विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को कहा कि हाल में हुए अमेरिका और तालिबान के बीच समझौते से किसी को हैरानी नहीं क्योंकि सबको यह पहले से पता था कि इसमें क्या होने वाला है। उन्होंने यह भी कहा कि शांति समझौते के तहत होने वाली प्रक्रियाओं को भारत को देखना होगा। बता दें कि हाल में ही अमेरिका और तालिबान के बीच शनिवार को कतर में शांति समझौते पर हस्ताक्षर हुए। इस समझौते के अनुसार, 14 महीने के भीतर अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को अमेरिका हटा लेगा। समझौते में शामिल किए गए अन्य शर्तें भी 135 दिन में पूरी कर ली जाएंगी।
उल्लेखनीय है कि इस समझौते के लिए भारत समेत 30 देशों के राजदूतों को दोहा का बुलावा भेजा गया था। सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (CPR) द्वारा आयोजित एक इवेंट में उन्होंने बताया, ‘दोहा में तालिबान और अमेरिका के बीच
का शांति समझौता हैरान करने वाला नहीं था। सबको इस बात की जानकारी थी कि क्या होगा। यह ट्रेलर देखने के बाद ‘पाकीजा’ देखने जैसा था।’ विदेश मंत्री के अनुसार, अफगानिस्तान ने पिछले 20 सालों के दौरान काफी बड़े बदलावों को देखा है। साथ ही उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इन उपलब्धियों को यूं ही बर्बाद नहीं किया जाना चाहिए।
विदेश मंत्री ने कहा, ‘मेरा मानना है कि पिछले 20 सालों में युद्ध ग्रस्त देश में बड़े बदलाव हुए। यह 2001 का अफगानिस्तान नहीं हे। अमेरिका को हमारा संदेश है कि उपलब्धियों को खोना नहीं चाहिए। समझौता किस तरह कारगर होता है इसे देखने के लिए हमें इंतजार करना होगा।’ अमेरिका तालिबान के बीच यह समझौता 18 महीनों की वार्ता के बाद हुआ। इस समझौते का लक्ष्य अफगानिस्तान में शांति के लिए राह प्रशस्त करना और विदेशी सैनिकों को वहां से हटाना है।
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