कानपुर के बिक्ररू गांव में 8 पुलिसकर्मियों के शहीद होने के मामले में एसटीएफ, क्राइम ब्रांच और जिला पुलिस ने 2200 नम्बरों को सर्विलांस पर लिया है। 100 ऐसे लोग चिह्नित किए गए हैं जो उसके करीबी हैं। उनके मोबाइल नम्बरों को लिसनिंग पर लिया गया है। इस आधार पर पुलिस ने 12 संदिग्धों को हिरासत में लिया है। इनसे लगातार पूछताछ जारी है। वहीं पूरी घटना में पुलिस के भेदिए के रूप में संदिग्ध माने जा रहे चौबेपुर एसओ विनय तिवारी को आईजी मोहित अग्रवाल ने सस्पेंड कर दिया है। सूत्रों के अनुसार विकास दुबे की कॉल डिटेल में कई पुलिस वालों के नंबर मिले हैं, सभी की पड़ताल जारी है। पता चला है कि मुठभेड़ की रात तक 24 घंटे में इन लोगों से विकास दुबे की कई बार बातचीत हुई।
आईजी मोहित अग्रवाल का कहना है कि विकास और उसके गुर्गों की तलाश में पुलिस लगातार दबिश दे रही है। बहुत जल्द वह पुलिस के हाथों में होगा। हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे और उसके शूटर गैंग ने जिस तरह से जघन्य हत्याकांड को प्लानिंग के तहत अंजाम दिया, उसने पुलिस विभाग की गोपनीयता
पर सवाल खड़े किए हैं। अधिकारियों को आशंका है कि पुलिस महकमे के ही किसी भेदिए ने चौबेपुर थाने से फोर्स के चलने और गांव पहुंचने तक पल-पल की मूवमेंट की जानकारी विकास दुबे को दी थी।
जांच में शक के आधार पर चौबेपुर थाने के एक दरोगा, सिपाही और होमगार्ड के मोबाइल नंबर की कॉल डिटेल खंगाली जा रही है. सूत्रों के अनुसार मेाबाइल कॉल रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। इसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। उधर ये भी पता चला है कि पीड़ित राहुल तिवारी पर जानलेवा हमले की एफआईआर दर्ज करने के बजाए एसओ चौबेपुर विनय तिवारी विकास दुबे के यहां समझौता कराने पहुंचे थे। इस दौरान राहुल तिवारी को पीटने के साथ एसओ विनय तिवारी को भी विकास ने बेइज्जत किया था। यही नहीं बताया जा रहा है कि देर रात विकास दुबे की गिरफ्तारी को दबिश देने गई टीम में एसओ चौबेपुर सबसे पीछे थे। मामले में एसओ चौबेपुर की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। हालांकि आलाधिकारी इस विषय पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं
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