नई दिल्ली - सुप्रीम कोर्ट से केंद्रीय मंत्री नारायण राणे को बड़ा झटका लगा है. अदालत ने केंद्रीय मंत्री की वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें 'आदिश बंगले' में कथित अनधिकृत निर्माण को तोड़ने के बॉम्बे होईकोर्ट के आदेश को रोकने की मांग की गई थी. अदालत के फैसले के मुताबिक केंद्रीय मंत्री नारायण राणे को अगले दो महीने में खुद ही अवैध निर्माण को गिराना होगा. ऐसा नहीं करने पर बृहन्मुंबई महानगर पालिका इमारत को तोड़ेगी.
आरटीआई एक्टिविस्ट संतोष दौंडकर ने BMC में शिकायत की थी कि नारायण राणे के बंगले में अनधिकृत निर्माण हुआ है. BMC ने जुहू स्थित अधीश बंगले को धारा 351(1) का नोटिस जारी कर कहा है कि केंद्रीय मंत्री ने अनधिकृत निर्माण किया है. इसके बाद BMC अधिकारियों ने उन्हें यह साबित करने के लिए कहा था कि बंगले में किए गए परिवर्तन स्वीकृत किए
गए नक्शे के अनुसार थे. फिर राणे ने सारे दस्तावेज नगर पालिका को दिखाए लेकिन BMC उनके जवाब से संतुष्ट नहीं हुई और उन्हें फिर नोटिस भेजा गया.
BMC ने 21 फरवरी को किया था निरीक्षण 21 फरवरी को BMC ने बंगले का दौरा कर उसका निरीक्षण किया. नगर निगम ने पाया कि सभी मंजिलों पर 'उपयोग में बदलाव' हुआ है और अधिकांश जगहों पर गार्डन की जगहों पर कमरे बनाए गए हैं.
इस साल मार्च में जब महा विकास अघाड़ी सत्ता में थी, बीएमसी ने केआरईपीएल को नोटिस जारी किया था कि वह 15 दिनों के भीतर अपने परिसर में लगभग 300 प्रतिशत के अवैध निर्माणों को हटा दे. इस नोटिस को केआरईपीएल ने चुनौती दी थी. कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि बीएमसी को सुप्रीम कोर्ट के फैसलों और वैधानिक प्रावधानों के साथ असंगत कदम उठाने की अनुमति नहीं दी जा सकती.
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