सबसे बड़ी परीक्षा है परीक्षा लेना....

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सबसे बड़ी परीक्षा है परीक्षा लेना....

Anjali Yadav 30-11-2021 17:16:12

अंजलि यादव,

लोकल न्यूज ऑफ इंडिया,

 

नई दिल्ली: भारत में भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी अधिक गहरी हैं कि शायद ही ऐसा कोई क्षेत्र बचा हो, जो इससे अछूता रहा है। आज भारत में भ्रष्टाचार हर क्षेत्र में बढ़ रहा है, कालाबाजारी अर्थात जानबूझकर चीजों के दाम बढ़ाना, अपने स्वार्थ के लिए चिकित्सा जैसे क्षेत्र में भी जानबूझकर गलत ऑपरेशन करके पैसे ऐंठना, हर काम पैसे लेकर करना, चुनाव धांधली, घूस लेना, टैक्स चोरी करना, ब्लैकमेल करना, परीक्षा में नकल, परीक्षार्थी का गलत मूल्यांकन करना, यह सब भ्रष्टाचार है। वहीं प्रवेश परीक्षाओं और नौकरियों के लिए होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रश्नपत्र को पहले ही बाहर करके परीक्षार्थियों को बेच देना अब एक बड़ा धंधा बन गया है। हालांकि इसे रोकने के लिए परीक्षाएं आयोजित कराने वाली संस्थाएं और सरकारें काफी चाक-चौबंद इंतजाम करने का प्रयास करती हैं, मगर धांधली करने वाले उसमें भी सेंधमारी कर ही लेते हैं। 

बता दे कि उत्तर प्रदेश में अध्यापक पात्रता परीक्षा यानी टीईटी का पर्चा बाहर हो जाना इसका ताजा उदाहरण है। करीब बीस लाख परीक्षार्थी इस परीक्षा में हिस्सा लेने वाले थे, मगर पर्चा लीक होने की वजह से उसे रद्द करने की घोषणा के बाद उन्हें मायूस होकर वापस लौटना पड़ा।

हालांकि इस मामले में सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए परीक्षार्थियों को राहत की घोषणा कर दी है। यह परीक्षा एक महीने बाद दुबारा आयोजित होगी और इसके लिए दुबारा फार्म भरने की जरूरत नहीं होगी। प्रवेश पत्र दिखा कर परीक्षार्थी राज्य परिवहन सेवा की बसों में मुफ्त यात्रा कर सकेंगे। विशेष कार्यबल ने विभिन्न शहरों में छापेमारी कर कुछ लोगों को गिरफ्तार भी कर लिया है। मगर इससे व्यवस्था की जवाबदेही खत्म नहीं हो जाती। यह कोई पहली घटना भी नहीं है, पहले भी कई मौकों पर इस तरह परीक्षाएं रद्द करनी पड़ी हैं।

छिपी बात नहीं है कि प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल का धंधा चलाने वाले गिरोह देश भर में सक्रिय हैं। वे परीक्षा आयोजित करने वाले संस्थानों के कर्मियों से साठ-गांठ कर पहले ही पर्चा बाहर कर परीक्षार्थियों को ऊंचे दाम पर बेचने का प्रयास करते हैं। कुछ तो इस कदर शातिर हैं कि जिन परीक्षाओं में पर्चा बाहर करना संभव नहीं हो पाता, उनमें वे असली परीक्षार्थी की जगह दूसरे किसी काबिल विद्यार्थी को बिठा कर वह प्रतियोगिता पास कराने का
प्रयास करते हैं। जिन प्रतियोगी परीक्षाओं के पास करने से अधिक कमाई वाले पदों पर पहुंचने की संभावना होती है, उनमें पैसे भी उसी हिसाब से वसूले जाते हैं। लाखों में।

इस तरह अक्सर वे अनेक युवाओं को चिकित्सा विज्ञान, इंजीनियरिंग, यहां तक कि नौकरियों वाली परीक्षाओं में भी घुसाने में सफल हो जाते हैं। इसके लिए प्रतियोगी परीक्षाओं का स्वरूप बदला गया और बहुत सारी परीक्षाएं अब एक अधिक भरोसेमंद प्रणाली से कराई जाने लगी हैं, जिसमें केंद्रों पर लगे कंप्यूटरों पर परीक्षार्थी को तय समय पर प्रश्न मिलते हैं और उसे तत्काल उनके उत्तर देने होते हैं। उत्तरों के मूल्यांकन में भी बहुत वैज्ञानिक पद्धति अपनाई जाती है, जिसके जरिए यह भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि परीक्षार्थी ने खुद जवाब दिए हैं, तुक्का मारा है या नकल करके दिया है। इसके बावजूद नकल के धंधेबाजों पर लगाम नहीं लग पा रही।

किसी भी परीक्षा के प्रश्नपत्र समय से पहले विद्यार्थियों तक पहुंच जाना व्यवस्थागत खामी है। इससे उस परीक्षा आयोजित कराने वाले तंत्र की साख धूमिल होती है। फिर परीक्षा रद्द होने से परीक्षार्थियों का बहुत सारा समय, श्रम और पैसा बर्बाद चला जाता है, जिसकी भरपाई कभी नहीं हो पाती। ताजा मामले में भी बहुत सारे विद्यार्थी एक दिन पहले परीक्षा केंद्रों पर पहुंच गए होंगे और जैसे-तैसे रात गुजारने के बाद केंद्र पर पहुंचे होंगे, पर निराश होकर उन्हें लौटना पड़ा। उनमें न जाने कितने गरीब विद्यार्थी होंगे, जिन्होंने बड़ी मुश्किल से इस परीक्षा के लिए पैसे जुटाए होंगे, महीनों मेहनत की होगी। इस घटना ने एक बार फिर रेखांकित किया है कि परीक्षाओं में धांधली रोकने के लिए अभी और व्यावहारिक उपाय करने की जरूरत है। हमारा देश सत्य, अहिंसा, कर्मठ, शीलता, और सांस्कृतिक मूल्यों के लिए जाना जाता था, लेकिन आज 21वीं सदी के भारत में यह सब चीजें देखने को नहीं मिलती है। जिसके कारण हमारा देश कहीं ना कहीं अपनी मूल छवि को खोता जा रहा है। भ्रष्टाचार का कैंसर हमारे देश के स्वास्थ्य को नष्ट कर रहा है। यह आतंकवाद से भी बड़ा खतरा बना हुआ है।
अगर हमें भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त करना है तो राजनेताओं, सरकारी तंत्र और जनता को साथ मिलकर इसके खिलाफ लड़ना होगा तभी इस भ्रष्टाचार रूपी दानव से हम अपने देश को बचा सकते हैं।

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