चालू खरीफ सीजन में प्याज की पैदावार में आई भारी गिरावट के चलते यह 80 रुपये प्रति किलो तक बिकने लगा है। इसके मद्देनजर सरकार ने महंगाई को रोकने के लिए हर संभव कदम उठाने की तैयारी की है। इसके लिए आयात नियमों में पर्याप्त ढील दी गई है, ताकि प्याज की क्वालिटी समेत अन्य कई तरह की जांच-परख में अतिरिक्त समय न लगे। केंद्रीय उपभोक्ता मामले व खाद्य मंत्री राम विलास पासवान ने बुधवार को प्याज की आपूर्ति बढ़ाने के लिए समीक्षा बैठक की।
पासवान ने माना कि खरीफ सीजन के प्याज के उत्पादन में 30 से 40 फीसद तक की कमी आने की आशंका है। दरअसल, बेमौसम बारिश की वजह से खेतों में खड़ी फसल को ज्यादा नुकसान हुआ है। इसके चलते घरेलू बाजार में कीमतें चढ़ गई हैं। पासवान के मुताबिक विदेश से प्याज आयात करने की प्रक्रिया को आसान बनाया गया है।
अफगानिस्तान, मिस्र, तुर्की और ईरान के दूतावासों को प्याज आयात में तत्काल मदद करने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि नवंबर के आखिर तक प्याज का भाव नीचे आएगा। उन्होंने
उपभोक्ताओं से इस स्थिति से निपटने में सहयोग की अपील की। प्याज की आपूर्ति बढ़ाने के उपायों के बारे में मंत्री ने बताया कि सबसे पहले प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
व्यापारियों व जमाखोरों पर लगाम कसने के लिए स्टॉक सीमा तय कर दी गई है। जबकि सरकारी गोदामों में पड़े प्याज के स्टॉक को 23.90 रुपये प्रति किलो की दर से उपभोक्ताओं को बेचा जा रहा है। पासवान ने कहा कि बफर स्टॉक में 57 हजार टन प्याज था, जो रियायती दरों पर बेचा जा रहा है। इस स्टॉक का 25 फीसद हिस्सा खराब हो गया। केंद्रीय बफर स्टॉक में अभी भी 1,525 टन प्याज बचा हुआ है।
पासवान ने दिल्ली सरकार पर आरोप लगाया कि उसने प्याज की क्वालिटी पर सवाल उठाकर खरीदने से मना कर दिया। उपभोक्ता मामले विभाग के सचिव अविनाश कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि वर्ष 2019 के खरीफ सीजन में प्याज के उत्पादन में 20 लाख टन की कमी आई है। महाराष्ट्र में बारिश के चलते उत्पादन में गिरावट आई है। दिल्ली में प्याज की महंगाई राजनीतिक रूप से बहुत संवेदनशील है।
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