एयर इंडिया के पायलट दीपक साठे...कोझीकोड में शुक्रवार को हुए प्लेन हादसे में उनकी जान चली गई। लेकिन, उन्होंने अपने अनुभव और सूझबूझ से 169 पैसेंजर्स को बचा लिया। प्लेन में आग लग जाती तो बहुत से लोग मारे जाते। दीपक के कजिन और दोस्त नीलेश साठे ने फेसबुक पोस्ट में बताया कि दीपक ने किस तरह प्लेन को आग लगने से बचाया।
'प्लेन के लैंडिंग गियर्स ने काम करना बंद कर दिया था। दीपक ने एयरपोर्ट के तीन चक्कर लगाए, ताकि फ्यूल खत्म हो जाए। तीन राउंड के बाद प्लेन लैंड करवा दिया। उसका राइट विंग टूट गया था। प्लेन क्रैश होने से ठीक पहले इंजन बंद कर दिया। इसलिए एयरक्राफ्ट में आग नहीं लगी।'
'दीपक को 36 साल का एक्सपीरियंस था। वे एनडीए पासआउट और स्वॉर्ड ऑफ ऑनर अवॉर्डी थे। 2005 में एयर इंडिया जॉइन करने से पहले 21 साल तक एयरफोर्स में रहे थे।'
6 महीने अस्पताल में भर्ती रहे, तब लोगों ने सोचा कि शायद दोबारा प्लेन नहीं उड़ा पाएंगे
नीलेश ने बताया कि 1990 के दशक में दीपक एक प्लेन क्रैश में बच गए थे। उनकी खोपड़ी में कई चोटें आई थीं। 6 महीने अस्पताल में भर्ती रहे थे। किसी ने सोचा नहीं था कि अब दोबारा प्लेन उड़ा पाएंगे, लेकिन उनकी स्ट्रॉन्ग विल पावर और प्लेन उड़ाने के जज्बे की वजह से यह संभव हो पाया, जो एक चमत्कार जैसा था।
xss=removed>वंदे भारत मिशन में शामिल होने पर दीपक गर्व महसूस करते थे
'पिछले हफ्ते उन्होंने मुझे कॉल किया था और हमेशा की तरह खुश थे। मैंने वंदे भारत मिशन के बारे में बात की। वे अरब देशों में फंसे भारतीयों की वतन वापसी करवाने से खुश थे। मैंने पूछा- दीपक कई देश पैसेंजर्स को एंट्री नहीं दे रहे तो क्या आप खाली एयरक्राफ्ट उड़ा रहे हैं? उन्होंने कहा- बिल्कुल नहीं। हम उन देशों के लिए फल, सब्जियां और दवाएं ले जाते हैं। एयरक्राफ्ट कभी खाली नहीं जाते। ये मेरी उनसे आखिरी बातचीत थी।'
नीलेश आगे लिखते हैं-
'एक जवान ने वतन के लोगों की जान बचाने के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी। इस वक्त एक सैनिक की कविता याद आ रही है।'
अगर मैं युद्ध में मारा जाऊं तो...
मुझे बक्से में लिटाकर घर पहुंचा देना
मेरे मेडल मेरी छाती पर रख देना
मेरी मां से कहना कि मैंने कोई कसर नहीं छोड़ी
मेरे पिता से कहना कि सिर नहीं झुकाएं...
अब उन्हें मेरी वजह से टेंशन नहीं होगी
भाई से कहना कि मन लगाकर पढ़ाई करे...
अब मेरी बाइक की चाबी हमेशा के लिए उसकी हो जाएगी
बहन से कहना कि अपसेट न हो...
आज का सूरज ढलने के बाद उसका भाई कभी नहीं जागेगा
और मेरे प्यार से कहना कि रोए नहीं...
क्योंकि, मैं एक सैनिक हूं जिसका जन्म ही जान देने के लिए हुआ था...
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