Pitrupaksha 2020: श्राद्ध में इन सब्‍ज‍ियों का ना करें प्रयोग

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Pitrupaksha 2020: श्राद्ध में इन सब्‍ज‍ियों का ना करें प्रयोग

Gauri Manjeet Singh 08-09-2020 14:23:56

श्रद्धया दीयते इत‍ि श्राद्ध। जो दान चाहे वह भोजन का हो या अन्‍न का, श्रद्धापूर्वक दि‍या जाता है, उसे श्राद्ध कहते हैं। ह‍िंदू शास्‍त्रों में श्राद्ध कर्म विशेष प्रयोजन से क‍िया जाता है। ह‍िन्‍दू धर्म में मान्‍यता है क‍ि प‍ितृपक्ष में हमारे प‍ितर पृथ्‍वी पर आते हैं। उनके वंशज उनके नाम से ब्राह्मणोंको भोजन कराने से वे तृप्‍त होकर और आशीर्वाद देकर अपने धाम चले जाते हैं। आश्‍व‍िन मास के कृष्‍ण पक्ष में श्राद्ध पक्ष का आगमन होता है। कन्‍या रा‍श‍ि में सूर्य के आने से इसे कनागत भी कहते हैं। 

शास्‍त्रों में उल्‍लेख है क‍ि ईश्‍वर की अपेक्षा अपने पि‍तर शीघ्र प्रसन्‍न होते हैं। ईश्‍वर पूरी सृष्‍ट‍ि का ध्‍यान रखते हैं जबकि‍ प‍ितर केवल अपने कुल के लोगों का ध्‍यान रखते हैं और श्राद्ध कर्म से प्रसन्‍न होकर कुल की वृद्ध‍ि, सम्‍मान, प्रति‍ष्‍ठा में बढ़ोतरी ओर घर में धन की बरकत देते हैं।ज्‍योति‍षाचार्य पं.श‍िवकुमार शर्मा के अनुसार श्राद्ध करने के कुछ नि‍यम होते हैं। इन न‍ियमों का पालन बेहद जरुरी है। जान‍िए क‍िन न‍ियमों से श्राद्ध करना चाहि‍ए।  

-श्राद्ध करने का अधि‍कारी पुत्र होता है। पुत्र ना हो तो भतीजा, भांजा और धेवता होता है।  

-अपने पूर्वजों के न‍िम‍ित्‍त के योग्‍य व‍िद्वान ब्राह्मण को आमंत्र‍ित कर भोजन कराना चाह‍िए। इसके पश्‍चात गरीबों को भी अन्‍न का दान करना चाहिए। 

-पितरों के
न‍िम‍ित्‍त श्राद्ध 11:36 बजे से 12:24 बजे में ही करना चाहि‍ए। 

-श्राद्ध में गाय का घी, दूध और दही का प्रयोग अच्‍छा माना गया है। 

-श्राद्ध कर्म में गेहूं, सरसों, जौं, धान और कंगनी से पूरि‍त भोजन से प‍ितर तृप्‍त होते हैं। 

-श्राद्ध में लहसुन, प्‍याज, मसूर, पेठा, लौकी, चना, छोला, काला नमक और बैंगन वर्ज‍ित है।  

-जहां श्राद्ध कर्म करना हो उस स्‍थान पर थोड़े से काले ति‍ल ब‍िखेरने चाह‍िए ताक‍ि वहां से अपव‍ित्र शक्‍त‍ि‍यां चली जाएं और अपने प‍ितरों का आगमन हो। 

-सोने, चांदी और तांबे के पात्रों में प‍ितरों के लि‍ए भोजन न‍िकालना चाह‍ि‍ए।  

-श्राद्ध में प‍िण्‍डों को गाय या बकरी को ख‍िला दें अथवा बहते हुए पानी में छोड़ दें। 

-श्राद्ध के समय एक हाथ से प‍िंड दान एवं अग्‍न‍ि में आहुति‍ दे और तर्पण दोनेां हाथों से करें। 

-सौभाग्‍यवती मह‍िलाओं के लि‍ए नवमी को श्राद्ध करना चाहि‍ए। ज‍िनके प‍ितर युद्ध में मारे गए हैं अथवा ज‍िनका दुर्मरण हुआ है उनका श्राद्ध चतुर्दशी को करना चाह‍िए। 

-ज‍िनके प‍ितरों की मृत्‍यु स्‍वभाव‍िक रूप से हुई है उनका श्राद्ध अमावस्‍या त‍िथि‍ को करना चाह‍िए। 

-श्राद्ध में मामा, भांजा, गुरु, दामाद और भाई को भोजन कराना श्रेष्‍ठ माना गया है।  

-श्राद्ध के भोजन पर म‍ित्रों को न‍िमंत्रण नहीं देना चाह‍िए। 

ये जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।) 

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