दिल्ली में कांग्रेस के लिए चुनौतियों से भरी डगर

महाराष्ट्र में मुंबई सीमा शुल्क अधिकारियों ने जब्त किया 12.74 किलोग्राम सोना रंगोली बनाकर मतदान के लिए किया जागरूक सहरसा में आयोजित हुआ स्वीप जागरूकता अभियान उदयपुर : भामाशाहों की मदद लेकर स्मार्ट टीवी लगाकर स्मार्ट क्लास रूम तेजस्वी पहुंचे उदाकिशुनगंज विधान सभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानियां ने राज्यपाल व मुख्यमंत्री के साथ की राष्ट्रपति की अगवानी उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग पर काबू पाने के लिए वन विभाग युद्धस्तर पर जुटा The Great Indian Kapil Show: खत्म हुई कपिल शर्मा के शो के पहले सीजन की शूटिंग परीक्षा परिणामों के मद्देनजर विद्यार्थियों को तनावमुक्त करने विभिन्न जिलों में कार्यशाला का आयोजन विशेष पिछड़ी जनजाति के बैगा मतदाताओं को वोट डालने कलेक्टर ने दिया नेवता मतदान केन्द्र का निरीक्षण कर लौट रहे बीएसएफ के जवानों से भरी बस दुर्घटनाग्रस्त-08 जवान घायल टोंक के गांवों में अब ड्रोन से होगा नैनो यूरिया खाद और कीटनाशक दवाई का छिड़काव मथुरा में गेहूं क्रय केंद्र के प्रभारियों के साथ बैठक पूर्वोत्तर रेलवे के अंतर्गत टनकपुर मथुरा विशेष गाड़ी का संचालन दिसंबर 2024 तक के लिए बढ़ा पीलीभीत में बदला मौसम का मिजाज आग को लेकर पीलीभीत टाइगर रिजर्व में भी सतर्कता बरतने के निर्देश आज का राशिफल। ₹30000 तक के महाडिस्काउंट पर मिल जाएंगे ये Gaming Laptop दवाओं का लाखों का खर्चा बचा लेगी ये दाल लखनऊ में सपा नेता राजकिशोर सिंह ने भाजपा की सदस्यता ली

दिल्ली में कांग्रेस के लिए चुनौतियों से भरी डगर

Smariti Kumar 07-01-2020 14:16:12

मजबूत संगठन और विश्वसनीय चेहरों के अभाव से जूझ रही कांग्रेस दिल्ली विधानसभा के चुनाव में इसबार बड़ी उम्मीदों के साथ मैदान में उतर रही है। चुनाव कार्यक्रम की आधिकारिक घोषणा होने के साथ ही पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह उम्मीद जताई कि यह चुनाव पिछले चुनावों से अलग है क्योंकि लोग भाजपा और आम आदमी पार्टी की लड़ाई से ऊब गए हैं और कांग्रेस को एक विकल्प के तौर पर देख रहे हैं।

देश की मुख्य विपक्षी पार्टी के लिए बड़ी मुश्किल यह है कि तकरीबन सभी सियासी जानकार उसे तीसरी नंबर की पार्टी के तौर पर देख रहे हैं तथा पार्टी के पास विश्वसनीय चेहरे और मजबूत संगठन का भी अभाव है। हालांकि, पार्टी लोकसभा चुनाव में अपने दूसरे स्थान पर रहने के आधार पर यह दावा कर रही है कि उसे लड़ाई में खारिज नहीं किया जा सकता।

वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को महज 9.7 फीसदी वोट मिले थे और उसे एक भी सीट हासिल नहीं हुई थी। दिल्ली की राजनीति में कांग्रेस अपने न्यूनतम आंकड़े पर चली गई थी। इसके दो साल बाद हुए नगर निगम चुनाव में कांग्रेस के मत प्रतिशत में तेज उछाल आया और उसे 21 फीसदी वोट मिले।

पिछले साल के लोकसभा चुनाव में उसे 22.46 फीसदी वोट मिले, जो कांग्रेस के लिये हौसले को बढ़ाने वाला रहा। लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को महज 18 फीसदी वोट
मिले थे और वह तीसरे नंबर पर पहुंच गई थी। लोकसभा चुनाव के आधार पर देखें तो कांग्रेस विधानसभा की 70 सीटों में से पांच पर आगे रही, जबकि शेष सभी 65 सीटों पर भाजपा आगे रही।

दिल्ली कांग्रेस की चुनाव प्रचार समिति के प्रमुख कीर्ति आजाद का कहना है कि इस चुनाव में लोग कांग्रेस पर विश्वास करेंगे और इसकी वजह झूठ की राजनीति से लोगों का परेशान होना और शीला दीक्षित के 15 साल के शासन में हुए विकास कार्य हैं। उन्होंने दावा किया, ''दिल्ली के लोगों को पांच साल में यह महसूस हुआ कि विकास कौन कर सकता है। पिछले पांच वर्षों में सिर्फ झूठ की राजनीति हुई। केंद्र और दिल्ली की सरकार में बैठी पार्टियों ने एक दूसरे पर आरोप लगाया जिसका नुकसान आम लोगों को उठाना पड़ा। आप देखेंगे कि जनता फिर से हम पर विश्वास जताएगी।"

संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) का पुरजोर विरोध कर रही कांग्रेस को यह उम्मीद भी है कि उसके इस रुख के कारण पिछले चुनाव में आम आदमी पार्टी के साथ चला गया एक बड़ा वोट बैंक फिर से उसकी तरफ रुख करेगा जो उसे बहुत मजबूती दे सकता है। पार्टी झुग्गी बस्तियों और अनधिकृत कालोनियों को फिर से अपनी तरफ लाने के प्रयास में भी जुटी है। गौरतलब है कि दिल्ली विधानसभा की सभी सीटों के लिये मतदान 8 फरवरी को और मतगणना 11 फरवरी को होने की सोमवार को घोषणा कर दी गई।

  • |

Comments

Subscribe

Receive updates and latest news direct from our team. Simply enter your email below :