अंजलि यादव,
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया,
नई दिल्ली: कोरोना वायरस के दोनो लहर के बाद अब नए प्रतिरूप ओमिक्रोन के संक्रमण के खतरे को देखते हुए केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकारों का सचेत होना समय की मांग है, लेकिन उनकी ओर से जिस तरह रात को कर्फ्यू लगाने की घोषणाएं की जा रही हैं, उसे देखते हुए यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि आखिर यह उपाय कितना प्रभावी साबित होगा? जैसे की दिल्ली में कोरोना संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी जारी है। स्वास्थ्य विभाग ने रविवार को जारी रिपोर्ट में बताया कि रविवार को संक्रमण के 290 मामले सामने आए हैं और एक व्यक्ति की मृत्यु हुई है, जबकि संक्रमण दर बढ़कर 0.55 फीसद हो गई है। एक दिन में संक्रमण की दर में 0.12 फीसद की बढ़ोतरी देखी गई। वहीं शनिवार को संक्रमण के 249 मामले सामने आए थे और संक्रमण दर 0.43 फीसद थी। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक इसके साथ ही दिल्ली में संक्रमितों की संख्या बढ़कर 14,43,352 हो गई और मृतकों की संख्या भी बढ़कर 25,105 तक पहुंच गई है। राजधानी में वर्तमान में 1,103 उपचाराधीन मरीज हैं, जिनमें से 583 घर में एकांतवास में हैं। कोरोना के ओमीक्रान बहुरूप के खतरे के बीच पिछले कुछ दिनों में दिल्ली में संक्रमण के मामले बढे हैं।
जबकि यह सही है कि कोरोना की पिछली लहर के दौरान भी ऐसा ही किया गया था, लेकिन यह कहना कठिन है कि उससे संक्रमण के प्रसार को रोकने में सफलता मिली थी। यह ठीक नहीं कि दिन में सार्वजनिक स्थलों पर भीड़ जुटने एवं उसकी ओर से कोविड प्रोटोकाल का पालन न किए जाने को लेकर तो कुछ न किया जाए और रात में कर्फ्यू लगा दिया जाए। सर्दी के इस मौसम में जब रात को वैसे ही भीड़-भीड़ कम हो जाती है, तब कर्फ्यू लगाने से कुछ विशेष हासिल होने की उम्मीद कम ही है। वैसे भी ऐसा कुछ तो है नहीं कि रात में कोरोना वायरस कहीं अधिक सक्रिय हो जाता है। राज्य सरकारों को रात को कर्फ्यू लगाने जैसे कदम उठाते समय यह ध्यान भी रखना होगा कि उससे आर्थिक-व्यापारिक गतिविधियों पर बुरा असर न पड़ने पाए। इसकी अनदेखी नहीं की जानी चाहिए कि ऐसे कदम से सेवा क्षेत्र के प्रभावित होने की आशंका उभर आई है। नि:संदेह कोरोना संक्रमण से सतर्क रहने की आवश्यकता बढ़ गई है, लेकिन इसी के साथ यह सुनिश्चित करने की भी जरूरत है कि कोविड प्रोटोकाल के पालन के तहत आर्थिक-व्यापारिक गतिविधियां चलती रहें। एक ऐसे समय जब अर्थव्यवस्था पटरी पर आती दिख रही है, तब सावधानी बरतने के नाम पर ऐसा कुछ नहीं किया जाना चाहिए, जिससे उसे धक्का लगे। जितना जरूरी लोगों
की जान बचाना है, उतना ही जीविका के साधनों को भी।
राज्य सरकारों और खासकर विधानसभा चुनाव वाले पांच राज्यों को इस पर भी ध्यान देना होगा कि कहीं चुनाव प्रचार से जुड़ी गतिविधियों को नियंत्रित करने की आवश्यकता तो नहीं? यह अच्छा है कि निर्वाचन आयोग के अधिकारियों ने इस संदर्भ में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव से मुलाकात की और उनसे चुनाव वाले राज्यों के मौजूदा हालात को लेकर एक विस्तृत रपट मांगी। इस रपट के आधार पर न केवल आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए, बल्कि हालात की लगातार निगरानी और समीक्षा भी की जानी चाहिए। यह सर्वथा उचित होगा कि चुनाव वाले राज्यों में टीकाकरण की रफ्तार बढ़ाई जाए। इस संदर्भ में आम लोगों को भी सचेत होना होगा, खासकर उन्हें जिन्होंने अभी टीका नहीं लगवाया है। इसी के साथ मतदान कर्मियों को कोरोना योद्धा के दायरे में लाने पर भी विचार किया जाना चाहिए।
देश में कोरोना विषाणु के नए बहुरूप ओमीक्रान के अब तक 653 मामले दर्ज किए गए हैं। ओमीक्रान के मामले ये मामले 19 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में दर्ज किए गए। मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में भी कोरोना के इस बहुरूप के मामले आए हैं। इससे पहले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने रविवार सुबह आठ बजे बताया कि देश में ओमीक्रान के अब तक 653 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें से 130 लोग स्वस्थ हो गए हैं या विदेश जा चुके बाकी पेज 8 पर हैं। शाम आठ बजे के आंकड़ों के अनुसार, ओमीक्रान के सर्वाधिक 167 मामले महाराष्ट्र में सामने आए हैं। इसके बाद दिल्ली में 165, केरल में 57, गुजरात में 49, तेलंगाना में 55, तमिलनाडु में 34 और कर्नाटक में 31 मामले सामने आ चुके हैं। इसके अलावा राजस्थान में 46, ओड़ीशा में आठ, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल व आंध्र प्रदेश में छह-छह, हरियाणा में चार, जम्मू-कश्मीर में तीन, उत्तर प्रदेश में दो और चंडीगढ़, लद्दाख व उत्तराखंड में एक-एक मामला दर्ज किया गया है।
मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने रविवार को कहा कि प्रदेश के इंदौर में ओमीक्रान के आठ मामले सामने आए हैं। इन मरीजों में से छह स्वस्थ हो गए हैं और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है, जबकि दो का इलाज चल रहा है। उन्होंने कहा कि हाल ही में करीब 3,000 लोग विदेश से इंदौर लौटे और उनमें से 26 कोरोना से संक्रमित पाए गए। हिमाचल प्रदेश में ओमीक्रान का पहला मामला हिमाचल प्रदेश में ओमीक्रान स्वरूप का पहला मामला सामने आ चुका है। राज्य के स्वास्थ्य सचिव अमिताभ अवस्थी ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 12 दिसंबर को मंडी जिले में 45 वर्षीय एक महिला ओमीक्रान से संक्रमित पाई गई थी।
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