अंजलि यादव,
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया,
नई दिल्ली: व्लादिमीर पूतिन के यूक्रेन के दोनबास क्षेत्र के दोनेत्सक और लुहांस्क को अलग देश के रूप में मान्यता देने के बाद अमेरिका, यूरोपीय देशों, जापान, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा ने रूस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंधों की घोषणा की है। इन पाबंदियों के कारण रूस के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार से फंड जुटाना मुश्किल हो गया है। जर्मनी ने रूस के साथ एक अहम गैस पाइपलाइन पर काम रोक दिया है। इन पाबंदियों का असर भारत पर भी पड़ेगा। खासतौर पर, हथियारों की खरीद पर।
भारत के लिए रूस 60 प्रतिशत के साथ सबसे बड़ा हथियार सप्लायर है। अब अमेरिका, भारत पर रूस से हथियार ना खरीदने का दबाव बढ़ा सकता है। इसकी आंच एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम सौदे पर भी पड़ सकती है। भारत ने अक्टूबर 2018 में रूस के साथ 5 अरब डॉलर में इसकी पांच यूनिटें खरीदने का समझौता किया था। इनमें से एक यूनिट लगाई जा चुकी है और दूसरी मार्च तक लगने की उम्मीद है।
बाकी की तीन यूनिटें रूस ने इस साल सितंबर तक भारत को देने का वादा किया है। अमेरिका ने भारत को इस सौदे के लिए मना किया था। उसने 2017 के अपने काट्सा कानून (काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शंस एक्ट) के तहत भारत पर प्रतिबंध लगाने की धमकी दी थी। हालांकि, अभी तक उसने ऐसा नहीं किया है। रूस पर प्रतिबंध से ब्रह्मोस
मिसाइलों का निर्यात भी प्रभावित हो सकता है। भारत और रूस ने मिलकर इस मिसाइल का निर्माण किया है।
हाल ही में भारत को फिलीपींस से इसके लिए 36.5 करोड़ डॉलर का पहला ऑर्डर मिला है। भारत और रूस ने चार फ्रिगेट्स को मिलकर बनाने के साथ एसयू-एमकेआई और मिग-29 एयरक्राफ्ट की सप्लाई का भी समझौता किया है। इन पर प्रतिबंधों की आंच आ सकती है। इसके अलावा, दोनों देश बांग्लादेश में रूपपुर न्यूक्लियर पावर प्लांट बनाने के लिए भी सहयोग कर रहे हैं, अमेरिकी प्रतिबंधों से यह प्रॉजेक्ट भी प्रभावित हो सकता है।
इन पाबंदियों से अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल के दाम में और बढ़ोतरी हो सकती है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बुरी खबर होगी। यूक्रेन क्राइसिस के कारण पहले ही क्रूड ऑयल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच चुकी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी मंगलवार को कहा था कि तेल के बढ़ते दाम से वित्तीय स्थिरता को लेकर चुनौती बढ़ सकती है। इसके अलावा, भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ने रूस में करीब 14 अरब डॉलर का निवेश किया हुआ है, जिसके इस प्रतिबंध से प्रभावित होने की आशंका है। इन पाबंदियों से रूस और भारत के बीच 10 अरब डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार पर भी आंच आ सकती है, जिसे 2025 तक दोनों देशों ने बढ़ाकर 25 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य रखा है।
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