भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिन हर साल जन्माष्टमी के रूप में खूब धूमधाम से मनाया जाता है। इस साल जन्माष्टमी का त्योहार 24 अगस्त को मनाया जाएगा। देशभर में और इस्कॉन मंदिरों में एक हफ्ते पहले से ही कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर खास तैयारियां शुरू हो जाती हैं।
मंदिरों की सजावट, झांकियां और इन सब के साथ आकर्षक होता है पंजीरी और छप्पन भोग प्रसाद। खासकर, श्रीकृष्ण की जन्मभूमि उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के वृंदावन में जन्माष्टमी की शानदार झांकियां देखने का मजा ही कुछ और है। जन्माष्टमी के दिन भक्त पूरे दिन व्रत करने के बाद मध्य रात भगवान के जन्म के समय उन्हें 56 भोग लगाकर उपवास तोड़ते हैं।
क्या है 56 भोग का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार श्रीकृष्ण ने गोकुलवासियों तो इंद्र देव के कहर यानी भारी वर्षा से बचाने के लिए अपनी कनिष्ठा उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया था। गोकुल गांव के सभी लोगों ने पर्वत के नीचे शरण लेकर तेज बारिश से अपनी
जान बचाई। भगवान श्रीकृष्ण ने लगातार 7 दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाकर सभी गांव के लोगों की रक्षा की। आखिरकार इंद्र देव को विवश होकर बारिश को रोकना पड़ा।
श्रीकृष्ण दिन में आठ तरह का भोजन करते थे लेकिन जब सात दिन गोवर्धन पर्वत उनकी उंगली पर टिका रहा तो उन्होंने कुछ नहीं खाया। बारिश रुकने के बाद खुशी में गांव वालों ने भगवान का आभार प्रकट करते हुए प्रतिदिन भोजन से 7 गुणा ज्यादा छप्पन तरह के पकवान का भोग लगाया। छप्पन भोग में श्रीकृष्ण की पसंद के सभी व्यंजन बनाए गए जिसमें नमकीन, अचार, पेय पदार्थ, फल, अनाज जैसे कई खाद्य पदार्थ शामिल हैं।
जन्माष्टमी के दिन काफी लोग 16 तरह की नमकीन, 20 तरह की मिठाई और 20 तरह के ड्राई फ्रूट्स का भोग लगाते हैं। लेकिन आमतौर पर श्रीकृष्ण को रस्गुल्ला, खीर, मूंग दाल हलवा, काजू, बादाम, खिचड़ी सहित अन्य कई पकवान चढ़ाए जाते हैं। सभी 56 व्यंजनों को एक क्रम में सजाया जाता है।
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