फेफड़ों के कैंसर (लंग कैंसर) की वजह से भारत में हर साल हजारों लोगों की मौत होती है. इंसानों की जिंदगी को निगलने वाले लंग कैंसर के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 1 अगस्त को 'वर्ल्ड लंग कैंसर डे' सेलिब्रेट किया जाता है. फेफड़ों में होने वाले इस कैंसर के शुरुआती चरणों की पहचान करना मुश्किल है, लेकिन अगर आप इसके लक्षणों को भांप लें तो इस खतरे को टाला जा सकता है.
लंग कैंसर की चपेट में भारत
फेफड़ों का कैंसर दुनियाभर में सामने आने वाला सबसे आम कैंसर है. कैंसर अगेंस्ट इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर साल लंग कैंसर के करीब 67 हजार नए मामले सामने आते हैं, जिनमें 48 हजार से ज्यादा पुरुष और 19 हजार से ज्यादा महिलाएं शामिल होती हैं.
हर साल होती हैं इतनी मौत
रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि भारत में हर साल फेफड़ों के कैंसर की वजह से मरने वालों की संख्या 63 हजार से भी ज्यादा है.
स्तन, गर्भाशय ग्रीवा और मौखिक गुहा कैंसर के बाद फेफड़ों का कैंसर चौथे स्थान पर आता है.
किस कारण से हो रहा फेफड़ों का कैंसर?
कैंसर की घटना के संदर्भ में भारत में लगभग 90 फीसदी फेफड़े के कैंसर के मामले सिगरेट, बीड़ी या हुक्का से जुड़े हैं. अन्य 10 फीसदी लोगों में इस रोग का प्रमुख कारण पर्यावरण में कैंसरकारी तत्वों की मौजूदगी है. फेफड़ों के कैंसर के लिए धूम्रपान सबसे बड़ा कारक है. वहीं दूसरी ओर व्यावसायिक कैंसर भी इसका एक कारण है. जब कोई व्यक्ति कार्यस्थल पर कैंसर पैदा करने वाले पदार्थ के संपर्क में आता है तो उसे व्यावसायिक कैंसर कहते हैं.
क्या होते हैं लक्षण?
फेफड़ों के कैंसर होने कई लक्षण होते हैं. इसमें लंबे समय तक लगातार खांसी आना. खांसी के साथ खून आना. जल्दी सांस फूलना या घबराहट होना भूख न लगना और जल्दी थकावट हो जाना. हर वक्त कमजोरी महसूस करना. बार-बार संक्रमण का होना. इसके अलावा हड्डियों में दर्द और चेहरे, हाथ या गर्दन में सूजन भी इसके सामान्य लक्षण हैं.
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