दिल्ली के GB रोड की महिलाओं का जीवन

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दिल्ली के GB रोड की महिलाओं का जीवन

Deepak Chauhan 13-05-2019 17:13:40

दिल्ली के जी.बी रोड (GB Road) का पूरा नाम गारस्टिन बास्टियन रोड (Garstin Bastion Road) है, जहां 100 साल पुरानी इमारतें हैं. जगह-जगह दलालों के झांसे में नहीं आने और जेबकतरों और गुंडों से सावधान रहने की चेतावनी लिखी हुई है. यह दिल्ली (Delhi) की एक सड़क है, जिसका नाम सुनते ही लोगों की भौंहें तन जाती हैं और वे दबी जुबान में फुसफुसाना शुरू कर देते हैं।  स्कूल में जब मैंने पहली बार इसके बारे में सुना था, तो कौतूहल था कि आखिर कैसी होगी यह सड़क? फिल्मों में अक्सर देखे गए कोठे याद आने लगते थे. याद आती थी मर्दो को लुभाने वाली सेक्स वर्कर्स, जिस्म की मंडी चलाने वाली कोठे की मालकिन और न जाने क्या-क्या. यही कौतूहल इतने सालों बाद मुझे जी.बी. रोड (GB Road) खींच लाया। 


जीबी रोड का इतिहास 

पहले जीबी रोड का नाम गारस्टिन बास्टिन रोड हुआ करता था, लेकिन साल 1965 में इस नाम को बदलकर स्वामी श्रद्धानंद मार्ग कर दिया गया है। जीबी रोड के इस व्यापार का इतिहास काफी पुराना है. बताया जाता है कि मुगलकाल में इस क्षेत्र में कई रेडलाइट एरिया हुआ करते थे और अंग्रेजों के समय इन क्षेत्रों को एक साथ कर दिया गया. उसके बाद इस इलाके का नाम दिया गया जीबी रोड। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के पास अजमेरी गेट से लेकर लाहौरी गेट के बीच का इलाका जीबी रोड कहा जाता है। जीबी रोड पर करीब 25 इमारते हैं और इन इमारतों में 100 से अधिक वेश्यालय चलते हैं. बताया जाता है कि यहां 1000 से अधिक सेक्स वर्कर्स काम करने को मजबूर है। 


चौंकाने वाली बात 

कुछ साल पहले सामने आई एक रिपोर्ट के अनुसार करीब यहां हर महीने करीब 6 लाख कंडोम का इस्तेमाल होता है. इस मामले में महिला आयोग ने दिल्ली एड्स कंट्रोल सोसाइटी को खत लिखकर कंडोम सप्लाई के बारे में विस्तृत रिपोर्ट भी मांगी थी। मौजूदा हालात के अनुसार जीबी रोड पर काम करने वाली सेक्स वर्कर्स की हालात दयनीय है और उन्हें यहां इन महिलाओं को अमानवीय तरीके से रखा जाता है। कई बार जीबी रोड पर सेक्स व्यापार के लिए लड़कियों को गुलाम बनाए जाने की खबरें आती रही हैं और कई बार पुलिस ने कई लड़कियों को मुक्त भी करवाया है। 


इन 7 वजहों से मां नहीं बन पाती कुछ महिलाएं

बीते रविवार सुबह आठ बजे जब मैं जी.बी.रोड (GB Road) पहुंची, तो यह सड़क दिल्ली की अन्य सड़कों की तरह आम ही लगी. सड़क के दोनों ओर दुकानों के शटर लगे हुए थे. इन दुकानों के बीच से ही सीढ़ी
ऊपर की ओर जाती हैं और सीढ़ियों की दीवारों पर लिखे नंबर कोठे की पहचान कराते हैं. कुछ लोग सड़कों पर ही चहलकदमी कर रहे हैं और हमें हैरानी भरी नजरों से घूर रहे हैं. हमने तय किया कि कोठा नंबर 60 में चला जाए। 


सभी महिलाओं के लिए ग्राहकों को मानाने वाला व्यक्ति 

एनजीओ (NGO) में काम करने वाले अपने एक मित्र के साथ फटाफट सीढ़ियां चढ़ते हुए मैं ऊपर पहुंची, चारों तरफ सन्नाटा था. शायद सब सो रहे थे, आवाज दी तो पता चला, सब सो ही रहे हैं कि तभी अचरज भरी नजरों से हमें घूरता एक शख्स बाहर निकला. बड़े मान-मनौव्वल के बाद बताने को तैयार हुआ कि वह राजू (बदला हुआ नाम) है, जो बीते नौ सालों से यहां रह रहा है और लड़कियों (Sex Worker) का रेट तय करता है। 


नए साल का जश्न 

नए साल का जश्न मनाने के लिए कोई गोवा-मसूरी जा रहा है तो कोई हरिद्वार-बनारस जैसे आध्यात्मिक शहरों में जा पहुंचा है। दिल्ली के क्लब, रेस्टोरेंट और पांच सितारा होटल, सब बुक हो चुके हैं।सब अपने-अपने तरीके से नए साल का स्वागत करने को आतुर हैं। इन सबके बीच दिल्ली का रेड लाइट एरिया यानी जीबी रोड भी 31 दिसंबर को खास चर्चा में रहने लगा है। यहां तो नव वर्ष का जश्न ऐसा मनता है कि पुलिस को जीबी रोड के दोनों ओर बेरिकेड लगाकर लोगों की भीड़ रोकनी पड़ती है।

दिल्ली-एनसीआर के अलावा यूपी, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान से भी युवाओं का हुजूम यहां पहुंचता है। इस जश्न के लिए कई कोठो पर बाहर से महिलाओं को बुलाया जाता है।शुरु के नंबरों वाले तीन-चार ऐसे कोठे भी हैं, जहां साल के आखिरी दिन मुजरा होता है।


Sperm एलर्जी क्या है?

पहचान उजागर न करने की शर्त के साथ राजू ने एक सेक्स वर्कर सुष्मिता (बदला हुआ नाम) से हमारी मुलाकात कराई, जिसे जगाकर उठाया गया था. मैं सुष्मिता से अकेले में बात करना चाहती थी, लेकिन राजू को शायद डर था कि कहीं वह कुछ ऐसा बता न दे, जो उसे बताने से मना किया गया है। सुष्मिता की उम्र 23 साल है और उसे तीन साल पहले नौकरी का झांसा देकर पश्चिम बंगाल से दिल्ली लाकर यहां बेच दिया गया था. सुष्मिता ठीक से हिंदी नहीं बोल पाती, वह कहती है, "मैं पश्चिम बंगाल से हूं, मेरा परिवार बहुत गरीब है. एक पड़ोसी का हमारे घर आना-जाना था. उसने कहा, दिल्ली चलो. वहां बहुत नौकरियां हैं तो उसके साथ दिल्ली आ गई. एक दिन तो मुझे किसी कमरे में रखा और अगले दिन यहां ले आया."

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