नई दिल्ली,Localnewsofindia-सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दिया है, जिसमें पश्चिम बंगाल में दिवाली, काली पूजा, जगद्धात्री पूजा और छठ पर पटाखों के इस्तेमाल और बिक्री पर बैन लगाया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर कहा कि हम समझते हैं कि ये त्योहार महत्वपूर्ण हैं। मगर जब जीवन खतरे में हो तो मानव जीवन को बचाने के लिए कोई भी प्रयास किया जाना चाहिए।
दरअसल, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर दिवाली, काली पूजा, जगद्धात्री पूजा और छठ पर पटाखों के इस्तेमाल और बिक्री पर हीते दिनों प्रतिबंध लगा दिया था। न्यायमूर्ति संजीव बनर्जी और अरिजीत बनर्जी की खंडपीठ ने दो जनहित याचिकाओं (पीआईएल) पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया। काली पूजा 15 नवम्बर को है।
अदालत ने निर्देश दिया कि प्रतिबंध जगद्धात्री पूजा, छठ और कार्तिक पूजा के दौरान भी लागू रहेगा। अदालत ने कहा कि दुर्गा पूजा के दौरान लागू होने वाले दिशानिर्देश जैसे पंडालों में प्रवेश नहीं, काली पूजा के दौरान भी लागू होंगे। पीठ ने दुर्गा
पूजा पर अदालत द्वारा निर्देशित दिशानिर्देशों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए राज्य सरकार की सराहना की।
अदालत ने पुलिस को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि काली पूजा के दौरान मानदंडों को सख्ती से लागू किया जाए। अदालत ने कहा कि 300 वर्ग मीटर तक के क्षेत्र में काली पूजा पंडालों में 15 लोगों की अनुमति होगी और बड़े पंडालों में 45 व्यक्तियों की अनुमति होगी। पीठ ने विसर्जन के दौरान जुलूस की भी अनुमति नहीं दी।
वहीं, दिल्ली-एनसीआर सहित देश के 122 शहरों में 30 नवंबर तक पटाखों की जलाने और बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने की मांग पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने गुरुवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। ट्रिब्यूनल ने कहा है कि वह 9 नवंबर को इस पर विस्तृत फैसला देंगे। लेकिन मामले की सुनवाई के दौरान ट्रिब्यूनल ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के दोहे ‘वैष्णव जन तो तेने कहिए जो पीर पराई जाने रे’ को गाया। ये 122 शहर दिल्ली एनसीआर के अलावा 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के हैं। इन सभी राज्यों से बुधवार को जवाब मांगा गया था।
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