बहुप्रतीक्षित ‘सेक्रेड गेम्स’ का दूसरा सीजन नेटफ्लिक्स पर आ चुका है। देश के इस सफलतम वेब सिरीज को बनाने वालों से एक रोचक बातचीत
साल 2006 में छपने से पहले ही विक्रम चंद्रा का उपन्यास ‘सेक्रेड गेम्स’ चर्चा में आ गया था। फिर भी इसे स्क्रीन तक पहुंचने में एक दशक का समय लग गया। यह एक ऐसी कहानी थी, जिसने मुंबई को एक नए रूप में परिभाषित किया, सुनियोजित अपराधियों, बेतरतीब पुलिस वालों और आतंक की नई-नई योजनाओं के साथ।
नेटफ्लिक्स पर जब यह वेब सिरीज आई, तो इसने हर किसी को चौंकाया। लोगों को लगा कि आखिरकार एक ऐसी वेब सिरीज सामने आई, जो अंतरराष्ट्रीय शोज के दौरान प्रतिस्पर्धा में टिक सकती थी। ‘दि न्यूयॉर्क टाइम्स’ अखबार ने इसे ऊर्जा से लबरेज और मनोरंजक वेब सिरीज कह कर परिभाषित किया। ‘सेक्रेड गेम्स’ उपन्यास के लेखक विक्रम चंद्रा बता रहे हैं कि दूसरे सीजन को बनाना, पहले सीजन को बनाने के मुकाबले ज्यादा चुनौतीपूर्ण क्यों रहा।
मेरे मन में इस बात को लेकर कौतूहल था कि इस सिरीज के लेखक इस कहानी की डबल स्टोरीलाइन को पर्दे पर कैसे दिखाएंगे। कई लोग ऐसा करने की कोशिश करके हथियार डाल चुके थे, यह कहकर कि यह असंभव है। मैं सिर्फ इतना कहना चाहूंगा कि इस शो के लेखकों और निर्देशकों ने बेहतरीन काम किया है।
एक नजरिये से देखा जाए तो पहले सीजन के बाद काम कुछ आसान हो गया था, क्योंकि एक तरह से कहानी की नींव रखी जा चुकी थी। पर दूसरे नजरिये से देखा जाए, तो इस मुकाम पर आने के बाद आप वापस जाकर कुछ बदल नहीं सकते। यह मुझे उपन्यास लिखने के उस पड़ाव की याद दिलाता है, जब कहानी का स्वरूप आपके सामने स्पष्ट हो चुका होता है और आप बस उसका बचा-खुचा हिस्सा पूरा कर रहे होते हैं। इस प्रक्रिया से गुजरने के बाद मेरा 19वीं सदी के लेखकों के लिए सम्मान कई गुना बढ़ गया है
जो कई भागों में अपना उपन्यास लिखा करते थे।
दूसरे सीजन की कौन सी बात को लेकर आप सबसे ज्यादा उत्साहित महसूस कर रहे हैं?
सुरवीन चावला का किरदार जोजो। यह मेरे सबसे पसंदीदा किरदारों में से एक है। मैं इसे लेकर लोगों की प्रतिक्रियाएं जानना चाहूंगा।
हां, यह सच है। एक कंपनी इस पर फिल्म बनाने वाली थी। उसने एक जानेमाने ब्रिटिश स्क्रीन लेखक को इसकी पटकथा लिखने की जिम्मेदारी सौंपी। उसने कोशिश की और आखिरकार हार मान ली। मुझे उससे हमदर्दी है। मुझे लगता है कि इस कहानी के लिए सिरीज का स्वरूप ही सबसे बेहतर विकल्प था, क्योंकि उसमें ही कहानी के अलग-अलग सिरों को समेटने की क्षमता थी।
यह जानना दिलचस्प है कि ‘सेक्रेड गेम्स’ के दूसरे सीजन में जहां पुलिस अफसर सरताज सिंह की मौजूदगी वाला हिस्सा नीरज घेवान ने निर्देशित किया है, वहीं गायतोंडे वाला हिस्सा अनुराग कश्यप ने निर्देशित किया है
‘सेक्रेड गेम्स 2’ का निर्देशन करते हुए अनुराग कश्यप को यह एहसास था कि इससे लोगों की उम्मीदें किस कदर जुड़ी हुई हैं। वह कहते हैं, ‘दुनिया भर के लोगों को इस शो के दूसरे सीजन से बहुत उम्मीदें थीं। यह अच्छी बात है और हमें इस तरह के और शोज की जरूरत है, जिनमें फिल्म मेकर्स प्रयोग कर सकें और तयशुदा हदों से आगे जा सकें। वेन दे सी अस, शेरनोबिल और डार्क जैसे अंतरराष्ट्रीय शोज देखकर मैं एक अलग ही उत्सुकता महसूस करता हूं।’
एक समय था जब ‘मसान’ जैसी फिल्म के साथ मनोरंजन उद्योग में भूचाल ला देने वाले निर्देशक नीरज घेवान टीवी को लेकर थोड़ा आशंकित रहते थे। वह कहते हैं,‘मैंने कभी नहीं सोचा था कि एक दिन मैं भारत का सबसे बड़ा शो निर्देशित करूंगा और वह भी अपने मेंटर अनुराग कश्यप के साथ।’ वह आगे कहते हैं,‘अपने मेंटर के साथ काम करने में जहां एक सहजता होती है, वहीं अतिरिक्त दबाव भी होता है।’
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