कर्नाटक में कांग्रेस के चुनाव अभियान

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कर्नाटक में कांग्रेस के चुनाव अभियान

Anjali 11-05-2023 15:51:35

अंजलि,

लोकल न्यूज ऑफ इंडिया 

नई दिल्ली - कर्नाटक में 224 सदस्यीय विधानसभा सीटों के लिए बुधवार (10 मई) को मतदान समाप्त हो चुका है. इस बार कांग्रेस को कर्नाटक की सत्ता में वापसी करने की पूरी उम्मीद है. इसके लिए पार्टी ने राज्य में धुंआधार प्रचार अभियान चलाया था. इस सफल प्रचार के पीछे जी परमेश्वर, पार्टी के राज्य प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला, एमबी पाटिल, शशिकांत सेंथिल और सुनील कोनुगोलू ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. घोषणापत्र से लेकर आक्रामक अभियान तक राज्य में कांग्रेस ने सभी बिंदुओं को उजागर करके लोगों का ध्यान आकर्षित किया. आइये चुनाव अभियान में प्रमुख भूमिका निभाने वाले इन पांच नेताओं के बारे में जानते हैं.

1- रणदीप सिंह सुरजेवाला
साल 2020 में इनको पार्टी महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल की जगह कर्नाटक प्रभारी नियुक्त किया गया था. राज्य का प्रभारी नियुक्त किए जाने से पहले पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और राज्य इकाई के प्रमुख डीके शिवकुमार के बीच राज्य नेतृत्व में मतभेद स्पष्ट रूप से दिख रहे थे.

हालांकि, सुरजेवाला ने सुनिश्चित किया कि चुनाव से पहले दोनों गुटों के बीच मतभेद खत्म हो जाएं, इसके लिए उन्होंने राज्य में पिछले साल राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान दोनों को एक साथ लाए थे. उम्मीदवार को अंतिम रूप देने में और पूरे चुनाव प्रचार के दौरान भी दोनों एक साथ दिखाई दिए थे. सुरजेवाला चुनाव से पहले पार्टी नेतृत्व में एकता का संदेश भी देते रहे हैं. साथ ही, सिद्धारमैया और शिवकुमार की एक साथ तस्वीरें भी शेयर करते रहे हैं.

2- एमबी पाटिल
पाटिल एक शक्तिशाली लिंगायत नेता हैं, जिन्हें राज्य में अभियान समिति का अध्यक्ष बनाया गया था. उन्होंने कर्नाटक में सत्तारूढ़ बीजेपी के खिलाफ एक ताबड़तोड़ अभियान चलाया था. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, मतदान से पहले शक्तिशाली लिंगायत नेता और पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार को पार्टी में शामिल करने में पाटिल की महत्वपूर्ण भूमिका थी.

पार्टी नेताओं ने यह भी कहा कि राज्य में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की एक के बाद एक जनसभाएं, पूर्व पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा की जनसभाएं और रोड शो के साथ राज्य में आक्रामक अभियान की रूपरेखा तैयार करने के पीछे पाटिल का हाथ है. उन्होंने राज्य में मतदाताओं को लुभाने के लिए पार्टी के डोर-टू-डोर अभियान पर भी ध्यान केंद्रित किया.

पाटिल के प्रयासों के कारण ही कांग्रेस की पूर्व प्रमुख सोनिया गांधी ने चार साल के अंतराल के बाद एक चुनावी जनसभा की. पाटिल को सिद्धारमैया का करीबी माना जाता है और उन्होंने राज्य सरकार में कई महत्वपूर्ण विभागों को भी संभाला था.

3- जी परमेश्वर
इनको कर्नाटक कांग्रेस घोषणापत्र, नीति और विजन समिति का अध्यक्ष बनाया गया था. पीएफआई और बजरंग दल जैसे संगठनों पर प्रतिबंध लगाने की बात करने वाले कांग्रेस
के घोषणापत्र ने जल्द ही लोगों का ध्यान आकर्षित किया और कई हलकों ने इसकी आलोचना भी की.

पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्य इकाई के पूर्व प्रमुख परमेश्वर ने राज्य के लोगों के लिए पार्टी की पांच गारंटी का उल्लेख किया, जो तुरंत हिट हो गया. वह राज्य के विभिन्न क्षेत्रों जैसे तटीय क्षेत्र के लिए एक घोषणा पत्र भी लेकर आए, जहां पार्टी पिछले चुनावों की तुलना में अधिक सीटें हासिल करने की उम्मीद कर रही है.

4- शशिकांत सेथिल
सेथिल साल 2009 बैच के आईएएस अधिकारी रहे हैं, जिन्होंने साल 2019 में सीएए मुद्दे पर इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद वो कांग्रेस में शामिल हो गए. पार्टी ने उन्हें चुनावी राज्य में कांग्रेस वार रूम का प्रभारी बना दिया. उन्होंने न केवल टीम के साथ मिलकर काम किया, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि पार्टी फैक्ट चेकिंग की निगरानी करेगी और मुद्दों पर सत्ताधारी बीजेपी को घेरने के लिए पार्टी नेताओं को समर्थन देगी. सेथिल के तहत कांग्रेस ने राज्य के सभी विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी के अभियान पर कड़ी नजर रखी.

5- सुनील कोनुगोलू
कांग्रेस के लिए रणनीतिकार के रूप में काम कर रहे कोनुगोलू पर सर्वेक्षण तैयार करने, अभियान चलाने, उम्मीदवारों के चयन और जीत की रणनीति तय करने की जिम्मेदारी थी. पार्टी नेताओं के मुताबिक, ज्यादातर पर्दे के पीछे रहने वाले कोनुगोलू ने राज्य की प्रत्येक विधानसभा सीट के लिए रणनीति तैयार की. उन्होंने बीजेपी और जेडीएस को घेरने की रणनीति भी तैयार की, ताकि कर्नाटक का मुकाबला त्रिकोणीय न हो जाए.

पार्टी नेताओं के मुताबिक, कोनुगोलू ने सत्तारूढ़ बीजेपी के खिलाफ रेट कार्ड जारी करने, पे-सीएम और 40 फीसदी कमीशन सरकार जैसे कांग्रेस अभियानों की जिम्मेदारी ली थी. मई 2022 में कोनुगोलू ने कांग्रेस ज्वाइन की थी. जिसमें उन्होंने कांग्रेस के लिए रणनीति बनाना शुरू किया और राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' में भी योगदान दिया.

इससे पहले बीजेपी के अभियान के हिस्से के रूप में कोनुगोलू ने पीएम नरेंद्र मोदी के साथ काम किया था. कोनुगोलू ने उत्तर प्रदेश में बीजेपी के लिए काम किया था. कहा जाता है कि उन्होंने साल 2017 में योगी आदित्यनाथ की शानदार जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. 

बता दें कि 224 सदस्यीय विधानसभा के लिए मतगणना 13 मई को होगी. साल 2018 में, कांग्रेस केवल 80 सीटें जीतने में सफल रही थी, जबकि सत्तारूढ़ बीजेपी ने 104 और जेडीएस को 37 सीटें प्राप्त हुई थी. कांग्रेस ने जेडीएस के साथ मिलकर सरकार बनाई थी. हालांकि, साल 2019 में जेडीएस के कई विधायकों के पार्टी छोड़ने और बीजेपी में शामिल होने के बाद सरकार गिर गई थी. वहीं, इस बार कांग्रेस, बीजेपी को सत्ता से हटाकर दक्षिणी राज्य में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने की उम्मीद कर रही है.

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