बाजी की उम्मीदवारी....

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बाजी की उम्मीदवारी....

Anjali Yadav 19-01-2022 16:11:10

अंजलि यादव,

लोकल न्यूज ऑफ इंडिया,

 

नई दिल्ली: भारत में विविध रूपी राजनीति का सदैव स्वागत होना चाहिए। आम आदमी पार्टी ने पंजाब विधानसभा चुनाव में भगवंत मान को मुख्यमंत्री पद के लिए अपना उम्मीदवार बनाकर बहुतों को चर्चा का विषय दे दिया है। राजनीति का पहला लक्ष्य ही यही है कि उसके द्वारा स्थापित नेता या नेतागीरी की अधिक से अधिक चर्चा हो। इसमें कोई शक नहीं कि भगवंत मान पंजाब में आप के लिए एक ऐसा चेहरा हैं, जिनकी पहचान देश-दुनिया में आम आदमी पार्टी से भी पुरानी है। तो मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की पहले घोषणा करके आम आदमी पार्टी ने एक तरह से बाजी मार ली है। पंजाब में सत्ताधारी कांग्रेस में हम देख ही रहे हैं कि मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान जारी है और मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के नाम की घोषणा का खतरा पार्टी उठाने की स्थिति में अभी नहीं दिखती। ऐसे में, भगवंत मान को आगे करके आम आदमी पार्टी ने राज्य के मतदाताओं को सोचने का एक मौका दे दिया है। भाजपा ने भी अभी मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का नाम स्पष्ट नहीं किया है। जाहिर है, आम आदमी पार्टी अब कह सकती है कि उसके पास चेहरा है और उस चेहरे को उसने आगे कर दिया है।

ऐसा नहीं है कि भगवंत मान का चयन आसान रहा हो। उनके नाम का विरोध भी हो रहा था। इसके लिए बाकायदा सर्वेक्षण कराया गया है, जिसमें 93 प्रतिशत लोगों ने भगवंत मान को आप का मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाने की बात कही है। उम्मीदवार के चयन के लिए सर्वेक्षण की सराहना करनी चाहिए। हालांकि, आप के विरोधी यह कहेंगे कि आप ने सर्वेक्षण का दिखावा किया है और उसके पास भगवंत मान से सशक्त कोई
नाम पंजाब में नहीं था, लेकिन तब भी पार्टी द्वारा ऐसे किसी सर्वेक्षण की घोषणा मायने रखती है। विवाद की स्थिति में पार्टियों को ऐसे सर्वेक्षण का सहारा लेने में हिचकना नहीं चाहिए। चयन में हाईकमान की मर्जी से बहुत श्रेष्ठ है सार्वजनिक सर्वेक्षण। वास्तव में, अगर पार्टियों के अंदर संगठन के चुनाव होते, तो हाईकमान की मर्जी या ऐसे सर्वेक्षणों की नौबत ही नहीं आती, लेकिन हमारे यहां राजनीति में जो सामंती व्यवस्था है, उसमें संगठन चुनाव के पक्षधर कितने होंगे, कहना मुश्किल है। यह अच्छी बात है कि मान राजनीति में नए नहीं हैं। साल 2011 से ही वह राजनीति में कमोबेश सक्रिय हैं। साल 2014 और 2019 में संगरूर से लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। उनके राजनीतिक वजन को नकारा नहीं जा सकता। 


48 साल के भगवंत मान ऐसी हस्ती हैं, जिनकी छवि विदूषक की है, लेकिन उनमें पर्याप्त गंभीरता भी रही है और उनके क्षेत्र में लोग उन्हें बहुत पसंद करते हैं। राजनीति में आने के बाद वह कॉमेडी से दूर हैं। वैसे तो वह साल 1992 से ही कॉमेडी कर रहे हैं, पर उन्हें देशव्यापी ख्याति ग्रेट इंडियन लॉफ्टर चैलेंज  से 2008 में मिली थी। पंजाबी कॉमेडियन से वह भारतीय कॉमेडियन में तब्दील हुए थे। यह देश किसी कॉमेडियन को ऊंचे पदों पर देखने का आदी नहीं है। तमिलनाडु को अगर छोड़ दें, तो बाकी भारत में बड़े अभिनेताओं को भी लोग नेता के रूप में आसानी से स्वीकार नहीं करते हैं। ऐसे में, मुख्यमंत्री पद के लिए भगवंत मान की उम्मीदवारी एक कामयाबी है। चुनावी मैदान में उन्हें पूरे दमखम और मजबूत चरित्र के साथ सामने आना होगा। राजनीति कतई कॉमेडी नहीं है, यह बात पंजाब में दूसरी पार्टियां अब बेहतर समझ रही होंगी।  

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