनौतियों के बीच इस समय देश में मंहगाई ने आम आदमी की कमरतोड़ रखी है। कहा जाता है कि हमारी व्यवस्था तथा शासन में आर्थिक अनुशासन की कमी जिसका परिणाम हमें मँहगाई के रूप में देखने को मिलता है। साथ ही सरकार का दाम बढाने की योजनाओ पर कोई नियंत्रण नही है। सरकार योजनाए बनाती है। परंतु उन्हे पूर्ण रूप से और अच्छी तरह लागू करने मे असर्मथ होती है।
वहीं अब बात उस महंगाई की, जो आने वाले वक्त में पीक पर पहुंचने वाली है। महंगाई को लेकर अभी जो संकेत मिले हैं, उसका संदेश ठीक नहीं है। आरबीआई ने ऐलान किया है कि मार्च में महंगाई पीक पर पहुंचेगी। यानि जनता की मुसीबत और बढ़ने वाली है। तो सवाल ये है कि क्या महंगाई सरकार के नियंत्रण से बाहर हो गई है? ये बात खुद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गर्वनर ने कही है। ना लोन सस्ता होगा,ना ईएमआई में कमी होगी क्योंकि आरबीआई ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। रेपो रेट चार फीसदी और रिवर्स रेपो रेट साढ़े तीन प्रतिशत ही बरकरार रखा गया है।
ब्याज दरों में बदलाव नहीं हुआ है। अगर कुछ बदलने वाली है तो वो है महंगाई की चाल जो आने वाले वक्त में और बढ़
सकती है। पिछली तिमाही में जो खुदरा महंगाई दर 5.6 फीसदी थी। वो मार्च में बढ़कर 5.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है। हंगाई में तेल पेट्रोल भी डालने वाला है। क्योंकि बजट में 1 अक्टूबर 2022 से नॉन ब्लेंडेड फ्यूल पर 2 रुपये प्रति लीटर की दर से अतिरिक्त एक्साइज ड्यूटी लगा दी गई है। दरअसल बढ़ते प्रदूषण को कम करने के लिए सरकार पेट्रोल-डीजल में एथेनॉल ब्लेंडिंग को बढ़ावा दे रही है।
ब्लेंडेड फ्यूल में एथेनॉल मिलाया जा रहा है। आप अभी जो सादा पेट्रोल-डीजल ले रहे हैं, वो नॉन ब्लेंडेड होता है। इधर, एक्स्ट्रा प्रीमियम और स्पीड जैसे पेट्रोल-डीजल ब्लेंडेड रहते हैं। ऐसे में ईंधन में ब्लेंडिंग को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने ये कदम उठाया है। अभी कुल बिकने वाले पेट्रोल-डीजल में लगभग 50% नॉन ब्लेंडिंग वाला है।
इसलिए सादा पेट्रोल डीजल पर एक्साइज ड्यूटी लगने से इनकी कीमतें बढ़नी तय हैं। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल की कीमत बढ़कर 100 डॉलर प्रति बैरल पहुंचने वाली है। इस वजह से भी पेट्रोल और डीजल की कीमतों में आग लगनी तय है। ये आग अभी इसलिए नहीं नजर आ रही है, क्योंकि चुनाव है। चुनाव खत्म होते ही तेल की कीमतों में इजाफा हो सकता है। अगर तेल की कीमतें बढ़ीं, तो हर चीजें महंगी होंगी और जनता की परेशानी बढ़ेगी।
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