अंजलि यादव,
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया,
पटना: बिहार में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होने के साथ ही सियासी सरगर्मियां तेज हैं. वहीं NDA में LJP और JDU के रिश्ते बिगड़ते ही जा रहे हैं. बता दे कि सूत्रों के हवाले से मिली ख़बर के अनुसार LJP का JDU से मतभेद मुद्दों को लेकर है. LJP साफ चाहती है कि उसके उठाए मुद्दों को NDA अपने मेनिफेस्टो का हिस्सा बनाए जैसे बिहार फर्स्ट और बिहार फर्स्ट. ठीक नीतीश के 7 निश्चय की तरह.
एक तरफ जंहा सीट बंटवारे पर LJP के तेवरों से ये तय हो गया है कि NDA में घमासान अभी जारी है. वहीं दुसरी और खुल मिलाकर LJP ने नीतीश से तौबा तो कर ही रखा है और अब उसकी बात BJP से भी बनती नहीं दिख रही.
मंझे हुए मौसम वैज्ञानिक रामविलास की राह पर चिराग!
2005 के बिहार विधानसभा चुनाव में भी राम विलास पासवान मंजे हुए मौसम वैज्ञानिक साबित हुए थे. राज्य में लालू फैमिली के
शासन के खिलाफ काफी गुस्सा था. इस गुस्से के खिलाफ नीतीश कुमार की अगुवाई में बीजेपी नेताओं को गोलबंद कर रही थी. रामविलास पासवान ने अचानक अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार से इस्तीफा दे दिया और अपनी पार्टी लोक जनशक्ति (एलजेपी) बना ली. वे 2005 के फरवरी चुनाव में अकेले उतरे और 29 सीटें हासिल कर सत्ता की चाभी हासिल कर ली. रामविलास पासवान ने भांप लिया था कि बिहार की जनता लालू के खिलाफ तो है लेकिन नीतीश के चेहरे पर पूरी तरीके से भरोसा करने के पक्ष में भी नहीं है. इसलिए उन्होंने खुद को एक विकल्प के रूप में पेश किया था, जिसमें उन्हें सफलता भी हाथ लगी.
हालांकि रामविलास पासवान मुस्लिम मुख्यमंत्री की मांग पर अड़े रहे और किसी की भी सरकार बनने नहीं दी, जिसके बाद 2005 में ही अक्टूबर-नवंबर में दोबारा वोटिंग हुई जिसमें रामविलास पासवान की पार्टी 10 सीटों के भीतर सिमट गई. हालांकि वह केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार में मंत्री बने रहे.
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