यूपी से लेकर राजस्थान तक हर जगह मुन्ना भाई सिस्टम मजबूत हैं इतना मजबूत की सरकारों के मजबूत इरादों को यह चुटकियो में धता बता देते हैं। आज तक इनके नेक्सस को कोई भी सरकार काबू नहीं पा पाई इसके पीछे शायद सरकारी सिस्टम की कोई खामी जरूर होगी और खामी समाज की भी जिनकी वजह से यह मुन्ना भाई गैंग जिन्दा रहती हैं क्योकि कुछ लोग कि सोच में पैसे से सब कुछ खरीदने का दमखम रहता हैं और उनकी पैठ सरकार , विपक्ष और प्रशासन में पक्की हुए बिना शायद यह खेल ना चले।
योगी जी ने अभी पिछले कार्यकाल में ऐसे ही एक मुन्ना भाई गैंग के लोगो पर सख्त कार्रवाई की थी और तब माना जा रहा था कि अब यूपी में सब कुछ दुरुस्त होगा पर वो चुनाव था और उस समय बाबा का बुलडोजर बेतहाशा भगा रहा था सबको। पर मुख्यमंत्री बनते ही यह दुबारा काण्ड बेख़ौफ़ तंत्र का योगी जी पर भारी पड़ने का संकेत तो नहीं।
निश्चित तौर पर एक साथ समूचे राज्य में परीक्षाओं का आयोजन एक बड़ा और जटिल काम है, लेकिन इसके समांतर यह भी सच है कि इसके लिए सरकार के तहत एक व्यापक और सुगठित तंत्र काम करता है। इस दौरान इसका मुख्य काम यही सुनिश्चित करना होता है कि परीक्षाओं का आयोजन पूरी तरह पारदर्शी और ईमानदार तरीके से हो। लेकिन कामकाज में लापरवाही या फिर इस तंत्र के ही कर्मचारियों या अधिकारियों की मिलीभगत की वजह से मेडिकल-इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में दाखिले या फिर किसी नौकरी के लिए प्रतियोगिता परीक्षाएं या फिर स्कूल-कालेज की परीक्षाओं के भी प्रश्न पत्र अक्सर लीक हो जाते हैं। इस घोटाले में लगे लोग लीक हुए प्रश्न पत्र को लाखों रुपए में बेच कर भारी कमाई करते हैं।
जाहिर है, इसमें मोटे पैसे या संपर्कों के जरिए कामयाबी हासिल करने वालों को तो गलत तरीके से फायदा मिल जाता है, मगर वैसे विद्यार्थी या प्रतिभागी कई बार इसी वजह से दाखिले, नौकरी या फिर कोई परीक्षा पास करने से वंचित रह जाते हैं, जिन्होंने बहुत मेहनत से तैयारी की होती है। यानी परीक्षाओं के पर्चे लीक होने की घटनाएं एक तरह से ईमानदार तरीके से पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों की मेहनत को भी बेकार कर देने की वजह बनती हैं।
आपको बता
दे कि उत्तर प्रदेश में बारहवीं कक्षा की परीक्षा में कई जगहों पर अंग्रेजी विषय की परीक्षा होनी थी, मगर उससे दो घंटे पहले ही यह खबर सामने आई कि प्रश्न-पत्र बाहर कुछ लोगों के हाथ लग गया है और वे उसका उत्तर तैयार करा रहे हैं।इसके बाद आनन-फानन में अधिकारियों ने चौबीस जिलों में परीक्षा रद्द करने की घोषणा कर दी। हालांकि इक्यावन जिलों में परीक्षा सामान्य तरीके से संचालित हुई। मामले के तूल पकड़ने के बाद जांच के लिए विशेष टीम का गठन किया गया और कुछ थानों में मुकदमा दर्ज कर सत्रह आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। हैरानी की बात यह है कि प्रश्न पत्र की बात उजागर होने और उसके सुर्खियों में आ जाने के बाद कार्रवाई में जैसी तेजी देखी गई, उतनी ही सजगता परीक्षा के पहले नहीं थी। यह भी कहा जा सकता है कि परीक्षा के आयोजन में शामिल कर्मचारियों या अधिकारियों के मिलीभगत के बिना एक साथ इतने बड़े दायरे में पर्चा लीक होने की घटना संभव नहीं है!
अफसोसनाक यह है कि अक्सर सामने आने वाली ऐसी घटनाएं सामान्य होती जा रही हैं। पिछले साल भी शिक्षक पात्रता परीक्षा का पर्चा लीक हो गया था, जिस पर हंगामा मचने के बाद परीक्षा नियामक प्राधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की गई थी। तब यह बात सामने आई थी कि पर्चा प्रिंटिंग प्रेस से ही लीक हुआ था। ताजा घटना को देखें तो हर जगह सीसीटीवी कैमरे, केंद्रों पर पुलिस बल की तैनाती और चौबीस घंटे निगरानी की चौकस व्यवस्था के बावजूद परीक्षा का पर्चा लीक हो गया। स्वाभाविक ही इसमें कई स्तरों पर कर्मचारियों और अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है।
कभी कभी नाहक ही सवाल आता हैं कि आखिर यह परचा लीक करवाता कौन हैं ? और लीक होने के बाद निरस्त परीक्षाओ से पस्त प्रतिभागियों के हौसले का जिम्मेदार कौन ? या यह जानबूझकर रचा गया एक तंत्र हो जो रोजगार भी निकले , परीक्षाएं भी आयोजित करे और परचा आउट करके उसको निरस्त भी करवा दे। कुल मिलाकर नौकरी निकले भी और मिले भी ना पर कागजो में रोजगार बंटता रहे। और अगर मुन्ना भाई लोगो पर नजर न पड़े तो कुर्सी उनकी जिनका पैसा। और जब पैसे से खरीदी कुर्सी पर कोई बैठेगा तो वो क्या करेगा आप सबको पता हैं ?
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