लेखक रतन चंद रत्नेश ने किया बंगाल की कालजयी 'महाभारत' का अनुवाद

एफए एयरलाइंस क्षेत्रीय एयरलाइन फ्लाईबिग का अधिग्रहण करेगी फिल्म Emergency की फिर बदली रिलीज डेट ब्लड शुगर कंट्रोल करने के लिए अपनी डाइट में शामिल करें ये 5 बीज आजमगढ़/ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी जनसभा पेयजल समस्या का हुआ समाधान- सतना हमीरपुर में राष्ट्रीय डेंगू दिवस पर निकाली गई रैली शिवहर में देशी कट्टा के साथ 4 अपराधी गिरफ्तार चंदौली में मतदान कार्मिकों का द्वितीय रेंडमाइजेस हुआ संपन्न प्रदेश में बच्चों के सुपोषण की जांच के लिए वजन तिहार मनाया जा रहा है जालौन में आज लोकसभा चुनाव के तहत रूट मार्च, फुट पेट्रोलिंग की गयी आईपीएल मैच में ऑनलाइन सट्टा खिलाने वाले 2 आरोपी गिरफ्तार पीलीभीत में दुष्कर्म व पास्को के आरोपी को न्यायालय ने सुनाई 14 वर्ष की सजा और एक लाख अर्थ दंड लगाया भाजपा केे राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा 18 मई को एक दिवसीय चंबा दौरे पर सूरतगढ : अवैध हीरोइन सहित नशा तस्कर गिरफ्तार यूपी बोर्ड : हाईस्कूल और इंटरमीडिएट में अब होंगे मासिक टेस्ट आज का राशिफल तीर्थन घाटी के भिंडी थाच में शहीद लगन चन्द मेमोरियल कप सीजन-4 का सफल समापन। युवा मतदाता संवाद कार्यक्रम का आयोजन तीन नए आपराधिक कानूनों पर रायपुर में हुई कार्यशाला उत्तराखंड : केदारनाथ यात्रा के दौरान घोड़े-खच्चरों के स्वास्थ्य की जांच के लिए डॉक्टरों की तैनाती

लेखक रतन चंद रत्नेश ने किया बंगाल की कालजयी 'महाभारत' का अनुवाद

Anjali 24-12-2022 16:11:24

अंजलि, 

लोकल न्यूज ऑफ इंडिया

नई दिल्ली 

हिमाचल के हमीरपुर जिला के गांव घनसुई के मूल निवासी रतन चंद 'रत्नेश' ने बंगाल की कालजयी पुस्तक 'महाभारत' का श्रमसाध्य अनुवाद किया है जो हाल ही में मुंबई और मेरठ से संवाद प्रकाशन के सौजन्य से प्रकाशित हुआ है। कहानी, लघुकथा, व्यंग्य, कविता आदि विधाओं में समान रूप से लिखनेवाले रत्नेश ने बिलासपुर में एक पुस्तक का विमोचन करने के दौरान बताया कि उन्होंने बांग्ला से कई रचनाओं का अनुवाद किया है और 'महाभारत' इनमें सबसे बड़ा अनुवाद है। इस 756 पृष्ठ के अनुवाद में प्रतिदिन 3 से 4 घंटे लगाकर उन्होंने लगभग डेढ़ वर्ष में इसे पूरा किया है। यह बंगाल में सर्वाधिक पढ़ी जाने वाली पुस्तक है जिसे सुप्रसिद्ध लेखक राजशेखर बसु ने लिखा है और इसका पहला संस्करण 1949 में प्रकाशित हुआ था। तब से इसके सोलह से भी अधिक संस्करण आ चुके हैं। रत्नेश ने बताया कि अन्य लिखे गए महाभारत से यह इस मायने में अनूठा है कि इसमें हर घटना या प्रसंग के पीछे कोई न कोई दिलचस्प कहानी दर्ज है जिससे कई लोग अनजान है। अन्य किसी महाभारत में ये आख्यान और उपख्यान नहीं मिलेंगे। 
इस पुस्तक की जनप्रियता इस बात से भी सिद्ध होती है कि न सिर्फ हिंदू पाठकों बल्कि पश्चिम बंगाल और बांग्ला देश के मुस्लिम पाठक भी इसे हाथोंहाथ ले चुके हैं। बांग्लादेश के सुप्रसिद्ध कथाकार और वहां के राजशाही विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर रहे हसन अज़ीज़ुल हक कहते हैं - ‘यह मेरी प्रिय पुस्तक है। जब भी इच्छा हो
मैं इसे पढ़ते हुए इसमें डूब सकता हूं। मूल महाभारत पूरी तरह पढ़ना संभव नहीं, विरक्ति हो जाती है क्योंकि उसकी शाखाएं-उपशाखाएं इतनी विस्तृत हैं कि ऐसा लगता है कि हजारों वृक्ष हैं। राजशेखर बसु ने इन शाखाओं की भलीभांति कांट-छांट की है और इसके मूल को बनाए रख इसका सारानुवाद किया है। इसीलिए मैं सिर्फ इसे ही पढ़ता हूं और यही एक महाभारत मेरे पास है।’
प्राचीनकाल की इस अन्यतम श्रेष्ठ कृति का संपूर्ण पाठ साधारण मनुष्यों के लिए तो और भी दुष्कर है। राजशेखर बसु ने इस कष्टसाध्य महाभारत की आत्मा को अक्षुण्ण रख इसका संक्षिप्त रूप पाठकों के लिए सुलभ कराया है। इसमें मूल महाभारत के प्रायः समस्त आख्यान और उपख्यान समाहित हैं। साधारण पाठकों के लिए जो मनोरंजक नहीं, उसे छोड़ दिया गया है, जैसे कि विस्तारित वंशवर्णन या पुनरुक्त विषय। औपन्यासिक शैली में निरपेक्ष भाव से लिखा गया यह महाभारत उनके लिए भी रुचिकर होगा जो इसे पहली बार पढ़ेंगे और निस्संदेह यह शोधार्थियों के लिए भी सहायक होगा।
रत्नेश कहते हैं कि सिर्फ आख्यान और उपाख्यान के कारण ही नहीं, यह हमारे वर्तमान जीवन को बेहतर  बनाने में भी अहम भूमिका निभाएगा, इस पुस्तक का कोई भी पृष्ठ खोल लें, इसमें दिलचस्प कथाओं और प्रेरक-प्रसंगों का अद्भूत सुमेल है। यहां तक कि लक्ष्य साधने के गुरुमंत्र भी इसमें शामिल  हैं।

फोटो कैप्शन

01
अनुवादित की गई पुस्तक के साथ रतन चंद रत्नेश

02
पुस्तक का मुखपृष्ठ

 

लेखक रतन चंद रत्नेश ने किया बंगाल की कालजयी 'महाभारत' का अनुवाद

मुंबई और मेरठ से संवाद प्रकाशन के सौजन्य से प्रकाशित


विजयराज उपाध्याय,बिलासपुर

  • |

Comments

Subscribe

Receive updates and latest news direct from our team. Simply enter your email below :