एशियन बाज़ार में कच्चे तेल की क़ीमतों में 2.5 प्रतिशत की उछाल आई है और अब ये 69.94 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुँच गई है। ये उछाल इस चिंता में है कि कहीं मध्य पूर्व से तेल की सप्लाई रुक न जाए। इस ख़बर के बाद सोने की क़ीमतों में भी उछाल आई है। लेकिन ईरान के हमले से अंतरराष्ट्रीय शेयर बाज़ारों में नकारात्मक असर देखने को मिला है।
जापान का निकेई दो प्रतिशत गिर गया है, जबकि हॉन्गकॉन्ग के हेंग शेंग में एक प्रतिशत की गिरावट आई है। ईरान के सरकारी टेलीविज़न ने कहा है कि ये हमला उनके टॉप कमांडर क़ासिम सुलेमानी की मौत का बदला है। ईरान ने ये हमला क़ासिम सुलेमानी के अंतिम संस्कार के बाद किया. शुक्रवार को अमरीका ने ड्रोन हमला करके क़ासिम सुलेमानी को मार दिया था। सुलेमानी की मौत के बाद से ही ये माना जा रहा था कि अमरीका और ईरान के बीच संघर्ष और बढ़ेगा। ये भी माना जा रहा है कि हॉरमुज़ से होकर दुनियाभर में होने वाली तेल की सप्लाई रुक सकती है। सऊदी अरब, इराक़, संयुक्त अरब अमीरात और क़ुवैत से तेल का निर्यात इसी रास्ते से होता है. ईरान भी ज़्यादातर तेल का निर्यात इसी रास्ते से करता है। ताज़ा हमलों के बाद अमरीकी एविएशन रेगुलेटर फ़ेडेरल एविएशन ऑथॉरिटी (एफ़एए) ने अमरीकी यात्री विमानों को इराक़ की हवाई सीमा से उड़ने के लिए मना कर दिया है। सिंगापुर एयरलाइंस ने भी अपने सभी विमानों को ईरानी हवाई सीमा से न ग़ुजरने को कहा है।
भारत अमरीका और रूस से भी तेल मंगाता है. लेकिन भारत सबसे ज़्यादा तेल मध्य पूर्व के देशों से मंगाता है और इनमें इराक़ का नंबर सबसे पहला है. इसके अलावा सऊदी अरब, ओमान और क़ुवैत भी है। भारत को इसकी चिंता नहीं है कि तेल की सप्लाई में कोई रुकावट आएगी. भारत की चिंता तेल की क़ीमतों को लेकर है. अभी तेल की क़ीमत प्रति बैरल तीन डॉलर बढ़ गई है। भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए प्रति बैरल तीन डॉलर की क़ीमत बढ़ जाना बहुत बड़ी बात होती है। भारत में जो आम उपभोक्ता है, जो पेट्रोल-डीज़ल ख़रीदता है या एलपीजी ख़रीदता है या कंपनियाँ जो इन पर निर्भर हैं, उनके लिए ये अच्छी ख़बर नहीं है। अमरीका की इस कार्रवाई का भारत के लोगों की जेब पर असर पड़ने वाला है क्योंकि आने वाले दिनों में पेट्रोल-डीज़ल और एलपीजी की क़ीमतें बढ़ना तय है। भारत को तेल की आपूर्ति तो होगी, लेकिन क़ीमतें बढ़ेंगी।
सरकार के लिए भी ये चिंता की बात है, क्योंकि तेल की क़ीमतें ऐसी समय में बढ़ रही हैं, जब सरकार के सामने वित्तीय घाटे की चुनौती बनी हुई है. रुपए पर भी दबाव बढ़ेगा. रुपए के लिए अच्छी ख़बर नहीं है। आने वाले सप्ताह में भारतीय उपभोक्ताओं के लिए यह चिंता की बात है. ये भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भी चिंता की बात है। अमरीका ने ये कार्रवाई की तो इराक़ में है ईरान के ख़िलाफ़, लेकिन इसका सबसे प्रतिकूल असर भारत पर पड़ने वाला है।
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