अंजलि यादव,
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया,
नई दिल्ली: कहा जाता है कि भारत के इतिहास में रामायण को प्रमाणिक ऐतिहासिक व धार्मिक ग्रंथ माना गया हैं. साथ ही रामायण ने हमें राम की विजय, एक आदर्श पुत्र, पति, भाई, और प्रशासक, योद्धा, रावण, बहु-प्रधान असुर राजा पर अद्वितीय, की जीत के बारे में बताया. तो आज हम एक बार फिर रामयण से जुड़ी कहानियों के साथ हाजिर हुए है. जैसा की सभी जानते है कि लंकापति रावण का वध करने के बाद प्रभु श्रीराम अपनी पत्नी सीता को लेकर आयोध्या वापस आ जाते हैं. और इसी अध्याय के बाद रामायण में लोगों की दिलचस्पी कम होने लगती है. शायद ही कोई जानता हो कि रावण की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी मंदोदरी का क्या हुआ. आइए दशहरे के मौके पर आपको बताते हैं कि आखिर मंदोदरी कौन थी और रावण की मृत्यु के बाद उनका क्या हुआ--
भगवान शिव की तलाश में पहुंची थी कैलाश
पुराणों मुताबिक, मधुरा नाम की एक अप्सरा भगवान शिव की तलाश में एक बार कैलाश पर्वत पहुंच गई थी. मां पार्वती की अनुपस्थिति पाकर वे भगवान शिव को प्रसन्न करने में जुट गईं. पार्वती जब वहां पहुंची तो वह मधुरा के बदन पर शिव की भस्म देखकर क्रोधित हो गईं. उसी समय पार्वती ने मधुरा को 12 साल तक मेंढक बने रहने का श्राप दे दिया.
भगवान शिव ने श्राप को वापस लेने का किया आग्रह
इसके बाद भगवान शिव ने पार्वती से क्रोध में निकले श्राप को वापस लेने का आग्रह किया. माता पार्वती ये श्राप तो वापस न ले सकीं. लेकिन उन्होंने कहा कि 12 साल बाद वह अपने असली रूप में वापस आ जाएंगी. लेकिन तब तक उन्हें ये श्राप भोगना ही होगा.
तपस्या छोड़कर मधुरा को ले आए अपने साथ
असुरराज
मायासुर और उनकी पत्नी हेमा जिनके दो पुत्र मायावी और दुन्दुभी थे, बेटी की कामना के लिए तपस्या कर रहे थे. कैलाश पर्वत पर दोनों कई सालों तक बेटी की कामना के लिए तपस्या करते रहे. जब उन्हें एक कुएं से मेंढक के रोने की आवाज आई तो वे वहां गए और उन्होंने मधुरा की पूरी कहानी सुनी. मधुरा की कहानी सुनकर दोनों का दिल भर आया और वे तपस्या छोड़कर उसे अपने साथ ले आए.
युद्ध के डर से रावण के साथ विवाह किया स्वीकार
रावण की नजर जब पहली बार मंदोदरी पर पड़ी तो उसने असुरराज को शादी के लिए प्रस्ताव भेजा. एक अहंकारी राजा होने की वजह से असुरराज ने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया. इससे राज्य में युद्ध की स्थिति बन गई थी. मंदोदरी जानती थी कि रावण उसके पिता से ज्यादा शक्तिशाली शासक है. इसलिए उसने रावण के साथ विवाह स्वीकार कर लिया.
सीता के अपहरण पर मंदोदरी ने किया था विरोध
सीता का अपहरण करने पर मंदोदरी ने रावण का विरोध किया था. उसने बार-बार रावण को समझाने का प्रयास किया कि राम की पत्नी का इस तरह अपहरण करना लंकेशपति को शोभा नहीं देता है. हालांकि रावण अपने अहंकार और बदले की भावना में इस कदर चूर था कि उसने मंदोदरी की एक नहीं सुनी. आखिरकार राम और रावण के बीच युद्ध हुआ, जिसमें रावण मारा गया.
विभीषण से विवाह करने पर हुई सहमत
रावण का वध करने के बाद प्रभु श्रीराम ने विभीषण को लंका का नया राजा बनाने की सलाह दी और उन्हें मंदोदरी से विवाह करने का प्रस्ताव दिया. हालांकि मंदोदरी ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया और खुद को राज्य से अलग कर लिया. कुछ समय बाद वह विभीषण से विवाह करने पर सहमत हो गईं.
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