सुशील मोदी की कुर्सी छीनकर कामेश्वर चौपाल को देने की हो रही है चर्चा

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सुशील मोदी की कुर्सी छीनकर कामेश्वर चौपाल को देने की हो रही है चर्चा

Anjali Yadav 13-11-2020 15:01:32

अंजलि यादव,

लोकल न्यूज ऑफ इंडिया,

 

 

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव का रिजल्ट आने के बाद सरकार गठन को लेकर चर्चाएं तेज है. एनडीए के नेताओं की शुक्रवार को सीएम आवास 1 अणे मार्ग पर बैठक हुई. इसी बीच पटना के राजनीतिक गलियारे में बीजेपी नेता कामेश्वर चौपाल  को उपमुख्यमंत्री बनाए जाने की चर्चा चलती रही. बिहार में राजनीति में अचानक से कामेश्वर चौपाल का नाम आने से कई लोग हैरत में हैं. बिहार की राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर कामेश्वर चौपाल कौन हैं जिन्हें डिप्टी सीएम बनाने की बात हो रही है.

  

 

कामेश्वर चौपाल के बयान से चर्चाओं को मिला बल

कामेश्वर चौपाल के पटना पहुंचने के बाद चर्चाओं को बल मिला है. कामेश्वर चौपाल से जब इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मुझे संगठन अगर कोई दायित्व देता है तो मैं उससे भागूंगा नहीं. संगठन का काम है अगर झाड़ू लगाना तो वह भी मैं करूंगा. जो काम मिलता है उसे करुंगा. हमारे लिए राष्ट्र प्रथम है और व्यक्ति अंतिम बात है. संगठन से जो आदेश मिलेगा उसे लूंगा.'

  

 

क्यों हो रही है कामेश्वर चौपाल की चर्चा

कामेश्वर चौपाल बीजेपी के दलित नेता हैं. वह संघ के पुराने कार्यकर्ता भी हैं. कामेश्वर राम मंदिर आंदोलन से जुड़े रहे हैं. इससे बीजेपी का कोर हिंदुत्व वोट बैंक तो मजबूत होगा ही, वहीं इससे दलित लोगों के बीच भी बीजेपी की पैठ बढ़ सकती है. माना जा रहा है कि कामेश्वर चौपाल के जरिए बीजेपी एनडीए में रामविलास पासवान की कमी को पूरा करने की कोशिश कर सकती है.

 


रामविलास के खिलाफ चुनाव गए थे हार

कामेश्वर चौपाल ने 1991 में रामविलास पासवान के खिलाफ चुनाव लड़ा था, हालांकि हार गए थे. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें पप्पू यादव की पत्नी रंजीता रंजन के खिलाफ सुपौल से चुनाव मैदान में उतारा था, लेकिन यहां भी उन्हें कामयाबी
नहीं मिली थी. फरवरी 2020 में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए गठित ट्रस्ट में बिहार से बीजेपी नेता कामेश्वर चौपाल को भी शामिल किया गया था.

 

 

रोटी के साथ राम का नारा देने वाले कामेश्वर

रोटी के साथ राम का नारा देने वाले कामेश्वर चौपाल ने ही 9 नवंबर 1989 को राम मंदिर निर्माण के लिए हुए शिलान्यास कार्यक्रम में पहली ईंट रखी थी. उस समय वह पूरे देश में चर्चा के केंद्र में थे. वीएचपी में बिहार के सह संगठन मंत्री होने के नाते कामेश्वर चौपाल भी आयोध्या में मौजूद थे. तब पूर्व में लिए गए निर्णय के अनुसार धर्मगुरुओं ने कामेश्वर चौपाल को शिलान्यास के लिए पहली ईंट रखने को कहा.

श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने इससे पहले राम मंदिर की पहली ईंट 9 नवंबर 1989 को रखी थी. ट्रस्ट में शामिल दलित समुदाय के कामेश्वर चौपाल को संघ और वीएचपी में काम करने का लंबा अनुभव है. उस समय मंदिर के सिंहद्वार की नींव रखने के लिए उनका चयन कैसे हुआ और मंदिर आंदोलन के बारे में कामेश्वर चौपाल से बात की.

राम मंदिर शिलान्यास प्रकरण की लोकप्रियता को देखते हुए बीजेपी ने कामेश्वर चौपाल को 1991 में रोसड़ा सुरक्षित लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार बनाया. हालांकि वे चुनाव हार गए थे. इसके बाद 1995 में वे बेगूसराय की बखरी विधानसभा सीट से भी चुनाव लड़े पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा. साल 2002 में वे बिहार विधान परिषद के सदस्य बने. 2014 तक वे विधान परिषद के सदस्य रहे. साल 2009 में हुए चुनाव में उन्होंने रोटी के साथ राम का नारा लगाया.

 24 अप्रैल 1956 में जन्मे कामेश्वर चौपाल ने जेएन कॉलेज मधुबनी से स्नातक की परीक्षा पास करने के बाद मिथिला विवि दरभंगा से 1985 में एमए की डिग्री ली. अगर कामेश्वर चौपाल को बीजेपी डिप्युटी सीएम बनाती है तो सुशील कुमार मोदी का पत्ता कट सकता है. जबकि बिहार की राजनीति में माना जाता है कि नीतीश कुमार की सुशील कुमार मोदी के साथ सबसे ज्यादा अच्छी बनती है. इन दोनों की जोड़ी को अलग करना मुश्किल होगा.

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