तमिलनाडु के सरकारी स्कूलों में हैरान करने वाली प्रथा चल रही है. यहां पर छात्रों की जाति की पहचान करने के लिए उन्हें हाथों पर अलग-अलग रंग की पट्टी पहनने को मजबूर किया जाता है. चौंकाने वाली बात ये है कि बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव एच राजा ने इस प्रथा का समर्थन किया है.
रंगीन पट्टियों से जाति की पहचान
रिपोर्ट के मुताबिक ये पट्टियां लाल, पीली, हरी और भगवा रंग की होती है. इन पट्टियों की पहचान अगड़ी और पिछड़ी जाति के बच्चों की पहचान करने के लिए की जाती है. इसके अलावा 'तिलक' के द्वारा भी बच्चों की जाति की पहचान की जाती है. रिपोर्ट के मुताबिक इस प्रथा का उपयोग खेल टीम का चुनाव करने, दोपहर अवकाश के वक्त छात्रों को फिर से क्लास में लाने के लिए किया जाता है. माना जाता है कि दबंग किस्म के लोग और शिक्षक जान बूझकर इस प्रथा को बढ़ावा देते हैं.
ट्रेनी IAS ने पकड़ा भेदभाव
तमिलनाडु के स्कूल में चल रही इस प्रथा का खुलासा कुछ IAS अफसरों ने किया था. इन अफसरों ने तमिलनाडु सरकार के शिक्षा विभाग को बताया कि बच्चों की कलाई पर अलग-अलग रगों की पट्टियां बांधी जाती है. इससे पता चलता है कि ये बच्चे अगड़ी जाति के हैं या फिर पिछड़ी जाति के.
शिक्षा निदेशक ने जारी किया सर्कुलर
इस खुलासे के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया. शिक्षा निदेशक ने राज्य के सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों को सर्कुलर जारी कर कहा कि तुरंत ऐसे स्कूलों की पहचान की जाए और ऐसी प्रथा के
खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाए.
बीजेपी ने किया बदलाव का विरोध
शिक्षा विभाग का ये सर्कुलर जैसे ही सुर्खियों में आया बवाल मच गया. हालांकि तमिलनाडु से भारतीय जनता पार्टी के नेता एच राजा की इस मामले पर चौंकाने वाली प्रतिक्रिया सामने आई है. एच राजा है ने कहा है कि छात्रों को धार्मिक प्रतीकों को दिखाने से रोकना राज्य सरकार का हिंदू विरोधी कदम है. एच राजा ने कहा कि स्कूलों में रिस्टबैंड पहनने और तिलक लगाने पर कोई रोक नहीं है, स्कूली शिक्षा मंत्री कहते हैं कि उन्हें इस सर्कुलर के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई, इसलिए जिस अधिकारी ने इस सर्कुलर को जारी किया है उसके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए. तमिलनाडु के स्कूली शिक्षा मंत्री के ए सेंगोट्टियन ने कहा कि स्कूलों में इन कास्ट बैंड्स को पहनने पर कोई रोक नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि जिस सर्कुलर के जिरए इन बैंड्स को पहनने पर रोक लगाई गई है, उसे लागू नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि ये सर्कुलर बिना उनकी जानकारी के जारी किया गया था और इसका मकसद विवाद पैदा करना था.
स्कूली शिक्षा मंत्री के ए सेंगोट्टियन भले ही स्कूलों में जाति की पहचान बताने वाले बैंड्स पहनने के समर्थन में हों, लेकिन तमिलनाडु के मत्स्य मंत्री डी जयकुमार की राय अलग है. उन्होंने कहा कि स्कूलों से और शिक्षा प्रणाली से जाति को खत्म किया जाना चाहिए. डी जयकुमार ने कहा कि जाति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए, और उनकी सरकार इस पर काम करेगी.
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