अमेरिका ने 33 चाइनीज कंपनियों और संस्थाओं को ट्रेड ब्लैकलिस्ट

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अमेरिका ने 33 चाइनीज कंपनियों और संस्थाओं को ट्रेड ब्लैकलिस्ट

Deepak Chauhan 25-05-2020 14:33:01

दुनिया की दो महाशक्तियों चीन और अमेरिका के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। अमेरिका ने 33 चाइनीज कंपनियों और संस्थाओं को ट्रेड ब्लैकलिस्ट में डाल दिया है। माना जा रहा है कि ड्रैगन भी अमेरिकी कंपनियों को ब्लैकलिस्ट करके जवाब दे सकता है।

अमेरिका के कॉमर्स डिपार्टमेंट ने शनिवार को उस काली सूची को लंबा किया जिसमें शामिल कंपनियों और संस्थाओं को अमेरिकी टेक्नॉलजी और अन्य वस्तुओं के एक्सेस से रोका जाता है। इसने कहा है कि इनमें से 24 कंपनियां और यूनिवर्सिटीज के सेना के साथ संबंध थे और 9 संस्थाओं पर शिनजियांग प्रांत में मानवाधिकर उल्लंघन के आरोप हैं। 

इस फैसले की जद में आए कुछ संगठनों ने अमेरिकी कदम की आलोचना की। वहीं, विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका और चीन के बीच तनाव जाएगा। इंटरनेट सिक्यॉरिटी सॉफ्टवेयर की आपूर्ति करने वाली टेक्नॉलजी कंपनी Qihoo 360 ने कहा कि कहा कि इस कदम से कारोबार का राजनीतिकरण किया गया है।

वीडियो रिकॉर्डर्स का उत्पादन करने वाली कंपनी नेटपोसा टेक्नॉलजीज ने कहा कि इस प्रतिबंध से उसके दैनिक कामकाज पर व्यापक असर नहीं होगा। साथ यह भी कहा कि यह सप्लाई चेन को लोक बनाने का काम जारी रखेगी। चीन के पूर्व वाणिज्य मंत्री और कूटनीतिज्ञ झाऊ शिआमिंग ने कहा, ''इस कदम से अमेरिका और चीन टेक्नॉलजी कंपनियों में 2.0 या 2.5 जंग की शुरुआत होगी। यह अंतिम नहीं है और ऐसा होगा।''

अमेरिका और चीन के बीच रिश्ता पिछले कुछ महीनों में बेहद
खराब हो गया है। चीन से निकले कोरोना वायरस महामारी की मार सबसे अधिक अमेरिका पर पड़ी है। दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में ट्रेड से लेकर ताइवान तक कई मुद्दों पर टकराव है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने शनिवार को कहा कि अमेरिकी नेता रिश्ते को नए कोल्ड वार की ओर ले जा रहे हैं। अमेरिकी नेताओं ने हांग-कांग पर नेशनल सिक्यॉरीटी कानून थोपने को लेकर चीन की आलोचना की है। 

चीन के वाणिज्य मंत्रालय से जुड़े अंतराष्ट्रीय व्यापार संघ के सीनियर फेलो ली योंग ने कहा, ''इकाइयों की सूची से अधिक महत्वपूर्ण है अमेरिका की ओर से दिया गया संदेश। यह दिखाता है कि अमेरिका वाणिज्यिक रिश्तों का राजनीतिकरण करना चाहता है। चीन के टेक्नॉलजी विकास को रोकना चाहता है और अपने हाथ फैलाना चाहता है। चीन ने अपने 'अविश्वसनीय इकाई सूची' पर अमल को टाला है क्योंकि यह अभी भी द्विपक्षीय रिश्ते को कुछ बचाना चाहता है।''

चीन ने ट्रेड वॉर के दौरान 2019 के मध्य में कहा था कि वह ब्लैक लिस्ट तैयार कर रहा है, लेकिन कभी यह नहीं कहा कि किन कंपनियों को इसमें रखा गया है। पिछले दिनों जब अमेरिका ने Huawei टेक्नॉलजी पर प्रतिबंध बढ़ाया तो चीन सरकार के मुखपत्र के संपादक ने ट्वीट किया था कि चीन अपनी सूची के जरिए इसका जवाब देगा। अखबार ने सरकारी अधिकारियों के हवाले से कहा था कि अमेरिका की एपल और क्वालकोम जैसी कंपनियों को निशाना बनाया जाएगा।

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