मुंह में मौजूद बैक्टीरिया बनता है कैंसर की वजह

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मुंह में मौजूद बैक्टीरिया बनता है कैंसर की वजह

Gauri Manjeet Singh 05-04-2024 16:19:33

नई दिल्ली। हमारे आसपास ऐसे कई बैक्टीरिया और वायरस मौजूद हैं, जो अलग-अलग तरह की बीमारियों की वजह बनते हैं। इसी क्रम में अब हाल ही में वैज्ञानिकों ने बैक्टीरिया के एक नए प्रकार की खोज की है, जो कोलन या कोलोरेक्टल कैंसर के मामलों में बढ़ोतरी का कारण हो सकता है। हाल ही में इसे लेकर सामने आई एक ताजा स्टडी में यह खुलासा हुआ। 
 

क्या कहती है स्टडी? 
नेचर जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में पाया गया कि एक विशेष जीवाणु, जो ट्यूमर सेल्स को कैंसर से लड़ने वाली दवाओं से बचाता है, परीक्षण किए गए 50% ट्यूमर में पाया गया है। अध्ययन के अनुसार, यह जीवाणु आमतौर पर मुंह में पाया जाता है और आंत तक जा सकता है और पेट के कैंसर के ट्यूमर में विकसित हो सकता है। मुंह में मौजूद ही यह सूक्ष्म जीव कैंसर के बढ़ने के लिए भी जिम्मेदार है और कैंसर के उपचार के बाद मरीज के परिणाम खराब भी हो जाते हैं। 

स्टडी में आया यह सामने 
इस शोध में शामिल 200 मरीजों से निकाले गए कोलोरेक्टल कैंसर ट्यूमर की जांच के दौरान टीम ने फ्यूसोबैक्टीरियम न्यूक्लियेटम के लेवल को मापा। यह एक जीवाणु है, जो ट्यूमर को संक्रमित करने के लिए जाना जाता
है। इनमें लगभग 50% मामलों में, उन्होंने पाया कि हेल्दी टिश्यू की तुलना में ट्यूमर टिश्यू में जीवाणु का केवल एक खास सबटाइप सबसे ज्यादा मात्रा में था। इतना ही नहीं शोधकर्ताओं ने स्वस्थ लोगों के स्टूल सैंपल की तुलना में कोलन कैंसर मरीजों के स्टूल सैंपल में भी इस सूक्ष्म जीव की संख्या को ज्यादा पाया। 

क्या है एक्सपर्ट की राय? 
इस स्टडी के शोधकर्ता और को-ऑथर सुसान बुलमैन ने बताया कि, "फ्यूसोबैक्टीरियम न्यूक्लियेटम युक्त कोलोरेक्टल ट्यूमर वाले मरीजों का सर्वाइवल उन मरीजों की तुलना में खराब था, जिनमें ये बैक्टीरिया नहीं था। इस स्टडी में शोधकर्ता यह पता लगाना चाहते थे कि मुंह में मौजूद यह बैक्टीरिया कैसे गट तक पहुंचता है और कैसे कैंसर के विकास में योगदान देता है। 

ऐसे में पेट तक पहुंचता है बैक्टीरिया 
रिसर्च में पता चला कि यह बैक्टीरिया मुंह से पेट जरिए से ट्रेवल कर सकता है, पेट में एसिड का सामना कर सकता है और फिर लोअर गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट (जीआई) में बढ़ सकता है। कोलन कैंसर के मरीजों के हेल्दी टिश्यू के साथ ट्यूमर टिश्यू की तुलना करते हुए, शोधकर्ताओं ने पाया कि सिर्फ सब-टाइप Fna C2 कोलोरेक्टल ट्यूमर टिश्यू में काफी ज्यादा मात्रा में है और कैंसर के विकास के लिए जिम्मेदार है।

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