अंजलि यादव,
लोकल न्यूज ऑफ़ इंडिया,
राज्यसभा में कृषि सुधार से जुड़े तीन विधेयकों में से दो विधेयकों को आज राज्यसभा पेश किया गया. बता दे कि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने विधेयकों को सदन में रखा. किसान बिल पर राज्यसभा में बहस चल रही है.
विधेयकों को लेकर जल्दबाजी दिखा रही सरकार
विपक्ष का कहना है कि सरकार कृषि विधेयकों को लेकर जल्दबाजी दिखा रही है. वही
सरकार के लिए विधेयकों को राज्यसभा में पास करवाना बड़ी चुनौती है. बताया जाता है कि विपक्षी पार्टियां किसान बिल के विरोध में एक साथ आ सकती है. जिसमे बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस और तेलंगाना राष्ट्र समिति बिल को पारित कराने में अहम भूमिका निभा सकते हैं. एनडीए की पुरानी सहयोगी दल शिरोमणि अकाली दल के विरोध के बाद सरकार को आंतरिक और बाहरी मोर्चे पर विरोध का सामना करना पड़ रहा है.
बिल पारित कराने के लिए सांसदों को जारी किया व्हिप
राज्यसभा में बिल पारित कराने के लिए बीजेपी ने अपने सभी सांसदों को व्हिप जारी करके सदन में मौजूद रहने का निर्देश दिया है. सरकार ने किसान बिल को पास करवाने के लिए समर्थन जुटाने के खातिर विपक्षी दलों से भी मोर्चा बंदी शुरू कर दी है. 245 सदस्यों वाली राज्य सभा में सरकार के पास बहुमत नहीं है. फिलहाल दो स्थान खाली हैं. ऐसे में बहुमत का आंकड़ा 122 है.
मामले से जुड़ी अहम जानकारियां:
बीजेपी के अपने 86 सांसद हैं. एनडीए के घटक दलों व अन्य छोटी पार्टियां मिला कर उसके पास कुल 105 का संख्या बल है. इसमें अकाली दल के तीन सांसद शामिल नहीं हैं क्योंकि उन्होंने इन बिलों का विरोध करने का फैसला किया है.
बहुमत के लिए कम पड़े 17 सांसदों के समर्थन के लिए हमेशा की तरह बीजेपी की नज़रें BJD, AIADMK, TRS, YSRC और TDP पर है. एआईएडीएमके के पास उच्च
सदन में 9 सांसद हैं और उसने बिल के समर्थन की घोषणा की है. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पलानीस्वामी ने तीनों कृषि विधेयकों का समर्थन करने के संबंध में बयान जारी किया है. इस तरह बिल के समर्थन में 114 सांसद हैं.
बहुमत का आंकड़ा 122 है, सरकार को बिल के समर्थन में 8 और सांसदों की जरूरत है. ऐसे में BJD के 9, YSR कांग्रेस के 6, TRS के 7 , और TDP के 1 सदस्य महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. इन दलों के कुल सदस्यों की संख्या 23 है.
सरकार को भरोसा है कि इन विधेयकों के समर्थन में कम से कम 135 से ज्यादा वोट पड़ेंगे. वहीं, इन बिलों के विरोध में पंजाब और हरियाणा समेत अन्य जगहों पर किसान प्रदर्शन कर रहे हैं.
राज्य सभा में 40 सांसदों वाली कांग्रेस दूसरी बड़ी पार्टी है जो बिलों के विरोध में है. यूपीए के अन्य दलों के सांसदों और टीएमसी को मिलाकर संख्या 85 के आसपास है. इनमें एनसीपी के चार और शिवसेना के तीन सांसद भी हैं. एनडीए गठबंधन के घटक दल शिरोमणि अकाली दल के तीन राज्यसभा सांसद बिल के विरोध में वोट करेंगे. आम आदमी पार्टी के तीन सदस्य, समाजवादी पार्टी के आठ सांसद, बीएसपी के चार सांसद भी बिल के विरोध में वोट करेंगे. यानी करीब सौ सांसद बिल के विरोध में हैं.
सरकार ने कुछ विपक्षी पार्टियों विशेषकर शिवसेना से संपर्क साधा है. शिवसेना के सांसद अरविंद सावंत ने कहा कि वह इन तीनों विधेयकों पर सरकार से स्पष्टीकरण चाहते हैं.
राज्य सभा के 10 सांसद कोरोना पॉज़िटिव पाए गए हैं जिनमें बीजेपी, कांग्रेस आदि के सांसद शामिल हैं. अलग-अलग पार्टियों के 15 सांसद इस सत्र में हिस्सा नहीं ले रहे हैं. ऐसे में सरकार को इन तीन बिलों को पारित कराने में ज़्यादा दिक्कत नहीं आएगी.
विपक्ष कृषि से जुड़े तीनों विधेयकों को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग कर रहा है. अगर सरकार संख्या बल जुटाने में नाकाम रही तो विपक्ष की ये मांग स्वीकार करनी पड़ सकती है.
लोकसभा में 17 सितम्बर किसान बिल पारित होने के बाद एनडीए गठबंधन में फूट पड़ गई है. बीजेपी की सहयोगी शिरोमणि अकाली दल की नेता और केंद्र सरकार में मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने मोदी सरकार से इस्तीफा दे दिया था.
इन विधेयकों में किसान उपज व्यापार और वाणिज्य बिल-2020, आवश्यक वस्तु बिल-2020 और मूल्य आश्वासन तथा
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