नीतीश की वर्चुअल रैली पर भड़के नौजवान

महाराष्ट्र में मुंबई सीमा शुल्क अधिकारियों ने जब्त किया 12.74 किलोग्राम सोना रंगोली बनाकर मतदान के लिए किया जागरूक सहरसा में आयोजित हुआ स्वीप जागरूकता अभियान उदयपुर : भामाशाहों की मदद लेकर स्मार्ट टीवी लगाकर स्मार्ट क्लास रूम तेजस्वी पहुंचे उदाकिशुनगंज विधान सभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानियां ने राज्यपाल व मुख्यमंत्री के साथ की राष्ट्रपति की अगवानी उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग पर काबू पाने के लिए वन विभाग युद्धस्तर पर जुटा The Great Indian Kapil Show: खत्म हुई कपिल शर्मा के शो के पहले सीजन की शूटिंग परीक्षा परिणामों के मद्देनजर विद्यार्थियों को तनावमुक्त करने विभिन्न जिलों में कार्यशाला का आयोजन विशेष पिछड़ी जनजाति के बैगा मतदाताओं को वोट डालने कलेक्टर ने दिया नेवता मतदान केन्द्र का निरीक्षण कर लौट रहे बीएसएफ के जवानों से भरी बस दुर्घटनाग्रस्त-08 जवान घायल टोंक के गांवों में अब ड्रोन से होगा नैनो यूरिया खाद और कीटनाशक दवाई का छिड़काव मथुरा में गेहूं क्रय केंद्र के प्रभारियों के साथ बैठक पूर्वोत्तर रेलवे के अंतर्गत टनकपुर मथुरा विशेष गाड़ी का संचालन दिसंबर 2024 तक के लिए बढ़ा पीलीभीत में बदला मौसम का मिजाज आग को लेकर पीलीभीत टाइगर रिजर्व में भी सतर्कता बरतने के निर्देश आज का राशिफल। ₹30000 तक के महाडिस्काउंट पर मिल जाएंगे ये Gaming Laptop दवाओं का लाखों का खर्चा बचा लेगी ये दाल लखनऊ में सपा नेता राजकिशोर सिंह ने भाजपा की सदस्यता ली

नीतीश की वर्चुअल रैली पर भड़के नौजवान

VIJAY SHUKLA 08-09-2020 11:34:01

लोकल न्यूज आफ इंडिया 
नई दिल्ली .बिहार में चुनाव का बिगुल बज गया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वर्चुअल रैली की. वर्चुअल रैली को लेकर पटना में एक नया नारा गढ़ा गया है- बहुत किया गया था दावा, सब हो गया हवा. जनादेश पर दैनिक चर्चा बिहार पर ही केंद्रित रही. पत्रकार हरजिंदर सूत्रधार थे और इसमें हिस्सा लिया वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, पुष्यमित्र. जनादेश के संपादक अंबरीश कुमार और फजल इमाम मल्लिक ने. चर्चा में चुनाव की संभावनाओं पर भी बात हुई, युवाओं के आक्रोश पर भी और पक्ष व विपक्ष की सियासी उठापटक पर भी. विपक्ष के चेहरे पर भी चर्चा हुई और नए चेहरे की बात भी की गई. बिहार में विपक्ष का चेहरा मीरा कुमार हो सकती हैं कांग्रेस ने इसके संकेत दिए हैं, इसकी चर्चा भी हुई.

हरजिंदर ने चर्चा की शुरुआत में नीतीश कुमार की वर्चुअल रैली का जिक्र करते हुए कहा कि इस बार का चुनाव इसी तरह की वर्चुअल रैली से ही होगा जो भारतीय लोकतंत्र के लिए नया प्रयोग है. उन्होंने बिहार में चुनावी मुद्दों का जिक्र करते हुए पूछा कि वर्चुअल रैली के बाद चुनाव किस दिशा में जाएगी. चर्चा की शुरुआत पुष्यमित्र ने की और कहा कि वर्चुअल रैली को लेकर कहा गया था कि ट्रंप के बाद जदयू ने ही इस तरह का प्लेटफार्म बनाया था जिसमें तीस लाख लोगों को जोड़ा जाना था. लेकिन जो आंकड़े आए उस के मुताबिक 30-32 हजार लोगों ने ही रिऐक्ट किया और जो नया चलन देखने को मिला है उसके मुताबिक दस हजार लोगों ने इसे लाइक किया और 27 हजार लोगों ने डिसलाइक किया. यानी इस रैली को पसंद करने वालों से ज्यादा नापंसद करने वाले रहे. पुष्यमित्र का मानना है कि युवाओं का एक बड़ा तबका जो बेरोजगार है वह अब अपनी नाराजगी का इजहार इसी तरह से कर रहा है, आज उसके निशाने पर जदयू की रैली रही.

उर्मिलेश ने युवाओं का जिक्र करते हुए कहा कि कई मुद्दों को लेकर प्रधानमंत्री को भी बहुत डिसलाइक किया गया. लेकिन यह तात्कालिक प्रक्रिया के रूप में होता है. इसे चुनाव या वोट के डिसकोर्स में देखा नहीं जा सकता. इन युवाओं में अगर सियासी शऊर व समझ है तो इस लाइक और डिसलाइक के बड़े अर्थ निकाले जा सकते हैं. लेकिन अगर सिर्फ तात्कालिक प्रक्रिया है तो इसे मतदान के तौर पर पैटर्न के तौर पर नहीं देखा जा सकता. उर्मिलेश ने कहा कि विपक्ष के पास बिहार में चमत्कारिक चेहरा नहीं है. विपक्ष बिखरा हुआ है. महागठबंधन की तसवीर भी सामने नहीं है जबकि भाजपा-जदयू का गठबंधन बहुत मजबूत दिख रहा है. कहा जा सकता है कि राजद-कांग्रेस के पास ऐसा कोई मजबूत चेहरा नहीं है जिसे आजमाया जा चुका है. यह सही है कि
बिहार में लोग नीतीश सरकार से बहुत नाराजगी है लेकिन कई बार नेतृत्व की कमी की वजह से फिर लोग उसी तरफ चले जाते हैं. अंबरीश ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि लाइक और डिसलाइक नया औजार है. दो दिन पहले थाली बजाने वाली घटना गुस्सा दिखाया है, फिर युवाओं ने गुस्सा दिखाया. लेकिन माहौल इससे बिहार में बनेगा. सोशल मीडिया पर जाएं तो यह बहुत प्रचारित भी हो रहा है. यह सही है कि विपक्ष के पास चेहरा नहीं है. लेकिन बिहार में चुनाव लड़ने के लिए जदयू के मुकाबले राजद और कांग्रेस में ज्यादा आवेदन आ रहे हैं.


पुष्यमित्र ने कहा कि गुस्सा नीतीश कुमार के खिलाफ है और सबसे ज्यादा गुस्सा भाजपा में है. भाजपा वाले तो सुशील कुमार मोदी से गुस्सा हैं. बिहार में युवा नेतृत्व की तलाश है, जो फिलहाल दिखाई नहीं दे रहा है. एक ठहराव वाली स्थिति है. उर्मिलेश ने इसे आगे बढ़ाते हुए कहा कि यह ठहराव बहुत लंबा हो गया है. उन्होंने कहा कि भाजपा ज्यादा इस मामले में गतिशील है और उसके सामने बिहार में नेतृत्व का संकट नहीं है. राजनीतिक प्रयोग के मामले में भी भाजपा सबसे आगे है. लालू प्रसाद की पार्टी की बात करें तो उनके परिवार से बाहर कोई दिखाई ही नहीं देगा और अगर दिखाई देता हुआ नजर आएगा तो उसका कद कम कर दिया जाता है. भाकपा का जनाधार बिहार में सिकुड़ गया है, ऐसे में कन्हैया कुमार भी बहुत कुछ नहीं कर पाएंगे. तेजस्वी यादव भी सवालों में हैं. पिछड़ों में ही उन्हें लेकर सवाल है इसलिए निराशाजनक परिदृश्य है. सरकार के खिलाफ जबर्दस्त आक्रोश है लेकिन विपक्ष बिखरा हुआ है और इसे कैश करने में सक्षम नहीं है. यानी कोई नया नेतृत्व दिखाई नहीं दे रहा है. बिहार में नए नेतृत्व की जरूरत है और राजद जो सबसे बड़ी पार्टी है वह बिखर रहा है. फजल इमाम मल्लिक ने कहा कि लाइक और डिसलाइक की बात जाने भी दें तो युवाओं और छात्रों में आक्रोश है. दो दिन पहले औरंगाबाद में युवाओं ने भाजपा सांसद सुशील कुमार सिंह को घेरा और उन्हें वादे याद दिलाते हुए न सिर्फ 1974 आंदोलन का जिक्र किया बल्कि जेपी का भी जिक्र किया. मुझे लगता है कि यह बड़ी बात ही. इससे युवाओं की सियासी समझ को समझा जा सकता है. ठीक है कि विपक्ष बिखरा हुआ है लेकिन सत्ता पक्ष भी बिखरा हुआ है. भाजपा और जदयू में भी कलह है और लोजपा तो खुल कर विरोध कर रही है. उन्होंने कहा कि इन सबके बीच एक नई चर्चा भी चल पड़ी है. कांग्रेस पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार को मुख्यमंत्री के तौर पर पेश करना चाहती है. क्योंकि राजद आंतरिक कलह से तो जूझ ही रही है, पंद्रह सालों का दाग अभी तक धुल नहीं पाया है.

  • |

Comments

Subscribe

Receive updates and latest news direct from our team. Simply enter your email below :